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Index funds vs ETFs : इंडेक्स फंड और ईटीएफ में आपके लिए क्या है बेहतर? निवेश से पहले समझें अंतर

Index Funds vs ETFs : इंडेक्स फंड और ईटीएफ इंडेक्स को फॉलो करने की वजह से बिलकुल एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर भी हैं. निवेशकों के लिए यह जानना जरूरी है कि इनमें कौन सा ऑप्शन उनके लिए होगा.

Index Funds vs ETFs : इंडेक्स फंड और ईटीएफ इंडेक्स को फॉलो करने की वजह से बिलकुल एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर भी हैं. निवेशकों के लिए यह जानना जरूरी है कि इनमें कौन सा ऑप्शन उनके लिए होगा.

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Viplav Rahi
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Index Funds vs ETFs : इंडेक्स फंड और ईटीएफ में आपके लिए क्या बेहतर रहेगा? (AI Generated Image)

Index Funds vs ETFs : इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) म्यूचुअल फंड में निवेश करने के सबसे पॉपुलर तरीकों में शामिल हैं. पहली नजर में ये दोनों बिलकुल एक जैसे लगते हैं क्योंकि दोनों ही किसी इंडेक्स को फॉलो करते हैं, लेकिन इनमें कुछ बुनियादी अंतर भी हैं. अगर आप भी म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने के इन दोनों तरीकों में दिलचस्पी रखते हैं तो इनके अंतर और समानताओं के साथ ही साथ यह समझना भी जरूरी है कि आपकी निवेश से जुड़ी आदतों और जरूरतों के हिसाब से कौन सा ऑप्शन आपके लिए बेहतर रहेगा.

इंडेक्स फंड और ईटीएफ क्या होते हैं?

इंडेक्स फंड्स (Index Funds) ऐसे म्यूचुअल फंड हैं, जो सीधे-सीधे किसी स्टॉक मार्केट इंडेक्स जैसे निफ्टी 50 (Nifty 50) या सेंसेक्स (Sensex) को फॉलो करते हैं. इनमें आपको अलग-अलग शेयर चुनने की जरूरत नहीं होती. आपका पैसा इंडेक्स में शामिल सभी कंपनियों में उसी अनुपात में लगाया जाता है, जिससे आपके निवेश में डाइवर्सिफिकेशन आ जाता है. इसे पैसिव इन्वेस्टिंग कहा जाता है क्योंकि इसमें फंड मैनेजर बाजार को मात देने की कोशिश नहीं करता, बल्कि सिर्फ इंडेक्स को ट्रैक करता है.

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वहीं, ETF भी किसी इंडेक्स को फॉलो करता है, लेकिन इसे स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर की तरह खरीदा-बेचा जा सकता है. इसकी कीमत पूरे दिन मार्केट में ऊपर-नीचे होती रहती है. यानी आप इसे मार्केट के खुलने के समय कभी भी खरीद या बेच सकते हैं.

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इंडेक्स फंड और ईटीएफ में एक जैसा क्या है

इंडेक्स फंड और ईटीएफ दोनों ही निवेशकों को डाइवर्सिफिकेशन देते हैं. यानी एक ही फंड में पैसा लगाकर आप कई शेयरों का मालिक बन जाते हैं, जिससे रिस्क कम हो जाता है.

इन दोनों में एक्टिव मैनेजमेंट नहीं होता. ये बस एक इंडेक्स को फॉलो करते हैं और इसी वजह से इनमें निवेश का खर्च भी काफी कम होता है. लंबे समय में दोनों अच्छे रिटर्न दे सकते हैं क्योंकि ये मार्केट के पूरे प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं.

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इंडेक्स फंड और ईटीएफ में फर्क क्या है 

सबसे बड़ा फर्क इनके ट्रेडिंग के तरीके में है. इंडेक्स फंड में आप दिनभर ऑर्डर दे सकते हैं, लेकिन लेन-देन दिन के अंत में तय होने वाली एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) पर होता है. वहीं, ईटीएफ को आप शेयर की तरह दिनभर खरीद-बेच सकते हैं और इसकी कीमत हर पल बदलती रहती है.

दूसरा फर्क निवेश की रकम का है. इंडेक्स फंड में अक्सर मिनिमम इनवेस्टमेंट तय होता है, जबकि ईटीएफ में आप जितना चाहे उतना निवेश कर सकते हैं, यहां तक कि एक यूनिट भी.

तीसरा फर्क खर्च और टैक्सेशन का है. आम तौर पर ईटीएफ का खर्च इंडेक्स फंड से थोड़ा कम होता है और ये टैक्स एफिशिएंट भी माने जाते हैं. लेकिन ईटीएफ खरीदने-बेचने पर ब्रोकरेज चार्ज लगता है, जबकि इंडेक्स फंड सीधे फंड हाउस से बिना अतिरिक्त चार्ज दिए भी खरीदे जा सकते हैं.

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आपके लिए क्या बेहतर है

अगर आप ऐसे निवेशक हैं जो हर महीने एक तय रकम लगाना चाहते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहते, तो इंडेक्स फंड आपके लिए आसान और बेहतर विकल्प है. इसमें एसआईपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) करना भी आसान है.

लेकिन अगर आप बाजार को करीब से देखते हैं, आपके पास डिमैट अकाउंट है और आप चाहते हैं कि जब चाहे निवेश करें और जब चाहे बेचें, तो ईटीएफ आपके लिए ज्यादा सुविधाजनक रहेंगे. इसमें खर्च भी थोड़ा कम होता है और आप छोटी-छोटी रकम से भी निवेश शुरू कर सकते हैं.

दोनों ही विकल्प निवेशकों को कम खर्चे में शेयर बाजार में शामिल होने का मौका देते हैं. अंतर सिर्फ इनके निवेश और ट्रेडिंग के तरीके में है. लंबे समय के लिए दोनों ही सही साबित हो सकते हैं. फर्क सिर्फ इस बात का है कि आप निवेश में कितनी आसानी चाहते हैं या कितने एक्टिव हैं.

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अगर आप ‘सेट एंड फॉरगेट’ स्टाइल के निवेशक हैं तो इंडेक्स फंड आपके लिए सही हैं. और अगर आप मार्केट में एक्टिव रहना चाहते हैं और ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी पसंद करते हैं, तो ईटीएफ बेहतर विकल्प हो सकता है. सही मायने में दोनों ही सही हैं, बस आपको तय करना है कि आपके लिए कौन सा विकल्प बेहतर रहेगा.

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का मकसद सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर से सलाह-मशविरा करने के बाद ही करें)

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