scorecardresearch

FD vs Debt Funds : एफडी या डेट फंड? 2025 में क्या है निवेश का बेहतर ऑप्शन

FD vs Debt Funds : कम रिस्क में स्टेबल रिटर्न देने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शन में फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ ही डेट म्यूचुअल फंड भी शामिल हैं. आपके लिए इनमें से कौन सा ऑप्शन बेहतर है?

FD vs Debt Funds : कम रिस्क में स्टेबल रिटर्न देने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शन में फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ ही डेट म्यूचुअल फंड भी शामिल हैं. आपके लिए इनमें से कौन सा ऑप्शन बेहतर है?

author-image
Viplav Rahi
New Update
FD vs Debt Fund, Fixed Deposit vs Debt Mutual Fund, best investment in 2025, FD return vs debt fund return, debt fund taxation, FD interest rate

FD vs Debt Fund: मौजूदा हालात में कहां करें निवेश, क्या है बेहतर विकल्प? (AI Generated Image)

FD vs Debt Funds : कम रिस्क में स्टेबल रिटर्न देने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शन आम निवेशकों के बीच हमेशा पसंद किए जाते हैं. ऐसे निवेशकों की पहली पसंद आमतौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) होते हैं. लेकिन मौजूदा समय में जब ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं, डेट म्यूचुअल फंड (Debt Funds) भी कई निवेशकों को आकर्षक लग सकते हैं. आपके लिए इनमें से कौन सा ऑप्शन बेहतर है, ये तय करने से पहले दोनों के बारे में अच्छी तरह जान लेना चाहिए.

FD में निवेश के फायदे

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक पुराना और आजमाया हुआ ऑप्शन है. एफडी आप किसी बैंक, पोस्ट ऑफिस या नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) में भी खोल सकते हैं. इसमें आपको अपने पैसे पहले से तय अवधि के लिए जमा करने होते हैं, जो कुछ महीनों से लेकर कई साल तक हो सकती है. इस पर मिलने वाली ब्याज दर पहले से तय होती है, यानी रिटर्न की गारंटी होती है. आमतौर पर निवेश की अवधि पूरी होने पर आपको पूंजी और ब्याज का भुगतान एक साथ किया जाता है. यह तरीका उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो मार्केट रिस्क से दूर रहते हुए निश्चित और सुरक्षित रिटर्न चाहते हैं.

Advertisment

Also read : ULIP vs Mutual Fund : यूलिप और म्यूचुअल फंड में क्या है अंतर, समझें दोनों में निवेश का नफा नुकसान

डेट फंड्स की क्या है खासियत

डेट म्यूचुअल फंड्स मुख्य रूप से फिक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. इनमें सरकारी बॉन्ड्स, कॉरपोरेट बॉन्ड्स, कमर्शियल पेपर्स और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स शामिल होते हैं.
इन फंड्स में रिटर्न बाजार के ब्याज दरों और बॉन्ड यील्ड्स पर निर्भर करता है. इसलिए इनका रिटर्न तय नहीं होता, बल्कि बदलता रहता है. डेट फंड्स के कई प्रकार होते हैं — जैसे लिक्विड फंड्स, शॉर्ट टर्म फंड्स और लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स, जो अलग-अलग निवेश अवधि और जरूरतों के लिए बनाए गए हैं.

Also read : SEBI की डेडलाइन से पहले कैसे रिक्लेम करें अपने रिजेक्टेड फिजिकल शेयर? चेक करें स्टेप-बाई-स्टेप प्रॉसेस

एफडी और डेट फंड्स में क्या है फर्क?

अगर एफडी और डेट फंड्स की तुलना करें, तो दोनों ही अलग तरह से काम करते हैं और उनके अपने फायदे और सीमाएं हैं.

1. रिटर्न (Returns):

एफडी में ब्याज दर पहले से तय होती है, जो मौजूदा माहौल में आमतौर पर 6% से 7.5% के बीच है. वहीं डेट फंड्स का रिटर्न मार्केट पर निर्भर करता है और 6% से 10% तक हो सकता है.

2. रिस्क (Risk):

एफडी को लगभग रिस्क-फ्री निवेश माना जाता है, क्योंकि बैंक में जमा पैसा सुरक्षित रहता है और रिटर्न की भी गारंटी होती है. वहीं डेट फंड्स में थोड़ा बहुत यानी लो से मॉडरेट रिस्क रहता है, जो ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव और बॉन्ड्स की क्रेडिट क्वॉलिटी पर निर्भर करता है.

3. लिक्विडिटी (Liquidity):

एफडी को मैच्योरिटी से पहले तोड़ने पर पेनाल्टी देनी पड़ सकती है और ब्याज दर भी घट जाती है. जबकि डेट फंड्स में आमतौर पर निवेश को किसी भी समय रिडीम किया जा सकता है. हां, कुछ फंड्स में शुरुआती दौर में पैसे निकालने पर मामूली एक्जिट लोड लगाया जा सकता है.

4. टैक्सेशन (Taxation):

एफडी पर मिलने वाला ब्याज हर साल आपकी इनकम में जुड़ता है और उस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है.
वहीं डेट फंड्स में अगर निवेश तीन साल से ज्यादा समय के लिए किया गया है, तो 20% टैक्स लगता है. लेकिन इंडेक्सेशन बेनिफिट मिलने की वजह से टैक्स का बोझ कम हो जाता है.

Also read : Jeevan Pramaan : जीवन प्रमाण पत्र कैसे जमा करें? ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीकों की पूरी जानकारी

मौजूदा माहौल में क्या है बेहतर विकल्प?

मौजूदा माहौल में जब ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं और महंगाई काबू में है, निवेश के लिए सही ऑप्शन का चुनाव आपके लक्ष्य और रिस्क प्रोफाइल पर निर्भर करता है.

अगर आप सुरक्षित निवेश चाहते हैं और फिक्स्ड रिटर्न पसंद करते हैं, तो एफडी आपके लिए बेहतर है. यह आपकी पूंजी को सुरक्षित रखने के साथ रेगुलर इनकम देता है. खासकर शॉर्ट-टर्म गोल या इमरजेंसी फंड के लिए एफडी भरोसेमंद विकल्प है.

वहीं अगर आप थोड़ा रिस्क लेकर बेहतर रिटर्न पाना चाहते हैं, तो डेट फंड्स बेहतर विकल्प हो सकते हैं. लंबे समय में, खासकर तीन साल या उससे अधिक की अवधि में, डेट फंड्स एफडी से ज्यादा टैक्स-इफिशिएंट रिटर्न दे सकते हैं.

Also read : Large Cap Funds : टॉप 5 लार्ज कैप फंड ने 5 साल में 20 से 25% तक दिया रिटर्न, कौन सी स्कीम रही सबसे आगे

निवेश से पहले इन बातों का ध्यान रखें

डेट फंड्स में निवेश करने से पहले यह देखें कि फंड किन बॉन्ड्स में निवेश कर रहा है. कोशिश करें कि आप AAA रेटेड या सरकारी बॉन्ड्स वाले फंड्स चुनें ताकि क्रेडिट रिस्क कम रहे. साथ ही, ब्याज दरों में बदलाव डेट फंड के रिटर्न पर असर डाल सकता है, इसलिए बहुत छोटे समय के लिए इसमें पैसा लगाना हमेशा बेहतर रणनीति नहीं होती.

एफडी में निवेश करने से पहले भी टेन्योर और ब्याज दरों की तुलना करें, ताकि आपको बेहतर रिटर्न मिल सके.

एफडी और डेट फंड्स दोनों की अपनी-अपनी जगह है. जहां एफडी फिक्स्ड रिटर्न और निवेश की सुरक्षा के लिहाज से बेहतर है, वहीं डेट फंड्स में थोड़े रिस्क के साथ बेहतर रिटर्न की उम्मीद रहती है. साथ ही इनकी टैक्स-एफिशिएंसी और लिक्विडिटी भी बेहतर है.

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने के बाद और अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेकर ही करें.)

Fixed Deposit Fd Debt Funds