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Investing in Debt Funds : रेट कट साइकल के दौरान आमतौर पर लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स का प्रदर्शन बेहतर रहता है. (Image : Freepik)
Debt Fund Investment During Rate Cut Cycle : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी ताजा मॉनेटरी पॉलिसी में न सिर्फ लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कटौती की है, बल्कि भविष्य में भी यह सिलसिला जारी रखने के साफ संकेत दिए हैं. इससे जाहिर है कि अब देश में रेट कट साइकल शुरू हो चुका है. दूसरी तरफ शेयर बाजार में उथल-पुथल का सिलसिला बना हुआ है. ऐसे दौर में लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स के पिछले एक साल के रिटर्न काफी शानदार नजर आ रहे हैं. डेट फंड्स को इक्विटी फंड्स की तुलना में कम रिस्की माना जाता है. इस लिहाज से देखने पर रिटर्न के ये आंकड़े और भी आकर्षक नजर आते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स की इस जबरदस्त परफॉर्मेंस की वजह क्या है और क्या यह इन फंड्स में निवेश करने का सही समय है? इन सवालों पर आगे बात करेंगे, लेकिन पहले एक नजर डाल लेते हैं सभी 9 लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स के 1 साल के प्रदर्शन के आंकड़ों पर.
लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स का 1 साल का प्रदर्शन
AMFI के पोर्टल पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक सभी 9 लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड का 1 साल का रिटर्न 10% से ज्यादा रहा है. जबकि 9 में से 8 फंड्स के लिए यह आंकड़ा 11% से ऊपर है. इन सभी फंड्स को रिस्कोमीटर पर मॉडरेट रिस्क की रेटिंग दी गई है और सभी आंकड़े 8 अप्रैल 2025 तक अपडेटेड हैं:
स्कीम का नाम | 1 साल का रिटर्न (रेगुलर) | 1 साल का रिटर्न (डायरेक्ट) |
Aditya Birla Sun Life Long Duration Fund | 11.06% | 11.78% |
ICICI Prudential Long Term Bond Fund | 11.13% | 11.75% |
Axis Long Duration Fund | 11.17% | 11.66% |
Kotak Long Duration Fund | 11.31% | 11.62% |
HDFC Long Duration Debt Fund | 11.19% | 11.58% |
Bandhan Long Duration Fund | 11.05% | 11.50% |
SBI Long Duration Fund | 10.93% | 11.41% |
Nippon India Nivesh Lakshya Fund | 11.01% | 11.35% |
UTI Long Duration Fund | 9.90% | 10.89% |
(Source : AMFI)
क्या है इस बेहतर प्रदर्शन की वजह?
लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स के बेहतर प्रदर्शन के दो प्रमुख कारण हैं. पहली वजह है ब्याज दरों में कटौती और भविष्य में उसके जारी रहने की उम्मीद. दरअसल, बॉन्ड की कीमतों और ब्याज दरों में उल्टा रिश्ता होता है. जब ब्याज दरें गिरती हैं, तो पहले से जारी हाई रेट वाले बॉन्ड्स की मांग बढ़ती है और उनकी कीमतें ऊपर जाती हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि जब निवेशकों को लगता है कि आने वाले समय में ब्याज दरें और घट सकती हैं, तो वे मौजूदा हाई यील्ड वाले बॉन्ड्स में निवेश करना चाहते हैं. इससे इन बॉन्ड्स की डिमांड और कीमतें बढ़ती हैं और रिटर्न बेहतर होता है. इसके उलट, जब ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रुझान होता है, तो पुराने बॉन्ड्स की कीमतें और रिटर्न में गिरावट आती है. पिछले 1 साल में लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स के ऊंचे रिटर्न की दूसरी प्रमुख वजह भारतीय सरकारी बॉन्ड्स का JP Morgan Government Bond Index - Emerging Markets में शामिल किया जाना भी है. इससे विदेशी निवेशकों का रुझान भारतीय बॉन्ड्स की ओर बढ़ा है, जिससे डिमांड और कीमतें दोनों में तेजी आई है. इसका सीधा फायदा लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स को मिला, क्योंकि इनमें सरकारी बॉन्ड्स का बड़ा हिस्सा होता है.
रेट कट साइकल में लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स का प्रदर्शन
रेट कट साइकल के दौरान लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स के बेहतर प्रदर्शन का उदाहरण पिछले आंकड़ों से भी मिलता है. वैल्यू रिसर्च पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2014 से अगस्त 2017 के बीच जब ब्याज दरें 8% से घटकर 6% हुई थीं, तो लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स का औसत सालाना रिटर्न 11.70% रहा था. इसी तरह अगस्त 2018 से मई 2020 के दौरान भी जब ब्याज दरें 6.5% से घटकर 4% हुईं, लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स का औसत सालाना रिटर्न 15.18% रहा. इससे भी साफ है कि ब्याज दरों में गिरावट के दौरान लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स शानदार रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं.
क्या यह निवेश का सही समय है?
आरबीआई के मौजूदा पॉलिसी स्टांस यानी नीतिगत रुख से संकेत मिल रहे हैं कि भविष्य में रेट कट साइकल जारी रह सकती है.जिन निवेशकों को लगता है कि ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला आग जारी रहने वाला है, वे लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. हालांकि यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि ये फंड्स ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव को लेकर ज्यादा सेंसेटिव माने जाते हैं. यानी अगर ब्याज दरें घटने की बजाय बढ़ने लगीं, तो इनके रिटर्न में कमी आने की आशंका रहती है. यही वजह है कि लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड्स को शॉर्ट ड्यूरेशन डेट बॉन्ड्स के मुकाबले ज्यादा रिस्की माना जाता है. लेकिन इनमें रिटर्न की संभावना भी अधिक रहती है. इसलिए निवेश का फैसला करने से पहले अपने रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखें.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सलाह देना नहीं. म्यूचुअल फंड में पिछले रिटर्न के भविष्य में भी जारी रहने की कोई गारंटी नहीं होती. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने के बाद और अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेकर ही करें.)