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Dividend Return : डिविडेंड किसी शेयरधारक के रिटर्न में कंपाउंडिंग की ताकत जोड़ने में छुपा रुस्तम साबित हो सकता है. (freepik)
Compounding Shareholder Returns : अगर शेयर बाजार या इक्विटी में निवेश करते हैं तो आपने डिविडेंड की चर्चा अक्सर सुनी होगी. कुछ कंपनियां अपने होने वाले मुनाफे का एक हिस्सा अपने निवेशकों को डिविडेंड के रूप में देती हैं. इससे यह तो साफ है कि ज्यादातर वही कंपनियां डिविडेंड बांटती हैं जो खुद प्रॉफिट में होती हैं. इस तरह के शेयरों में पैसा लगाने का फायदा यह है कि निवेशक 2 तरह से मुनाफा कमा सकते हैं. कह सकते हैं कि डिविडेंड किसी शेयरधारक के रिटर्न में कंपाउंडिंग की ताकत जोड़ने में छुपा रुस्तम साबित हो सकता है. जानते हैं डिविडेंड से किस तरह से निवेशकों को डबल बेनेफिट हो सकता है.
रिटर्न में जोड़ता है एक्स्ट्रा रिटर्न
बड़ौदा बीएनपी पारिबा म्यूचुअल फंड के सीनियर मैनेजर -इक्विटी, शिव चानानी का कहना है कि डिविडेंड निवेशकों का मुनाफा बढ़ाने में बेहद अहम पहलू है. इस बात को और स्पष्ट तरीके से समझना है तो देख सकते हैं कि, निफ्टी 500 इंडेक्स में जनवरी 2000 से जुलाई 2024 तक 12.5% कंपाउंडिंग ग्रोथ रही है, जबकि निफ्टी 500 टीआरआई इंडेक्स (कुल रिटर्न इंडेक्स जिसमें डिविडेंड पेमेंट शामिल है) इस दौरान 14.2% कंपाउंडिंग की दर से बढ़ा है. यहां साफ है कि डिविडेंड ने रिटर्न के भी ऊपर 1.7% अतिरिक्त रिटर्न जोड़ा है.
जनवरी 2000 में अगर निफ्टी 500 टीआरआई में किसी ने 1 लाख रुपये निवेश किया होगा तो उसकी वैल्यू अब 26 लाख रुपये हो गई है, जबकि निफ्टी 500 इंडेक्स में इस दौरान 1 लाख रुपये के निवेश की वैल्यू 18 लाख रुपये (डिविडेंड के बिना) हुई है. पिछले 24 साल में कुल रिटर्न में अकेले डिविडेंड का हिस्सा 30 फीसदी से अधिक रहा है. इसलिए, जबकि ग्रोथ भारत में इक्विटी निवेश के लिए आधारशिला है, कुल रिटर्न में डिविडेंड के योगदान को नजरअंदाज करना एक गंभीर भूल हो सकती है.
(सोर्स: डाटा 31 जुलाई, 2024 तक. एमएफआई और इंटरनल रिसर्च.)
मुनाफा कमाने वाली कंपनियां देती हैं डिविडेंड
शिव चानानी का कहना है कि कंपनियों द्वारा लगातार डिविडेंड देना एक संकेतक है कि वे कंपनियां लगातार ग्रोथ दिखा रही हैं और मुनाफा कमा रही हैं. डिविडेंड पेमेंट ही कंपनी की कैश रिच होने और लगातार मुनाफा हासिल करने की क्षमता का सबसे बड़ा संकेतक है. जैसा कि हम जानते हैं, अधिकांश कंपनियों को ग्रोथ और विस्तार के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है और पूंजी के केवल तीन सोर्स उपलब्ध हैं - फ्रेश इक्विटी, डेट और आंतरिक संचय. अगर कंपनी को समय के साथ लगातार बढ़ना है तो उसे लगातार फ्री कैश फ्लो उत्पन्न करने की जरूरत होगी. लगातार डिविडेंड पेमेंट, पूर्व अनुमानित फ्री कैश फ्लो को निरंतर रूप से जेनरेटन करने की क्षमता हासिल करने में कंपनी की सफलता को सुनिश्चित करता है.
