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EPFO: ईपीएफओ संगठित क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों को प्रॉविडेंट फंड, इंश्योरेंस और पेंशन जैसे लाभ देता है. (Image: PTI)
How Rs 10,000 basic salary can lead to over Rs 1 crore retirement corpus: मौजूदा समय में तमाम निवेश विकल्प और रिटायरमेंट स्कीम उपलब्ध हैं, लेकिन फीचर और बेनिफिट के मामले में कोई भी स्कीम एम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) की प्रॉविडेंट फंड स्कीम से मेल नहीं खाती है. पीएफ खाते पर ब्याज दर भी बेहतर है. ये दर तमाम सेविंग स्कीम पर मिलने वाले ब्याज के मुकाबले अधिक है. संगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों यानी प्राइवेट जॉब करने वाले लोगों के पीएफ खाते में हर महीने जमा हो रही रकम पूरी तरह सुरक्षित है और इस पर ईपीएफओ द्वारा रिटर्न के साथ-साथ पेंशन की भी गारंटी है. आइए जानते हैं अपने मेंबर के लिए कैसे काम करती है ईपीएफओ.
कैसे काम करती है ईपीएफओ स्कीम?
किसी भी कंपनी या ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में काम करने वाले लोगों के बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने पीएफ फंड में जमा होता है और इतना ही योगदान यानी कॉन्ट्रिब्यूशन कंपनी की ओर से पीएफ खाते में जमा है. कर्मचारी के बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने ईपीएफ खाते में जाता है जबकि कंपनी का योगदान दो भागों में बटता है. जिसमें से 8.33 फीसदी हिस्सा एम्पलाइज पेंशन स्कीम (EPS) यानी पेंशन स्कीम में जमा होता है और 3.67 फीसदी हिस्सा एम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड यानी ईपीएफ (EPF) में जाता है.
क्या है एम्पलाइज पेंशन स्कीम?
एम्पलाइज पेंशन स्कीम एक पेंशन स्कीम है, जिसको मैनेज करने का काम ईपीएफओ (EPFO) का होता है. EPS को वर्ष 1995 में लॉन्च किया गया था. यह ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए है. इस योजना का लाभ तभी मिलेगा जब आपके नौकरी का कार्यकाल कम से कम 10 साल होगा. हालांकि यह पेंशन आपको 58 साल की उम्र पूरी होने के बाद मिलनी शुरू होगी.
EPF के लिए क्या है जरूरी?
एम्पलाइज प्रॉविडेंट फंड यानी ईपीएफ का फायदा उठाने के लिए संगठित क्षेत्र में काम रहे लोगों को कुछ मापदंडों को पूरा करना होगा. ईपीएफ स्कीम का लाभ पाने के लिए कर्मचारी को किसी ऐसे संगठन में नौकरी करना होगा जहां 20 या उससे अधिक काम करते हो और वह संगठन ईपीएफओ के साथ रजिस्टर होना जरूरी है. इसके अलावा 20 से कम कर्मचारियों वाले संगठन स्वैच्छिक रूप से ईपीएफओ के साथ पंजीकरण कराकर ईपीएफ स्कीम के लिए पात्र हो सकते हैं.
15,000 रुपये से कम सैलरी वाले कर्मचारियों को ईपीएफ स्कीम के लिए रजिस्टर होना जरूरी है और 15,000 रुपये से अधिक सैलरी वाले लोग वॉलेंटरी बेसिस पर सहायक पीएफ कमिशनर से मंजूरी लेकर ईपीएफ स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं. ईपीएफ स्कीम के लिए, कर्मचारी की उम्र 18 से 58 साल के बीच होनी चाहिए. इसकी मेंबरशिप के लिए कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता ईपीएफ अधिनियम, 1952 के तहत कवर होना चाहिए.
EPF स्कीम के लिए कब कर सकते हैं क्लेम?
ईपीएफ खाते में जमा कॉर्पस के लिए रिटायरमेंट के बाद या नौकरी छोड़ने के बाद ईपीएफओ के मेंबर क्लेम कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए जरूरी मानकों को पूरा करना होगा. संगठित क्षेत्र में काम कर रहे ईपीएफओ के मेंबर की मृत्यु हो जाने की स्थिति में उनके परिवार के हकदार लोग EPF स्कीम का बेनिफट हासिल कर सकते हैं. इसके लिए परिवार के हकदार लोग क्लेम करना होगा.
