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Mutual Fund: टॉप 10 ELSS स्कीम ने 5 साल में दिया 38% तक रिटर्न, सिर्फ टैक्स बचाना ही नहीं है इनका काम

Mutual Fund for Tax Saving : ELSS में सिर्फ टैक्स बचाने के लिए ही नहीं, बेहतर रिटर्न के लिए भी निवेश किया जा सकता है. टॉप 10 ELSS फंड्स के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं.

Mutual Fund for Tax Saving : ELSS में सिर्फ टैक्स बचाने के लिए ही नहीं, बेहतर रिटर्न के लिए भी निवेश किया जा सकता है. टॉप 10 ELSS फंड्स के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं.

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Viplav Rahi
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Top ELSS Funds : टॉप इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स ने पिछले 5 साल में शानदार रिटर्न दिए हैं. (Image : Financial Express)

ELSS for Tax Saving and Wealth Creation: टैक्स सेविंग के लिए निवेश की बात आने पर सबसे पहले पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (Tax Saving Bank FD), नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के टियर 1 अकाउंट और एंप्लाईज प्रॉविडेंट फंड (EPF) जैसी स्कीम का जिक्र होता है. इन तमाम योजनाओं में निवेश करने पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. लेकिन  इनमें से अधिकांश स्कीम में सालाना रिटर्न की दर 7-8 फीसदी के आसपास ही रहती है. फिर भी पूंजी की सुरक्षा और टैक्स बचाने के लिए लोग इनमें निवेश करते हैं. इन लोकप्रिय स्कीम के अलावा इनवेस्टमेंट का एक और ऑप्शन है, जो टैक्स सेविंग के लिए काफी पॉपुलर हो रहा है. निवेश का यह विकल्प है इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS). तो आइए समझते हैं इसमें निवेश का नफा-नुकसान. 

ELSS में क्यों करें निवेश

इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) का मतलब है, ऐसी म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) स्कीम, जिसके जरिये मुख्य तौर पर शेयर बाजार में निवेश किया जाता है. सेबी के नियम के मुताबिक ELSS फंड का कम से कम 80% हिस्सा इक्विटी में निवेश करना जरूरी है. हकीकत में यह हिस्सेदारी इससे भी कहीं ज्यादा रहती है. इक्विटी में बड़े एक्सपोजर की वजह से ही इस स्कीम में हाई रिटर्न की उम्मीद रहती है. टैक्स सेविंग ELSS में हर साल 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. इस स्कीम में टैक्स सेविंग के लिए किए गए निवेश पर 3 साल का लॉक-इन पीरियड भी लागू होता है. यानी निवेश को कम से कम 3 साल तक बनाए रखना जरूरी है. 3 साल के बाद अगर आप स्कीम की यूनिट्स को बेचकर अपने पैसे निकाल लेते हैं, तो उस पर होने वाले प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाता है.

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ELSS पर कितना लगता है टैक्स

ELSS की यूनिट्स बेचने पर एक वित्त वर्ष के दौरान हुए 1.25 लाख रुपये तक के मुनाफे पर कोई LTCG टैक्स नहीं लगता. मुनाफा 1.25 लाख रुपये से ज्यादा होने पर 12.5% की दर से LTCG टैक्स देना होता है. इसके बावजूद ऊंचे टैक्स स्लैब में आने वाले टैक्सपेयर्स के लिए यह फायदे की बात है, क्योंकि उन्हें अपने स्लैब रेट की बजाय 12.5% के हिसाब से ही टैक्स भरना पड़ता है. अच्छी बात यह भी है कि 80C के तहत उपलब्ध सभी टैक्स सेविंग ऑप्शन्स में ELSS का 3 साल का लॉक-इन पीरियड सबसे कम है. यानी लिक्विडिटी के लिहाज से भी यह स्कीम सबसे बेहतर है. साथ ही ELSS में आप SIP के जरिये भी पैसे लगा सकते हैं, जिससे मार्केट में निवेश की गलत टाइमिंग से जुड़े रिस्क को कम करने में मदद मिलती है. अच्छी बात ये है कि ELSS में सिर्फ टैक्स बचाने के लिए ही नहीं, बेहतर रिटर्न के लिए भी निवेश किया जा सकता है. टॉप 10 ELSS फंड्स के नीचे दिए आंकड़े इसका सबूत हैं. 

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टॉप ELSS फंड्स का पिछला प्रदर्शन 

देश की टॉप 10 इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) ने पिछले 5 साल के दौरान शानदार रिटर्न दिए हैं. इनमें से कुछ फंड्स का औसत सालाना रिटर्न तो 30% से भी अधिक रहा है. ELSS पर मिलने वाले टैक्स बेनिफिट को ध्यान में रखकर देखें, तो यह रिटर्न और भी आकर्षक नजर आएगा. सभी स्कीम्स के आंकड़े डायरेक्ट स्कीम के सालाना औसत रिटर्न के हैं.


1. Quant ELSS Tax Saver (Direct)

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 38.18%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न : 38.33%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 11,065 करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो : 0.71%


2. Bank of India ELSS Tax Saver Fund Dir

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 30.67%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न : 31.82%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 1,485 करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो :  0.96%


3. SBI Long Term Equity Fund (Direct)

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 28.52%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न : 34.02%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 27,527 करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो : 0.95%


4. Motilal Oswal ELSS Tax Saver (Direct)

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 27.20%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न : 33.43%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 3,835 करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो : 0.65%


5. Bandhan ELSS Tax Saver (Direct)

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 26.93%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न : 29.36%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 7,179 करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो : 0.63%

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6. JM ELSS Tax Saver (Direct)

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 26.72%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न : 31.58%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 173 करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो : 1.13%


7. Parag Parikh ELSS Tax Saver (Direct)

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 26.40%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न : 27.83%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 4,017 करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो : 0.62%


8. DSP ELSS Tax Saver (Direct)

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 26.07%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न : 30.05%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 17,268 करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो : 0.69%


9. Canara Robeco ELSS Tax Saver (Direct)

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 25.09%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न :26.03%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 8,876 करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो : 0.51%


10. Mirae Asset ELSS Tax Saver (Direct)

5 साल में एकमुश्त निवेश पर रिटर्न : 24.99%

5 साल में SIP निवेश पर रिटर्न : 26.84%

एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): करोड़ रुपये

एक्सपेंस रेशियो : 0.58%

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रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखकर करें फैसला

ऊपर दिए टॉप 10 ELSS फंड्स के रिटर्न के आंकड़ों से पता चलता है कि ELSS में निवेश करने पर टैक्स बेनिफिट के साथ ही साथ लंबे अरसे में वेल्थ क्रिएशन का लाभ भी मिलता है. लेकिन इसमें निवेश का फैसला निवेशकों को अपने रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखते हुए ही करना चाहिए, क्योंकि इक्विटी लिंक्ड स्कीम होने के कारण इसमें बाजार से जुड़ा रिस्क हमेशा बना रहता है. टॉप 10 ELSS स्कीम के आंकड़े यह भी बताते हैं कि SIP पर मिलने वाला रिटर्न, एकमुश्त निवेश के रिटर्न से आमतौर पर बेहतर है और इसमें कॉस्ट एवरेजिंग का लाभ भी मिलता है. इसके अलावा यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि ईएलएसएस में लॉक इन पीरियड भले ही 3 साल का हो, लेकिन निवेश का पूरा फायदा लंबी अवधि यानी 5-7 साल या उससे ज्यादा समय तक रेगुलर इनवेस्टमेंट करते रहने पर ही मिलता है. 

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सिफारिश करना नहीं है. इक्विटी म्यूचुअल फंड के साथ मार्केट रिस्क हमेशा जुड़ा रहता है. कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने और अपने निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)

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