बाजार के उतार चढ़ाव का कम असर
डिविडेंड पेमेंट करने वाली कंपनियों की एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि जब शेयर के भाव में उतार-चढ़ाव की बात आती है तो इन कंपनियों के स्टॉक आम तौर पर ओवरआल बाजार की तुलना में कम अस्थिर होते हैं. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इन कंपनियों के स्टॉक में तेज गिरावट की घटना कम ही देखने को मिलती है. वास्तव में, हमारे रिसर्च से पता चलता है कि निफ्टी डिविडेंड अपॉर्च्यूनिटी 50 टीआरआई का बीटा निफ्टी 50 इंडेक्स की तुलना में पिछले 5 साल में 0.82 है. (सोर्स : डाटा 31 जुलाई 2024 तक. एमएफआई और इंटरनल रिसर्च.)
हर मार्केट कैप वाली कंपनी देती है डिविडेंड
शिव चानानी का कहना है कि एक गलत धारणा है कि बेहतर डिविडेंड यील्ड कम रिटर्न और कम ग्रोथ वाली कंपनियों से जुड़ी होगी. यह सच नहीं है. ग्रोथ और लगातार डिविडेंड पेमेंट के बीच कोई तालमेल बिठाने की जरूरत नहीं है. निवेशक डिविडेंड पेमेंट करने वाली कंपनियों को एक कुशल बल्लेबाज के समान क्वालिटी वाला मान सकते हैं. एक बेहतर बल्लेबाज में न सिर्फ गेंद को सीमा रेखा के बाहर मारने की क्षमता होती है, बल्कि पारी को मजबूत करने के लिए सिंगल लेने और रन जमा करने की भी क्षमता होती है. इसी तरह, डिविडेंड पेमेंट करने वाली कंपनियां न सिर्फ स्टॉक प्राइस में बढ़ोतरी के माध्यम से, बल्कि समय-समय पर लगातार डिविडेंड पेमेंट के माध्यम से रिटर्न बढ़ाने में भी मदद करती हैं.
गलतफहमियों की बात करें तो, कुछ निवेशक यह भी सोच सकते हैं कि डिविडेंड का पेमेंट केवल बड़ी कंपनियों द्वारा किया जाता है. ये मिथक और गलत धारणाएं हैं. मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों सहित अलग अलग मार्केट कैप वाली कंपनियों द्वारा डिविडेंड का पेमेंट किया जा रहा है. इसके अलावा, कैपिटल इंसेंटिव सेक्टर सहित अलग अलग सेक्टर की कंपनियां डिविडेंड देने के लिए जानी जाती हैं. निवेशकों को यह समझना चाहिए कि डिविडेंड रिटर्न में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर जब वे लंबी अवधि में कंपाउंडेड होते हैं.
डिविडेंड से कैसे मिलता है डबल बेनेफिट
मान लिया कि आपके पास किसी कंपनी के 5,000 शेयर हैं और उनमें आपने प्रति शेयर 400 रुपये के लिहाज से 20,00,000 रुपये निवेश किया है. अगर इन शेयरों का सालाना रिटर्न 18 फीसदी है और कंपनी ने निवेशकों को 12 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने का फैसला किया है.
कुल शेयर: 5,000
कुल निवेश: 20,00,000 (20 लाख रुपये)
1 साल का रिटर्न: 15 फीसदी
निवेश पर रिटर्न: 3,00,000 रुपये
डिविडेंड: 12 रु प्रति शेयर
कुल डिविडेंड: 60,000 रुपये
कुल फायदा: 3,00,000 + 60,000 = 3,60,000 रुपये