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ईपीएफ (EPF) लंबी अवधि में कर्मचारियों के लिए बेहद सुरक्षित और बड़ा रिटायरमेंट फंड तैयार कर सकता है, बशर्ते बीच में पैसे न निकाले जाएं. (AI Image)
EPFO Calculator: अगर आप नौकरी कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि रिटायरमेंट के लिए कितनी बचत करनी चाहिए, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है. अक्सर लोग पेंशन या रिटायरमेंट फंड की तरफ ध्यान नहीं देते. लेकिन थोड़ी समझदारी और नियमित निवेश से आप 58 साल की उम्र तक करोड़ों का रिटायरमेंट फंड तैयार कर सकते हैं. खासकर संगठित क्षेत्र में अच्छी सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए यह काफी आसान है. उदाहरण के तौर पर, अगर कोई कर्मचारी अपने करियर की शुरुआत 36,000 रुपये बेसिक सैलरी से करता है, तो ईपीएफओ (EPFO) के अनुसार उसकी रिटायरमेंट तक 4 करोड़ रुपये से अधिक का कॉर्पस बन सकता है. आइए जानते हैं कैसे.
संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की सैलरी का एक हिस्सा ईपीएफओ खाते में हर महीने अपने आप जमा हो जाता है. इसके साथ ही कंपनी भी उसी राशि के अनुसार योगदान देती है. हालांकि कंपनी का योगदान दो हिस्सों में बंटता है.
कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 12% ईपीएफ खाते में जमा करता है. वहीं, कंपनी की ओर से कर्मचारी के नाम पर जमा की जाने वाली राशि का 3.67% ईपीएफ खाते में जाता है और बाकी 8.33% एक खास पेंशन योजना EPS (Employees’ Pension Scheme) में चला जाता है.
यानी नौकरी के दौरान संगठित क्षेत्र में काम करने वाले हर कर्मचारी का यह योगदान लगातार चलता रहता है. समय के साथ, इस नियमित निवेश और सरकारी ब्याज के कारण आपका EPF अकाउंट रिटायरमेंट तक बड़ा कॉर्पस तैयार कर देता है, साथ ही EPS से पेंशन का लाभ भी मिलता है.
क्या है EPF?
EPF यानी कर्मचारी भविष्य निधि एक रिटायरमेंट बचत योजना है, जिसे EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) चलाता है. इस योजना के तहत कर्मचारी और कंपनी या एंप्लॉयर दोनों योगदान करते हैं. कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 12% और कंपनी या एंप्लॉयर 3.67% (बेसिक सैलरी का) EPF में जमा करता है.
शुरू में यह राशि छोटी लग सकती है, लेकिन अगर आप इसे 58 साल की उम्र तक नियमित रूप से जमा करते रहें, तो यह आपके रिटायरमेंट के लिए काफी बड़ा फंड बन सकता है.
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EPF और दूसरी बचत योजनाओं में फर्क PPF (Public Provident Fund) और NPS (National Pension System) में निवेश के विकल्प ज्यादा लचीले हैं, लेकिन EPF एक जरूरी योगदान है. इसका फायदा यह है कि यह अपने आप निवेश की आदत डाल देता है. इसके अलावा, सरकार EPF पर निश्चित ब्याज भी देती है. EPS (Employees’ Pension Scheme) के जरिए पेंशन और बीमा जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं.
EPF में योगदान कैसे किया जाता है?
- कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 12% EPF में जमा करता है.
- कंपनी या एंप्लॉयर भी 12% योगदान देता है, जिसमें से 8.33% EPS में जाता है और बाकी 3.67% EPF अकाउंट में.
- EPS से भविष्य में पेंशन का लाभ मिलता है.
- फिलहाल EPF पर सरकार 8.25% सालाना ब्याज देती है.
EPFO: कैसे बन सकता है 4 करोड़ का रिटायरमेंट कॉर्पस
उदाहरण से समझिए
अगर कोई कर्मचारी 25 साल की उम्र में नौकरी शुरू करता है और उसकी शुरुआती मासिक आय 60,000 रुपये है, जिसमें बेसिक सैलरी 36,000 रुपये शामिल हैं.
नियमों के अनुसार, ईपीएफ खाते में बेसिक सैलरी का 12% कर्मचारी की ओर से हर महीने कॉन्ट्रिब्यूशन जमा हो रहा है. यानी बेसिक सैलरी का 12% यानी मंथली 4320 रुपये ईपीएफ खाते में कर्मचारी की ओर से जमा हो रहा है और इसी खाते में कंपनी की ओर से 3.67% हिस्सा यानी 1321 रुपये भी जमा हो रहा
कुल EPF अकाउंट में हर महीने 5641 रुपये जमा हो रहे हैं. एक सा बाद बेसिक सैलरी में औसतन 10% इंक्रीमेंट मिलने पर यह कॉन्ट्रिब्यूशन और बढ़ भी रहा है. और ऐसा हर साल हो रहा है. इसके अलावा ईपीएफ खाते में जमा रकम पर ईपीएफओ अपने सदस्यों को ब्याज भी देता है. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यह दर 8.25% तय की गई है.