EPFO: ऐसे बन सकता है 1 करोड़ से अधिक का रिटायरमेंट कॉर्पस
मान लीजिए कि कोई कर्मचारी 25 साल की उम्र में अपनी पहली नौकरी शुरू करता है और बदले में उसे हर महीने 20,000 रुपये की आमदनी होती है. जिसमें 10,000 रुपये कर्मचारी की बेसिक सैलरी जुड़ी रहती है. अगर कर्मचारी को रिटायरमेंट तक (58 साल की उम्र तक) हर साल उसकी बैसिक सैलरी में 10% का इंक्रीमेंट होता रहता है, तो अगले 33 सालों के दौरान कर्मचारी और कंपनी का कॉन्ट्रिब्यूशन EPFO स्कीम में जमा होता रहेगा.
जैसा कि हम सब जानते हैं कि EPFO के नियमों के तहत कर्मचारी के बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी हिस्सा यानी 10,000 रुपये बेसिक सैलरी होने के मामले में कर्मचारी की ओर से हर महीने 1200 रुपये ईपीएफ खाते में जाएगा और इतना ही कॉन्ट्रिब्यूशन कंपनी की ओर से इपीएफओ में जुड़ता रहेगा. कंपनी के 1,200 रुपये के कॉन्ट्रिब्यूशन में से 367 रुपये कर्मचारी के EPF फंड में जमा हो रहेगा. इस तरह से EPF खाते में कर्मचारी और कंपनी का मिलाकर हर महीने कुल कॉन्ट्रिब्यूशन 1,567 रुपये होगा. सालना बेसिक सैलरी में करीब 10% का इंक्रीमेंट मिलने पर कंपनी और कर्मचारी का कॉन्ट्रिब्यूशन भी बढ़ता रहेगा. बता दें कि अपने मेंबर को खाते में जमा रकम पर ईपीएफओ सालाना 8 फीसदी से अधिक ब्याज दर भी देती है. हाल के आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ईपीएफओ ने अपने सदस्यों को 8.25 फीसदी की दर से ब्याज दिया है. इस तरह से 58 साल की उम्र के बाद कर्मचारी के ईपीएफ खाते में कितना रिटायरमेंट कॉर्पस कलेक्ट हो जाएगा यहां पूरा कैलकुलेशन देखिए.
कर्मचारी की उम्र: 25 साल
नौकरी: 33 साल (रिटायरमेंट की उम्र तक)
मंथली कॉन्ट्रिब्यूशन: 1,200 रुपये (कर्मचारी) + 367 रुपये (कंपनी) = 1,567 रुपये
सैलरी में सालाना इंक्रीमेंट: 10%
ईपीएफ खाते पर ब्याज = औसतन 8 परसेंट सालाना
33 साल बाद कुल जमा =35,20,445 रुपये (कर्मचारी कॉन्ट्रिब्यूशन) + 10,76,669 रुपये (कंपनी कॉन्ट्रिब्यूशन) + 71,85,685 रुपये (ब्याज) = 1,17,82,799 रुपये (58 साल की उम्र पूरी कर लेने के बाद ईपीएफओ मेंबर के ईपीएफ खाते में कुल बैलेंस )
(नोट: इस कैलकुलेशन में ईपीएफओ के कैलकुलेटर की मदद ली गई है.)
इसके अलावा, नौकरी के दौरान कर्मचारी के EPS खाते में कंपनी की ओर से 8.33 फीसदी कॉन्ट्रिब्यूशन यानी 10,000 रुपये बेसिक सैलरी होने पर 833 रुपये भी कलेक्ट हो रहा. सैलरी में हर साल 10 फीसदी का इंक्रीमेंट मिलने में कंपनी के कॉन्ट्रिब्यूशन में भी इजाफा होने वाला है. इसी EPS स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी पेंशन के लिए हकदार हो जाता है. बता दें कि ईपीएफओ मेंबर के लिए 7 तरह के पेंशन का प्रावधान है. कुछ पेंशन विशेष हालातों में ईपीएफओ मेंबर के परिवार के लोगों और नॉमिनी के लिए उपलब्ध हैं. किन परिस्थितियों में और कैसे इस पेंशन के लिए दावा किया जा सकता है यहां पूरा डिटेल चेक कर सकते हैं.
ईपीएफओ की ये नसीहत रखें याद
संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों यानी प्राइवेट जॉब कर रहे लोगों के लिए एक बेहद जरूरी नसीहत है. ईपीएफओ कहता है कि अपने पीएफ खाते को कभी अपने वित्तीय जरूरतों को पूरा करने वाला बैंक खाता न समझें. ईपीएफ खाता बुढ़ापे में कंपनी के काम किए कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से दीर्घकालिक धन सृजन यानी रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने के लिए है. ऐसे में ईपीएफओ के मेंबर को नसीहत दी जाती है कि वे अपने ईपीएफ खाते से एडवांस पैसे तभी निकालें जब बहुत जरूरी हो और ये एडवांस रकम सिर्फ योजना में निर्दिष्ट कारणों से ही लिया जाना चाहिए.