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EPFO की वेज सीलिंग लिमिट बढ़ाए जाने की चर्चा, क्या है इसका मतलब? उदाहरण की मदद से समझें आप पर क्या होगा असर?

EPS contribution limit may be hiked : ऐसी खबरें चर्चा में हैं कि केंद्र सरकार ईपीएफओ के तहत वेज सीलिंग लिमिट बढ़ाकर 21,000 रुपये कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो इसका आप पर क्या असर पड़ सकता है?

EPS contribution limit may be hiked : ऐसी खबरें चर्चा में हैं कि केंद्र सरकार ईपीएफओ के तहत वेज सीलिंग लिमिट बढ़ाकर 21,000 रुपये कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो इसका आप पर क्या असर पड़ सकता है?

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Viplav Rahi
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EPFO के तहत वेज सीलिंग लिमिट को बढ़ाए जाने की चर्चा जोरों पर है. अगर ऐसा हुआ तो इसका आप पर क्या असर होगा? (File Photo : Financial Express)

EPS contribution limit may be hiked: How it can impact you : केंद्र सरकार ईपीएफओ (EPFO) के तहत वेज सीलिंग लिमिट को बढ़ाकर 21,000 रुपये प्रति माह कर सकती है, ऐसी खबरें आजकल काफी चर्चा में हैं. हालांकि इन खबरों की अभी किसी भी आधिकारित स्रोत से पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन अगर ये अटकलें सही निकलीं और ऐसे बदलाव को वाकई लागू कर दिया गया, तो इसका सैलरीड कर्मचारियों पर अलग-अलग ढंग से असर पड़ सकता है. लिहाजा, नौकरीपेशा कर्मचारियों के लिए अभी से यह समझ लेना जरूरी है कि यह संभावित फैसला उनके प्रॉविडेंट फंड और पेंशन पर क्या असर डाल सकता है. लेकिन इस मुद्दे पर आने से पहले जान लेते हैं कि वेज सीलिंग लिमिट का मतलब क्या है.

वेज सीलिंग लिमिट क्या है?

वेज सीलिंग लिमिट वह अधिकतम वेतन सीमा है, जिसके आधार पर कर्मचारियों का ईपीएफ और ईपीएस (Employees' Provident Fund और Employees' Pension Scheme) में योगदान तय होता है. फिलहाल यह सीमा 15,000 रुपये प्रति माह है, लेकिन सरकार इसे बढ़ाकर 21,000 रुपये प्रति माह करने पर विचार कर रही है.

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वेज सीलिंग लिमिट बढ़ने से कैसे होगा असर?

मौजूदा नियमों के मुताबिक जिन कर्मचारियों का बेसिक वेतन 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक है, वे ईपीएस योजना में शामिल नहीं हो सकते. नई सीमा लागू होने पर 21,000 रुपये वेतन पाने वाले कर्मचारी भी ईपीएस योजना में शामिल हो सकेंगे और रिटायरमेंट के बाद पेंशन के हकदार होंगे. इससे यह सुविधा पाने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ जाएगी. इसके अलावा फिलहाल, एंप्लॉयर के 12% योगदान में से 8.33% ईपीएस (पेंशन) खाते में और 3.67% ईपीएफ खाते में जमा होता है. अभी ईपीएस में योगदान की अधिकतम सीमा 1,250 रुपये प्रति माह है, जो 15,000 रुपये की वेज सीलिंग लिमिट पर आधारित है. अगर वेज सीलिंग लिमिट 21,000 रुपये कर दी जाती है, तो ईपीएस में योगदान बढ़कर 1,749 रुपये प्रति माह हो जाएगा. इसके कारण, जहां ईपीएस में जमा होने वाली रकम बढ़ेगी, वहीं ईपीएफ खाते में जमा होने वाले अमाउंट में कमी आएगी.

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रिटायरमेंट के समय कितनी ज्यादा मिलेगी पेंशन

ईपीएस के तहत पेंशन के कैलकुलेशन फॉर्मूला है: (सेवा के वर्षों की संख्या x औसत मासिक वेतन)/70. इस फॉर्मूले के तहत अगर वेज सीलिंग 15,000 रुपये से बढ़कर 21,000 रुपये हो जाती है, तो रिटायरमेंट के समय मिलने वाली पेंशन भी अधिक होगी. उदाहरण के लिए, 30 साल की सर्विस के बाद, मौजूदा सीलिंग पर आधारित पेंशन 6,857 रुपये बनती है, जबकि नई लिमिट लागू हुई तो यह 9,600 रुपये हो जाएगी. इस बात को नीचे दिए उदाहरण की मदद से भी समझ सकते हैं: 

मान लीजिए किसी कर्मचारी का बेसिक वेतन 25,000 रुपये प्रति माह है. उसके एंप्लॉयर का 12% योगदान 3,000 रुपये है:

- ऐसे में मौजूदा नियमों के तहत 8.33% के हिसाब से 1,250 रुपये ईपीएस में जमा होते हैं और 1,750 रुपये ईपीएफ खाते में.

- अगर सीमा बढ़कर 21,000 रुपये हो जाती है, तो ईपीएस में 1,749 रुपये और ईपीएफ में 1,251 रुपये जमा होंगे.

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कर्मचारियों को क्या होगा नफा-नुकसान

अगर वेज सीलिंग लिमिट बढ़ा दी गई, तो कर्मचारियों को पेंशन के रूप में अधिक लाभ मिलेगा. साथ ही ईपीएस योजना के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ेगी. इससे रिटायरमेंट के बाद स्टेबल इनकम मिलने में सुविधा होगी. लेकिन ईपीएएस अकाउंट में कंट्रीब्यूशन बढ़ने का मतलब यह भी है कि ईपीएफ अकाउंट में योगदान कम हो जाएगा, जिससे रिटायरमेंट पर मिलने वाली रकम में कमी आ सकती है. 

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