सैलरी ग्रोथ और ब्याज को जोड़कर देखा जाए, तो 58 साल की उम्र तक कर्मचारी के खाते में 4 करोड़ रुपये से अधिक का रिटायरमेंट कॉर्पस तैयार हो जाएगा.
कर्मचारी की उम्र: 25 साल
रिटायरमेंट होने की उम्र : 58 साल
नौकरी: 33 साल (रिटायरमेंट की उम्र तक)
बेसिक और डीए मिलाकर मंथली सैलरी : 36,000 रुपये
सैलरी में सालाना इंक्रीमेंट: 10%
ईपीएफ खाते में कर्मचारी का कॉन्ट्रिब्यूशन : 12%
ईपीएफ खाते में कंपनी की ओर से मंथली जुड़ने वाला कॉन्ट्रिब्यूशन : 3.67%
ईपीएफ खाते पर औसत ब्याज : 8.25% सालाना
33 साल बाद कुल जमा
रिटायरमेंट पर कुल ईपीएफ बैलेंस: 4,39,60,954 रुपये (58 साल की उम्र पूरी कर लेने के बाद ईपीएफओ मेंबर के ईपीएफ खाते में कुल बैलेंस )
जिसमें
कर्मचारी कॉन्ट्रिब्यूशन - 1,26,73,647 रुपये यानी करीब 1 करोड़ 27 लाख रुपये
कंपनी कॉन्ट्रिब्यूशन - 38,76,026 रुपये यानी करीब 39 लाख रुपये
जमा पर ब्याज और ब्याज पर ब्याज - 2,74,11,281 रुपये यानी 2 करोड़ 74 लाख रुपये
(नोट: इस कैलकुलेशन में ईपीएफओ के कैलकुलेटर की मदद ली गई है.)
25 साल की उम्र में नौकरी शुरू करने वाला कर्मचारी अगर 58 साल की उम्र तक लगातार कॉन्ट्रिब्यूशन करता है, तो उसकी ओर से ईपीएफ खाते में लगभग 1.27 करोड़ रुपये का कुल कॉन्ट्रिब्यूशन जमा होगा. कंपाउंडिंग इंटरेस्ट और समय के साथ मिलने वाले रिटर्न के चलते यह राशि रिटायरमेंट तक बढ़कर लगभग 4.39 करोड़ रुपये हो जाएगी. यानी अगर आप अपने पीएफ खाते से एडवांस पैसे नहीं निकालते और इसे लंबी अवधि के लिए निवेशित रहने देते हैं, तो यह आपके बुढ़ापे की वित्तीय सुरक्षा का मजबूत सहारा बन सकता है. यही वजह है कि ईपीएफओ हमेशा सलाह देता है कि पीएफ खाते को बैंक खाते की तरह इस्तेमाल न करें और रकम सिर्फ आपात स्थिति या योजना में बताए गए कारणों से ही निकालें.
EPS पेंशन स्कीम का भी मिलेगा फायदा
कंपनी या एंप्लॉयर की ओर से 8.33% कॉन्ट्रिब्यूशन EPS पेंशन स्कीम में भी हर महीने जमा हो रहता है, जिससे भविष्य में पेंशन मिलती है.
वर्तमान नियमों के अनुसार EPS में मिनिमम पेंशन मंतली 1,000 रुपये है.
पेंशन की राशि आपके सैलरी और सेवा के समय पर निर्भर करती है.
पीएफ खाते को ‘बचत बैंक’ न समझें, EPFO की नसीहत
संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों, खासकर प्राइवेट जॉब करने वालों के लिए ईपीएफओ (EPFO) ने अहम सलाह दी है. संगठन का कहना है कि कर्मचारी अपने भविष्य निधि (PF) खाते को रोज़मर्रा की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने वाला बैंक खाता न समझें. ईपीएफ खाता दरअसल रिटायरमेंट कॉर्पस तैयार करने के लिए बनाया गया है, ताकि बुढ़ापे में कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा मिल सके. यही वजह है कि ईपीएफओ अपने सदस्यों को सलाह देता है कि वे खाते से एडवांस निकासी सिर्फ बेहद ज़रूरी स्थिति में ही करें. साथ ही, यह निकासी केवल उन्हीं कारणों के लिए की जानी चाहिए जिन्हें योजना में विशेष तौर पर निर्धारित किया गया है.
10 साल नौकरी पूरी, तो रिटायरमेंट पर पेंशन के हैं हकदार
ईपीएफओ से जुड़े कर्मचारी अगर 10 साल की नौकरी पूरी कर चुके हैं तो उन्हें रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) के तहत पेंशन का हक मिल जाता है. ईपीएफओ (EPFO) द्वारा मैनेज की जाने वाली यह स्कीम साल 1995 में शुरू हुई थी और इसका मकसद ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर के कर्मचारियों को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा देना है. योजना के नियमों के मुताबिक, पेंशन का लाभ तभी मिलेगा जब नौकरी का कार्यकाल कम से कम 10 साल का हो. हालांकि पेंशन की रकम का भुगतान केवल 58 साल की उम्र पूरी होने के बाद ही शुरू होगा.