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FD vs Debt ETFs vs Debt Funds : बैंक एफडी, डेट ETF और डेट फंड में क्या है फर्क, निवेश के लिए किसे चुनें? (AI Generated Image)
FD vs Debt ETFs vs Debt Funds : ब्याज दरों में लगातार कमी की वजह से बहुत से लोग एफडी के बेहतर विकल्प खोजने लगे हैं. ये तलाश कई बार डेट फंड्स यानी बॉन्ड्स और दूसरे डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड्स की तरफ ले जाती है. डेट एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Debt ETF) भी डेट फंड्स में निवेश करने का एक आसान तरीका हैं. लेकिन एफडी, डेट फंड और डेट ईटीएफ क्या एक दूसरे के विकल्प हो सकते हैं? इन तीनों में क्या अंतर है और इनमें से आपके लिए सही ऑप्शन क्या हो सकता है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए इन सभी ऑप्शन्स की खूबियों और कमियों के बारे में जानना जरूरी है.
FD यानी सबसे पुराना और भरोसेमंद ऑप्शन
भारतीय घरों में बैंक या पोस्ट ऑफिस की एफडी (FD) को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है. इसमें आपको पहले ही दिन से पता होता है कि कितनी अवधि के बाद कितनी ब्याज दर पर पैसा वापस मिलेगा. यही वजह है कि बुजुर्गों से लेकर नौकरीपेशा तक, हर कोई एफडी को पसंद करता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें आपकी पूंजी और उस पर मिलने वाले रिटर्न की गारंटी, सरकार और बैंक की तरफ से दी जाती है.
लेकिन इसके साथ ही कुछ कमियां भी हैं. ब्याज दरें कम हो तो एफडी के रिटर्न महंगाई को मात नहीं दे पाते. यानी जो ब्याज मिल रहा है, वह असल में में आपकी वेल्थ को उम्मीद के मुताबिक बढ़ा नहीं पाता. इसके अलावा, बीच में जरूरत पड़ जाए और पैसे निकालने पड़ें, तो पेनल्टी भी लगती है. इसके अलावा एफडी से मिलने वाले ब्याज पर पूरा टैक्स देना होता है. यही कारण है कि बहुत से लोग अब एफडी से हटकर नए विकल्पों पर विचार करने लगे हैं.
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Debt ETF में निवेश का नफा-नुकसान
डेट एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Debt Exchange Traded Fund) यानी डेट ETF म्यूचुअल फंड का ही एक रूप है, जो बॉन्ड्स और सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप इसे शेयर की तरह स्टॉक मार्केट में खरीद और बेच सकते हैं. इसकी कीमत मार्केट में लगातार बदलती रहती है. ETF का सबसे बड़ा फायदा है कम खर्च. इसमें ऑपरेटिंग कॉस्ट बहुत कम होती है. इसके अलावा, लिक्विडिटी भी अच्छी रहती है, यानी जरूरत पड़ते ही आप मार्केट में अपने ईटीएफ को बेचकर पैसे निकाल सकते हैं.
हालांकि इसमें मार्केट का रिस्क भी मौजूद है. इसकी कीमतें रोज बदलती हैं और रिटर्न एफडी की तरह फिक्स नहीं होता. साथ ही, इसे खरीदने-बेचने के लिए डीमैट अकाउंट और उसे ऑपरेट करने के बारे में बुनियादी जानकारी भी होनी चाहिए. इसलिए फिलहाल भारत में डेट ETF हर निवेशक के लिए उतना आसान विकल्प नहीं माना जाता.
डेट फंड्स यानी फ्लेक्सिबल ऑप्शन
डेट फंड्स (Debt Funds) म्यूचुअल फंड्स की वह कैटेगरी है, जिसमें निवेशक को सबसे ज्यादा ऑप्शन मिलते हैं. इसमें शॉर्ट टर्म से लेकर लॉन्ग टर्म, लिक्विड फंड से लेकर गिल्ट फंड तक कई तरह की कैटेगरी होती हैं. यानी आप अपने जोखिम और अवधि की जरूरत के हिसाब से फंड चुन सकते हैं.
इनकी खासियत यह है कि इनमें लचीलापन बहुत है. आप कभी भी पैसे निकाल सकते हैं. आमतौर पर कोई लॉक-इन पीरियड नहीं होता. इन फंड्स का मैनेजमेंट पेशेवर एक्सपर्ट्स के हाथ में होता है, जो आपके पैसे को अलग-अलग बॉन्ड्स और सिक्योरिटीज में सही तरीके से लगाते हैं.
कमियों की बात करें तो यहां भी मार्केट रिस्क मौजूद है. बॉन्ड बाजार के उतार-चढ़ाव का असर फंड की NAV पर पड़ता है और रिटर्न एफडी की तरह फिक्स नहीं होता. साथ ही, कुछ फंड्स में खर्च यानी एक्सपेंस रेशियो (Expense Ratio) एफडी और ईटीएफ की तुलना में ज्यादा हो सकते हैं.
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आपके लिए सही विकल्प क्या है?
अब सवाल उठता है कि इन तीनों में से किसे चुना जाए? इसका जवाब हर निवेशक की व्यक्तिगत आर्थिक स्थिति और जरूरत के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. अगर आपका उद्देश्य पूरी तरह सुरक्षित निवेश और फिक्स रिटर्न कमाना है, तो एफडी ही आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प है.
अगर आपको बाजार में निवेश करने के बारे में कुछ समझ रखते हैं, साथ ही लिक्विडिटी भी चाहिए, तो डेट ETF आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. लेकिन अगर आप निवेश के मामले में ज्यादा ऑप्शन चाहते हैं और अलग-अलग रिस्क लेवल और टाइम होराइजन के हिसाब से निवेश करना चाहते हैं, तो डेट म्यूचुअल फंड्स आपको ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी देंगे.
याद रखें अपने लिए निवेश के सही विकल्प का सेलेक्शन दूसरों को देखकर नहीं करना चाहिए. हर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, जरूरतें और रिस्क बर्दाश्त करने की क्षमता अलग-अलग हो सकती है. इसलिए आपके लिए सही ऑप्शन वही होगा, जो आपकी जरूरतों और रिस्क प्रोफाइल से मेल खाता हो.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का मकसद सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर से सलाह-मशविरा करने के बाद ही करें)