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SGBs in Stock Market: SGB को किसी लिस्टेड सिक्योरिटी की तरह स्टॉक मार्केट में खरीदा और बेचा जा सकता है. (Image : Pixabay)
Trading of SGBs in Stock Market: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को भारतीय निवेशकों के लिए सुरक्षित औऱ बेहतर रिटर्न देने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शन में शामिल किया जाता है. इसे भारत सरकार की तरफ से रिजर्व बैंक (RBI) जारी करता है. आरबीआई की परचेजिंग विंडो बंद होने के बाद SGB को किसी लिस्टेड सिक्योरिटी की तरह स्टॉक मार्केट से भी खरीदा जा सकता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड न सिर्फ सोने में निवेश का बेहतर तरीका है, बल्कि निवेशकों के पोर्टफोलियो को मजबूत और डायवर्सिफाई करने वाला विकल्प भी माना जाता है. सबसे अच्छी बात यह है कि SGB में निवेश करने वालों को सोने के बाजार भाव में होने वाली बढ़ोतरी के आधार पर कैपिटल गेन तो होता ही है, साथ ही निवेश पर इंटरेस्ट भी मिलता है. यही वजह है कि यह निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय है. लेकिन सरकार पिछले काफी अरसे से SGB का नया इश्यू लेकर नहीं आई है, जिसके कारण इसमें निवेश करने के लिए बहुत से लोग स्टॉक मार्केट का रुख कर रहे हैं.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की खरीद-फरोख्त कैसे करें?
SGB की खरीद-फरोख्त दो तरीकों से की जा सकती है:
1. प्राइमरी मार्केट से : सरकार जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के जरिये सॉरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) जारी करती है, तो उसके लिए एक विंडो खुलती है जिसमें निवेशक सीधे इन बॉन्ड्स को खरीद सकते हैं. यह विंडो आमतौर पर साल में कुछ बार खुलती है.
2. सेकेंडरी मार्केट यानी स्टॉक एक्सचेंज से: अगर आप SGB को प्राइमरी इश्यू के दौरान नहीं खरीद पाए, तो आप इन्हें सेकेंडरी मार्केट यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) जैसे स्टॉक एक्सचेंज के जरिये भी खरीद सकते हैं. सेकेंडरी मार्केट में SGB की कीमतें उनकी बाजार में डिमांड और सप्लाई पर निर्भर होती हैं और अक्सर ये सोने की मौजूदा कीमत से कम पर ट्रेड होते हैं.
स्टॉक मार्केट से कैसे खरीदें SGB:
अगर आप स्टॉक मार्केट से SGB खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको इन स्टेप्स पर अमल करना होगा:
- 1. डीमैट अकाउंट खोलें: सबसे पहले आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना जरूरी है.
- 2. स्टॉक एक्सचेंज पर लॉगिन करें: अपने डीमैट अकाउंट के माध्यम से NSE या BSE के प्लेटफॉर्म पर लॉगिन करें.
- 3. SGB का स्क्रिप कोड ढूंढें: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के लिए आपको अपने डीमैट अकाउंट में लॉगिन करने के बाद SGB का स्क्रिप कोड (SGB scrip code) खोजना होगा.
- 4. ऑर्डर प्लेस करें: स्क्रिप कोड चुनने के बाद, खरीदने का ऑर्डर (buy order) प्लेस करें. यह ऑर्डर टी+1 दिन (T+1 working day) में सेटल हो जाएगा और बॉन्ड्स आपके डीमैट अकाउंट में आ जाएंगे.
SGB में स्टॉक एक्सचेंज के जरिये निवेश के फायदे
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को अगर आप इश्यू करते समय नहीं खरीद पाए, तो स्टॉक मार्केट आपको इनमें निवेश का एक और मौका देता है. सरकारी गारंटी की वजह से इनमें निवेश पूरी तरह सुरक्षित है.
स्टॉक मार्केट में SGB की खरीद-फरोख्त आसानी से की जा सकती है, जिससे निवेशकों को लिक्विडिटी का लाभ मिलता है. यानी वे जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड बेचकर अपने पैसे निकाल सकते हैं.
SGB में निवेश चाहे बॉन्ड इश्यू के समय खरीदकर किया जाए, या स्टॉक्स एक्सचेंज के जरिये, उसमें किए गए निवेश पर आपको सिर्फ सोने की कीमतें बढ़ने की वजह से कैपिटल गेन ही नहीं होता, आपको अपनी पूंजी पर सालाना 2.5% की दर से फिक्स्ड इंटरेस्ट भी मिलता है.
अगर आप स्टॉक मार्केट से खरीदने के बाद SGB को उसके मेच्योरिटी तक अपने पास ही रखते हैं औऱ RBI के रिडेंप्शन विंडो में सरेंडर करते हैं, तो कैपिटल गेन्स टैक्स पर छूट का लाभ भी ले सकते हैं.
डीमैट फॉर्म में मौजूद SGB को स्टॉक एक्सचेंज के जरिये ट्रेड और ट्रांसफर किया जा सकता है.
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SGB में निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
हालांकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेश के कई फायदे हैं, लेकिन इसमें निवेश करने से पहले कुछ ऐसी बातों पर भी गौर करना जरूरी है, जिससे कुछ लोगों को दिक्कत हो सकती है.
लंबी लॉक-इन अवधि: SGB की परिपक्वता अवधि 8 साल होती है. हालांकि 5वें साल के बाद एग्जिट यानी अपने पैसे निकालने की सुविधा मिलती है, लेकिन यह अवधि भी कुछ निवेशकों के लिए लंबी हो सकती है.
सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी की कमी : जो निवेशक SGB को मैच्योरिटी से पहले बेचना चाहते हैं, वे स्टॉक मार्केट के जरिये ऐसा कर सकते हैं, लेकिन इसकी लिक्विडिटी, आमतौर पर प्रमुख कंपनियों के शेयर्स के मुकाबले कम रहती है. इस वजह से हो सकता है, जब निवेशक इन्हें मार्केट में बेचने जाए तो उसे सही भाव न मिले.
मार्केट रिस्क: SGB की कीमतें फिजिकल गोल्ड के बाजार भाव पर निर्भर करती हैं, और सोने की कीमतों में गिरावट के कारण निवेशकों को नुकसान हो सकता है.
SGB पर किस हिसाब से लगता है टैक्स
कैपिटल गेन्स टैक्स : अगर आप SGB को 8 साल के मैच्योरिटी पीरियड से पहले बेचते हैं, तो उस पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) लागू होता है. जबकि 8 साल बाद वापस आरबीआई के रिडेंप्शन ऑफर के जरिये बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स से सौ फीसदी छूट मिल जाती है.
LTCG और STCG के लिए होल्डिंग पीरियड : जानकारों के मुताबिक SGB एक लिस्टेड सिक्योरिटी है. लिहाजा इसे एक साल से ज्यादा होल्ड करने के बाद बेचने पर हुए प्रॉफिट पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देना होगा. जबकि एक साल से पहले बेचने पर होने वाला मुनाफा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा, जिस पर टैक्सपेयर के स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देना होगा.