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UPI Lite : यूपीआई लाइट सुविधा वॉलेट में 2000 रुपये तक रखने और वॉलेट से 500 रुपये तक का पेमेंट की अनुमति देती है. (PTI)
FASTags Payment : अब फास्टैग (FASTags payments) और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC Payments) पेमेंट और अधिक आसान हो जाएगा. असल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)ऑटो पेमेंट का दायरा बढ़ाना चाहता है. इसलिए केंद्रीय बैंक ने इसमें फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड को भी लाने का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत ये सुविधाएं पाने के लिए पैसे कम होने पर खुद ग्राहकों के खाते से इन सेवाओं लिए पेमेंट (रिचार्ज) कर दिया जाएगा. शेष राशि की लिमिट ग्राहकों द्वारा खुद तय की जाएगी.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि ई-मैंडेट यानी पेमेंट के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से मंजूरी के तहत अभी डेली, वीकली, मंथली जैसे निश्चित अवधि वाली सुविधाओं के लिए निश्चित समय पर ग्राहक के खाते से पेमेंट खुद ही हो जाता है. अब इसमें ऐसी सुविधाओं और प्लेटफॉर्म को जोड़ा जा रहा है, जिनके लिए पेमेंट का कोई समय तय नहीं है. जिनमें पेमेंट तब किया जाता है, जब जमा राशि कम हो जाती है.
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क्या है ई-मैंडेट
ई-मैंडेट ग्राहकों के लिए आरबीआई द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल पेमेंट सर्विस है. इसकी शुरुआत 10 जनवरी, 2020 को की गई थी. आरबीआई की ओर से जारी बयान के अनुसार, मौजूदा ई-मैंडेट ढांचे के तहत ग्राहक के खाते से पैसे निकालने से कम से कम 24 घंटे पहले इसकी सूचना देने की आवश्यकता होती है. ई-मैंडेट ढांचे के तहत फास्टैग, एनसीएमसी आदि में आटोमेटेड पेमेंट के लिए ग्राहक के खाते से किए गए पेमेंट के लिए इस आवश्यकता से छूट देने का प्रस्ताव है. साथ ही आरबीआई ने यूपीआई लाइट को ‘ई-मैंडेट’ ढांचे के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है.
यूपीआई लाइट वॉलेट में लिमिट
बयान में कहा गया है कि यूपीआई लाइट सुविधा वर्तमान में ग्राहक को अपने यूपीआई लाइट वॉलेट में 2000 रुपये तक रखने और वॉलेट से 500 रुपये तक का पेमेंट करने की अनुमति देती है. दास ने कहा कि ग्राहकों को यूपीआई लाइट का बिना रुकावट उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए, और अलग अलग हितधारकों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर ग्राहक द्वारा यूपीआई लाइट वॉलेट में पैसे डालने के लिए ‘ऑटो-रिप्लेनिशमेंट’ सुविधा शुरू करके यूपीआई लाइट को ‘ई-मैंडेट’ ढांचे के दायरे में लाने का प्रस्ताव है, अगर शेष राशि उसके द्वारा निर्धारित सीमा से कम हो जाती है.
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अतिरिक्त वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं
आरबीआई के अनुसार, चूंकि राशि ग्राहक के पास ही रहती है (राशि उसके खाते से वॉलेट में चली जाती है) इसलिए अतिरिक्त वेरिफिकेशन या अकाउंट से पैसे निकालने से पहले जानकारी देने की आवश्यकता को समाप्त करने का प्रस्ताव है. उपरोक्त प्रस्ताव के संबंध में संबंधित दिशा-निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे.