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EPF और PPF, दोनों ही रिटायमेंट बेनिफिट वाली स्कीम्स हैं. (AI Image : Gemini)
EPF vs PPF Calculator: रिटायरमेंट के लिए निवेश करने वालों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि EPF या PPF में से कौन सी योजना ज्यादा लाभदायक है? दोनों ही सरकारी स्कीम्स हैं और बेहतर रिटर्न देती हैं, लेकिन ब्याज दर, निवेश की शर्तें और टैक्स छूट इन्हें एक-दूसरे से अलग बनाती हैं. अगर आप हर साल 60,000 रुपये यानी 5,000 रुपये मंथली निवेश करते हैं, तो 15 साल बाद किस योजना से ज्यादा रिटर्न मिलेगा? यह समझने से पहले जानिए EPF और PPF क्या है?
EPF क्या है?
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) एक सरकारी रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है जिसे EPFO मैनेज करता है. इसमें नौकरीपेशा व्यक्ति और उसका एंप्लायर यानी कंपनी हर महीने बेसिक सैलरी का 12-12% जमा करते हैं. ध्यान देने वाली बात है कि कंपनी के कॉन्ट्रिवब्यूशन दो हिस्सों में बंटता है. इसका 3.67 हिस्सा हर महीने EPF में और बाकी 8.33% हिस्सा EPS स्कीम में जमा होता है. यह स्कीम सुरक्षित निवेश और टैक्स बचत दोनों का लाभ देती है.
वित्त वर्ष 2024-25 में EPF पर 8.25% वार्षिक ब्याज मिल रहा है, जो हर साल 31 मार्च को खाते में जोड़ा जाता है. EPF खाते को धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है और आधार से लिंक करना अनिवार्य है. अगर 36 महीने तक कॉन्ट्रिवब्यूशन नहीं होता, तो ये अकाउंट डीएक्टिवेट हो जाता है. इसमें रिटायरमेंट से पहले शिक्षा, शादी या मकान के लिए आंशिक निकासी की सुविधा भी है. कुल मिलाकर, EPF नौकरीपेशा लोगों के लिए रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा और स्थिर रिटर्न का भरोसेमंद साधन है.
PPF क्या है?
सरकार समर्थित लंबी अवधि वाली सेविंग स्कीम पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public Provident Fund - PPF) न सिर्फ सुरक्षित निवेश का विकल्प है, बल्कि टैक्स सेविंग का भी बेहतरीन जरिया है. इसमें एक वित्त वर्ष में मिनिमम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक जमा किया जा सकता है. PPF खाते पर तीसरे वित्त वर्ष से लेकर छठे वर्ष तक लोन की सुविधा उपलब्ध होती है, जबकि सातवें वर्ष से हर साल आंशिक निकासी की अनुमति मिलती है. यह खाता खुलने वाले साल के अंत से 15 पूरे वित्त वर्ष पूरे होने पर मेच्योर (mature) होता है. यानी इसकी मैच्योरिटी 15 साल होती है. मैच्योरिटी पूरी होने के बाद खाता धारक इसे 5-5 साल के ब्लॉक में आगे बढ़ा सकता है, और चाहे तो बिना नई जमा राशि के अनिश्चित काल तक खाते को चालू रख सकता है, जिस पर ब्याज मिलता रहेगा. इस योजना में जमा राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है, जबकि खाते पर अर्जित ब्याज भी धारा 10 के तहत पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है.
EPF और PPF, दोनों ही लंबी अवधि वाली सेविंग स्कीम्स हैं जो रिटायरमेंट के समय आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं. EPF सिर्फ सैलरीड कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है और इसे EPFO मैनेज करता है. वहीं PPF में कोई भी व्यक्ति निवेश कर सकता है और यह केंद्र सरकार की स्कीम है.
कितनी है ब्याज दरें
फिलहाल EPF में सालाना 8.25% ब्याज मिल रहा है और PPF में अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए सालाना 7.1% ब्याज दर है. दोनों स्कीम्स पर ब्याज पूरी तरह सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है और निवेशक को टैक्स में छूट का लाभ मिलता है.
निवेश लिमिट और विथड्रॉल नियम
जैसा कि हम जानते हैं EPF में हर महीने बेसिक सैलरी का 12% जमा किया जाता है. आंशिक निकासी शिक्षा, शादी या घर बनाने जैसे उद्देश्यों के लिए संभव है.
वहीं PPF में हर वित्त वर्ष में मिनिमम 500 रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है. इसकी मैच्योरिटी 15 साल की होती है.
हर साल 60,000 रुपये निवेश पर कहां ज्यादा फायदा?
मान लीजिए अगर कोई शख्स हर महीने 5,000 रुपये यानी सालाना 60,000 रुपये निवेश करे, तो 15 साल बाद मैच्योरिटी अमाउंट इस प्रकार होंगे.
| स्कीम | कुल निवेश | ब्याज दर | अनुमानित मैच्योरिटी अमाउंट | ब्याज से कमाई |
| EPF | 9 लाख | 8.25% | 17,81,195 रुपये | लगभग 8,81,195 रुपये |
| PPF | 9 लाख | 7.1% | 16,27,284 रुपये | करीब 7,27,284 रुपये |
समान पीडियड में समान निवेश पर EPF में ब्याज से कमाई पीपीएफ की तुलना में बेहतर है क्योंकि इसमें ब्याज दर अधिक है और कंपाउंडिंग से रिटर्न भी ज्यादा बनता है. लेकिन यदि आप नौकरीपेशा नहीं हैं, तो PPF एक भरोसेमंद और सुरक्षित स्कीम है जो टैक्स बचत के साथ स्थिर रिटर्न देती है.
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