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EPFO New Rule: क्या अब नौकरी जाने के 12 महीने बाद ही निकाल पाएंगे PF का पैसा? (Image: X/@socialepfo)
EPFO New Rules : एंप्लॉईज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन ने अपनी ताजा बैठक के बाद कर्मचारियों के लिए उनके पीएफ खाते में जमा पैसे निकालना पहले से और आसान बनाने का एलान किया गया है. लेकिन ईपीएफओ की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी देने वाली सरकार की प्रेस रिलीज में एक बात चौंकाने वाली है. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labour & Employment) की तरफ से जारी इस रिलीज में कहा गया है कि ईपीएफ के 'प्री-मेच्योर फाइनल सेटलमेंट'की अवधि को मौजूदा 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने किया जा रहा है, जबकि फाइनल पेंशन विथड्ऱॉल (final pension withdrawal) के लिए यह समय सीमा मौजूदा 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने की जा रही है.
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नौकरी चले जाने पर 12 और 36 महीने करना होगा इंतजार?
हालांकि मंत्रालय की तरफ से जारी रिलीज में साफ तौर पर ये नहीं कहा गया है कि 2 महीने की जिस समय सीमा को बढ़ाकर 12 महीने या 36 महीने किया जा रहा है, वह नौकरी चले जाने के बाद की अवधि से जुड़ी है. लेकिन फिलहाल ईपीएफ और ईपीएस फंड में जमा पूरे पैसे नौकरी चले जाने के 2 महीने बाद निकाले जा सकते हैं. इसलिए लग यही रहा है कि जिस समय सीमा को बढ़ाने की बात की गई है, वह इसी से संबंधित है. अगले ही वाक्य में यह भी कहा गया है कि आंशिक निकासी को उदार बनाए जाने (liberalization of partial withdrawals) की वजह से सदस्य अपनी रिटायरमेंट सेविंग्स या पेंशन के साथ समझौता किए बिना भी अपनी तात्कालिक आर्थिक जरूरतें पूरी कर पाएंगे.
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‘विशेष परिस्थितियों’ में कारण नहीं बताने होंगे
EPFO के फैसलों के बारे में जारी सरकारी रिलीज में आंशिक निकासी को उदार बनाए जाने के बारे में भी जानकारी दी गई है. इसमें बताया गया है कि अब ईपीएफ के सदस्य पार्शियल विथड्रॉल के तहत 100% तक 'एलिजिबिल बैलेंस' निकाल पाएंगे, जिसमें कर्मचारी और एंप्लॉयर, दोनों का कंट्रीब्यूशन शामिल होगा. साथ ही यह भी बताया गया है कि पहले सदस्यों को ‘विशेष परिस्थितियों’ (Special Circumstances) में आंशिक निकासी के लिए आवेदन करते समय प्राकृतिक आपदा, रोजगार देने वाले संस्थान में तालाबंदी या पूरी तरह बंद होना, लगातार बेरोजगार रहना, महामारी जैसे कारणों की जानकारी देनी होती थी. लेकिन अब इस कैटेगरी में पैसे निकालने के लिए सदस्यों को कोई कारण नहीं बताना पड़ेगा. साथ ही उन्हें अपने एप्लीकेशन के साथ कोई दस्तावेज भी नहीं देने होंगे. इससे ईपीएफ से आंशिक निकासी काफी आसान हो जाएगी.
100% 'एलिजिबिल बैलेंस' vs 25% मिनिमम बैलेंस
नए एलान में जहां एक तरफ 100% निकासी की छूट देने की बात कही गई है, वहीं यह भी कहा गया है कि सदस्यों को अपने ईपीएफ अकाउंट में किसी भी समय कम से कम 25% रकम मिनिमम बैलेंस के तौर पर रखनी होगी. ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि सदस्यों को ईपीएफ पर मिलने वाली ऊंची ब्याज दर और कंपाउंडिंग का फायदा मिलता रहे. फिलहाल यह ब्याज दर सालाना 8.25% है. लेकिन इस प्रावधान की वजह से यह सवाल भी उठ रहा है कि अगर किसी भी वक्त 25% मिनिमम बैलेंस मेंटेन करना जरूरी है, तो 100% निकासी की छूट किन परिस्थितियों में मिलेगी? फिलहाल इस बारे में ईपीएफओ की तरफ से और जानकारी दिए जाने का इंतजार है. उसके बाद ही नए एलानों को लेकर स्थिति पूरी तरह साफ हो पाएगी.