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अपनी पूरी सेविंग सिर्फ एक बैंक में न लगाएं, एक्सपर्ट से समझिए वजह और बेनिफिट

NICB धोखाधड़ी ने को-ऑपरेटिव बैंकों में जमा राशि की सुरक्षा को लेकर फिर से चिंता बढ़ा दी है. 1962 से अब तक 430 को-ऑपरेटिव बैंकों का दिवालिया होने से लोगों के हजारों करोड़ रुपये खतरे में पड़ गए हैं.

NICB धोखाधड़ी ने को-ऑपरेटिव बैंकों में जमा राशि की सुरक्षा को लेकर फिर से चिंता बढ़ा दी है. 1962 से अब तक 430 को-ऑपरेटिव बैंकों का दिवालिया होने से लोगों के हजारों करोड़ रुपये खतरे में पड़ गए हैं.

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FE Hindi Desk
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1962 में जमा बीमा की शुरुआत के बाद से, लगभग 430 को-ऑपरेटिव बैंक के दिवालिया होने से लोगों के हजारों करोड़ रुपये खतरे में पड़ गए हैं. Photograph: (Pexels)

Do not keep all Fixed Deposits in One Bank: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक (NICB) में हुए घोटाले ने सहकारी बैंकों में जमा राशि की सुरक्षा को लेकर नए सिरे से चिंता पैदा कर दी है. 1962 में जमा बीमा की शुरुआत के बाद से, लगभग 430 को-ऑपरेटिव बैंक के दिवालिया होने से लोगों के हजारों करोड़ रुपये खतरे में पड़ गए हैं.

इन संकटों के कारण मार्च 2024 तक जमा बीमा के रूप में 16,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जबकि कॉमर्शियल बैंकों के लिए यह राशि सिर्फ 296 करोड़ रुपये थी. सबसे बड़ा भुगतान 2022 में पंजाब और महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक के 8,69,000 जमाकर्ताओं को 3,854 करोड़ रुपये का किया गया.

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अगर आप अपनी जीवनभर की कमाई को बैंक में रखना चाहते हैं, तो आपको निवेश के समय ब्याज दर की बजाय सेफ्टी को ध्यान में रखना चाहिए. निवेशकों को अपनी पूरी सेविंग किसी एक बैंक में रखने की बजाय थोड़ा-थोड़ा करके कई बैंकों में जमा करना चाहिए. निवेश के समय ऐसा करके वे जोखिम को कम कर सकते हैं. नसीहत दी जाती है कि निवेशकों को हर एक बैंक में 5 लाख रुपये से कम जमा करना चाहिए, ताकि उन्हें जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) से पूरी सुरक्षा मिल सके. बता दें कि DICGC भारतीय रिजर्व बैंक की एक सब्सिडियरी है.

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अपनी जमा रकम की सुरक्षा का रखें ध्यान

अपनी बचत को सुरक्षित रखने के लिए, लोगों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बड़े निजी बैंकों और स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFB) में अपना पैसा जमा करना चाहिए. उन्हें अपनी अधिकतम बचत एक बड़े सरकारी बैंक में रखनी चाहिए. एक दूसरा बैंक खाता बड़े निजी बैंकों में भी हो सकता है. अगर किसी कारणवश को-ऑपरेटिव बैंक में कुछ पैसे रखना जरूरी हो, तो उसे बहुत कम रखना चाहिए. हालांकि, को-ऑपरेटिव बैंक में 5 लाख रुपये तक DICGC द्वारा बीमित होते हैं, लेकिन अगर बैंक दिवालिया हो जाए तो DICGC से पैसे मिलने तक आपको वित्तीय परेशानी का सामना करना पड़ सकता है

बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं कि लोगों को अपनी बचत को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न बैंकों में पैसा बांटना चाहिए. निवेशकों को इसलिए वह ऐसा करने की नसीहत देते हैं कि अगर एक बैंक वित्तीय समस्याओं का सामना कर रहा हो, तो दूसरे बैंक में जमा आपका पैसा सुरक्षित रह सकें. आदिल निवेशकों को समय-समय पर अपने बैंकों की वित्तीय स्थिति पर नजर रखने की सलाह देते हैं.

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एक से अधिक बैकों में जमा करें पैसे

ध्यान रहे DICGC बीमा फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ -साथ बचत खाता, रिकरिंग डिपॉजिट और करेंट अकाउंट के प्रिंसिपल अमाउंट और ब्याज दोनों को कवर करता है. जब बैंक दिवालिया हो जाता है या रिजर्व बैंक के आदेश होते हैं, तब जमा बीमा लागू होता है. DICGC को दावों की सूची मिलने के बाद, वह दो महीने के अंदर जमाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होता है. ताकि कोई देरी न हो, जमाकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके खाता विवरण और KYC दस्तावेज़ अपडेट हों.

पैसा बाजार के चीफ बिजनेस ऑफिसर गौरव अग्रवाल (अनसिक्योर्ड लेंडिंग) कहते हैं कि कई स्मॉल फाइनेंस बैंक अब भी 8% और उससे अधिक ब्याज दरों पर फिक्स्ड डिपॉजिट दे रहे हैं, इसलिए जमाकर्ता अपने पैसे को कई स्मॉल फाइनेंस बैंक में बांट सकते हैं. निवेशकों को उनकी नसीहत है कि वे अपनी कुल सेविंग को इस तरह करें कि बैंकों में रखने की प्लानिंग करें ताकि किसी भी एक बैंक में 5 लाख रुपये से अधिक निवेश न हो.

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NICB के ग्राहकों को अब क्या करना चाहिए 

पेमेंट समय पर और सही तरीके से हो सकें उसके लिए NICB के ग्राहकों को जो भी निर्देश (mandates) दिए गए हैं, उन्हें सही और अपडेटेड डिटेल के साथ अपडेट करना चाहिए. हर भुगतान के लिए अलग-अलग कागजी कार्रवाई करनी होती है, क्योंकि हर संस्था के पास अपने अलग-अलग फॉर्म होते हैं. AZUKE पर्सनल फाइनेंस एडवाइजरी की फाउंडर चैताली दत्ता कहती हैं कि  संकटग्रस्त बैंक में बाकी बची उधारी को दूसरे उधारदाता के पास ट्रांसफर करना होगा. ईएमआई के लिए, उन्हें अपने उधारदाताओं को सूचित करना होगा और नए बैंक विवरण देना होंगे.

म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के लिए, ग्राहकों को फंड हाउस की वेबसाइट पर जाकर अपने बैंक आदेश को अपडेट करना चाहिए. उपयोगिता बिलों के ऑटो-पे निर्देशों को दूसरे बैंक में स्थानांतरित करना चाहिए, इसके लिए बिलर की वेबसाइट या मोबाइल ऐप का उपयोग किया जा सकता है. जिन लोगों को वेतन या पेंशन मिलती है, उन्हें अपने नियोक्ता और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के साथ अपना खाता विवरण अपडेट करना चाहिए. इसके अलावा, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नए खाते में पर्याप्त राशि जमा हो ताकि लेन-देन में कोई समस्या न आए.

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(Credit: Saikat Neogi)

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