/financial-express-hindi/media/media_files/Ea7RT5nmtUPG6fFLBnvd.jpg)
EPFO का बड़ा फैसला: आसान हुई निकासी, अब 100% बैलेंस निकाल सकेंगे मेंबर. (File Photo : Financial Express)
EPFO Big Update 2025: ईपीएफओ ने अपने 238वें सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की बैठक में कई अहम फैसले लिए हैं, जिनसे 30 करोड़ से ज्यादा मेंबर्स को सीधा फायदा होगा. अब कर्मचारी अपने खाते से 100% "एलिजिबल बैलेंस" यानी कर्मचारी और एंप्लॉयर दोनों हिस्से को निकाल सकेंगे. इसके अलावा आंशिक निकासी के नियमों को आसान और पारदर्शी बनाया गया है, ताकि किसी सदस्य को ज़रूरत के समय पैसे निकालने में कोई दिक्कत न हो. ये तमाम बड़े फैसले केंद्रीय श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में हुई एंप्लॉईज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (Employees Provident Fund Organization) के बोर्ड की बैठक में लिए गए.
अब मिलेगी पूरा बैलेंस निकालने की सुविधा
बैठक में ईपीएफ (EPF) स्कीम के आंशिक निकासी (Partial Withdrawal) से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव करने का फैसला किया गया है. अब तक निकासी के लिए अलग-अलग स्थितियों में 13 तरह के नियम थे, जिन्हें अब मिलाकर तीन आसान कैटेगरी में बांटा गया है — आवश्यक जरूरतें (जैसे बीमारी, शिक्षा, शादी), हाउसिंग की जरूरतें और विशेष परिस्थितियां.
अब सदस्य चाहें तो अपने खाते में जमा 100% "एलिजिबल बैलेंस" तक की रकम निकाल सकते हैं, जिसमें कर्मचारी और एंप्लॉयर दोनों का हिस्सा शामिल रहेगा. पहले शादी और शिक्षा जैसे कारणों के लिए कुल तीन बार तक ही निकासी की अनुमति थी, लेकिन अब शादी के लिए 5 बार और शिक्षा के लिए 10 बार तक निकासी की जा सकेगी.
इसके अलावा, मिनिमम सर्विस पीरियड को भी घटाकर सिर्फ 12 महीने कर दिया गया है. यानी जो सदस्य एक साल से नौकरी में हैं, वे भी आंशिक निकासी (Partial Withdrawal) के हकदार होंगे. अब "स्पेशल सर्कम्सटांसेस" यानी विशेष हालात (जैसे प्राकृतिक आपदा, बेरोजगारी या महामारी) में कारण बताने की ज़रूरत नहीं होगी.
25% मिनिमम बैलेंस का नियम होगा लागू
EPFO की बैठक में यह भी तय किया गया कि हर सदस्य के खाते में कम से कम 25% रकम "मिनिमम बैलेंस" के रूप में रखी जाएगी. इसका मतलब है कि सदस्य को अपनी सारी रकम निकालने की बजाय कुछ हिस्सा खाते में छोड़ना होगा, ताकि उस पर 8.25% वार्षिक ब्याज और कंपाउंडिंग का लाभ मिलता रहे. यह कदम सदस्यों को तत्काल ज़रूरत और भविष्य की बचत के बीच संतुलन बनाने में मदद करेगा.
नए नियमों के बाद आंशिक निकासी के लिए किसी तरह के डॉक्यूमेंट्स की जरूरत नहीं होगी और दावे पूरी तरह ऑटोमैटिक तरीके से निपटाए जाएंगे. यानी अब 100% ऑटो सेटलमेंट की सुविधा मिलेगी.
Also read : NFO Alert : सोने में निवेश का नया मौका, इस गोल्ड ईटीएफ के न्यू फंड ऑफर में खुला सब्सक्रिप्शन
विवाद घटाने के लिए विश्वास स्कीम
ईपीएफओ ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए "विश्वास स्कीम" की शुरुआत की है. इस योजना के तहत विलंबित पीएफ भुगतान पर लगने वाले दंड (पेनाल्टी) को काफी कम किया गया है. पहले ये दरें 5% से 25% तक थीं, जो पुराने मामलों (2008 से पहले) में 37% तक जाती थीं. अब इसे घटाकर केवल 1% प्रति माह कर दिया गया है.
अगर किसी एंप्लॉयर का भुगतान दो महीने तक लेट है, तो उस पर 0.25% की दर से पेनाल्टी लगेगी, और चार महीने तक के लिए यह 0.50% होगी. स्कीम फिलहाल छह महीने के लिए लागू की गई है, जिसे आगे छह महीने और बढ़ाया जा सकता है.
इस कदम से करीब 6,000 चल रहे मुकदमे और 21,000 संभावित विवाद खत्म हो सकेंगे. इससे एंप्लॉयर्स पर कानूनी बोझ घटेगा और कर्मचारियों को उनके बकाया का जल्दी भुगतान मिलेगा.
Also read : Nippon India Growth Mid Cap Fund : क्या 1000 की एसआईपी से बन सकते हैं 2.5 करोड़ रुपये?
पेंशनर्स के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट की सुविधा
बैठक में ईपीएफओ और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के बीच एक समझौते को भी मंजूरी दी गई, जिसके तहत ईपीएस’95 पेंशनर्स अब घर बैठे डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जमा कर सकेंगे. यह सेवा पूरी तरह मुफ्त होगी और इसका खर्च ईपीएफओ वहन करेगा. ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बुजुर्गों को इसका सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा.
इस पहल का मकसद पेंशनर्स की जिंदगी को आसान बनाना, पेंशन का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना और परिवार पेंशन शुरू करने की प्रक्रिया को तेज करना है.
EPFO का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर जोर
बैठक में ईपीएफओ 3.0 के तहत डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन फ्रेमवर्क को भी मंजूरी दी गई. इससे ईपीएफओ की सेवाएं बैंकिंग स्तर पर और तेज़ तथा सुरक्षित बनेंगी. इसमें कोर बैंकिंग सॉल्यूशन, क्लाउड-बेस्ड सिस्टम और ऑटोमेटेड क्लेम सेटलमेंट शामिल हैं.
इससे ईपीएफओ में मेंबर्स को इंस्टेंट विदड्रॉल, मल्टीलिंगुअल सेल्फ सर्विस और पारदर्शी योगदान प्रक्रिया मिलेगी. इसके साथ ही "पासबुक लाइट" और "ऑनलाइन एनएक्सचर K" जैसे डिजिटल फीचर्स भी लॉन्च किए गए हैं, जिनसे मेंबर अपने खाते की जानकारी कहीं से भी देख पाएंगे.
ईपीएफओ के ये नए नियम कर्मचारियों के लिए “आसान, तेज और भरोसेमंद” प्रणाली की दिशा में बड़ा कदम हैं. इससे न केवल सदस्यों को तत्काल आर्थिक जरूरतों में मदद मिलेगी बल्कि उनकी रिटायरमेंट सेविंग्स भी सुरक्षित रहेंगी. डिजिटल सुधारों से कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी और शिकायतों में कमी आएगी.