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ULIP vs Mutual Fund : किसमें पैसे लगाना ज्यादा फायदेमंद है? (AI Generated Image)
ULIP vs Mutual Fund : निवेशकों को ऐसी दलीलें कई बार सुनने को मिली होंगी यूलिप में निवेश करना म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने से बेहतर है क्योंकि इसमें रिटर्न के साथ ही बीमा का फायदा भी मिलता है. साथ ही पूरा मेच्योरिटी अमाउंट टैक्स फ्री रहता है. इसके अलावा यूलिप में लॉक-इन पीरियड होने की वजह से लंबी अवधि के निवेश का फायदा भी मिलता है. लेकिन क्या ये तुलना वाकई सही है? आइए समझते हैं कि यूलिप और म्यूचुअल फंड में अंतर क्या है और निवेश के लिहाज से किसे बेहतर माना जा सकता है.
यूलिप और म्यूचुअल फंड को ठीक से समझें
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (Unit Linked Insurance Plan - ULIP) ऐसी स्कीम्स को कहते हैं, जिनमें इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट दोनों को एक साथ जोड़ा गया है. यानी जब आप ULIP में निवेश करते हैं तो उसका एक हिस्सा जीवन बीमा कवरेज के लिए जाता है और बाकी हिस्सा मार्केट से जुड़े इक्विटी या डेट फंड्स में निवेश होता है.
वहीं म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) पूरी तरह से निवेश पर फोकस करते हैं. इनके साथ बीमा नहीं जुड़ा होता. आपको बीमा कवरेज की जरूरत हो तो अलग से टर्म इंश्योरेंस ले सकते हैं. म्यूचुअल फंड्स के मैनेजर स्कीम की कैटेगरी के हिसाब से आपके पैसा अलग-अलग सेक्टर या सेगमेंट के शेयर्स, बॉन्ड्स या दूसरे एसेट्स में लगाते हैं, जिनसे लंबे समय में अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद की जाती है.
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क्या बीमा कवरेज के लिए यूलिप सही है?
ऊपर दी जानकारी से पहली नजर में यही लगेगा कि बीमा कवरेज मिलना यूलिप का एक्स्ट्रा बेनिफिट है. लेकिन क्या बीमा कवरेज के लिए यूलिप सही प्रोडक्ट है? आइए समझते हैं. अगर आपकी सालाना आमदनी 10 लाख रुपये है, तो सामान्य तौर पर आपको कम से कम 1 करोड़ रुपये का लाइफ कवरेज लेने की सलाह दी जाती है. लेकिन अगर आप ULIP के जरिये 1 करोड़ रुपये का कवरेज लेना चाहेंगे, तो इसके लिए आपको करीब 10 लाख रुपये का एनुअल प्रीमियम भरना होगा, जो आपकी पूरे साल की कमाई है! यानी आपको जितना बीमा कवरेज चाहिए, वो यूलिप के जरिये मिल पाना संभव नहीं है.
वहीं, टर्म इंश्योरेंस के ज़रिये आपको यही 1 करोड़ रुपये का कवरेज आपकी उम्र के हिसाब से महज 30-35 हजार रुपये के सालाना प्रीमियम में मिल सकता है. निवेश के लिए आप अलग से म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, जिससे आपको बेहतर रिटर्न मिल सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यूलिप में लगाए गए पूरे पैसे निवेश नहीं होते. इसलिए उस पर मिलने वाला रिटर्न म्यूचुअल फंड से आमतौर पर कम ही होगा. यानी एक ही प्रोडक्ट में बीमा और निवेश, दोनों बेनिफिट खोजने की जगह इन्हें अलग-अलग रखें तो बेहतर नतीजे मिल सकते हैं.
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निवेश से जुड़े खर्चों में बड़ा फर्क
ULIP में निवेश करने पर कई तरह के छिपे हुए चार्जेस देने पड़ते हैं. मिसाल के तौर पर प्रीमियम एलोकेशन चार्ज, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज, फंड मैनेजमेंट चार्ज, मोर्टेलिटी चार्ज और सरेंडर चार्ज. ये चार्ज आपके निवेश और रिटर्न को कम कर देते हैं.
इसके उलट, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को सेबी के नियमों के तहत चलना होता है. फंड हाउस को अपने खर्च और फीस के बारे में पूरी पारदर्शिता रखनी होती है. एक्सपेंस रेशियो या फंड मैनेजमेंट फीस के लिए भी लिमिट तय है. यानी आमतौर पर यूलिप के मुकाबले म्यूचुअल फंड में निवेश का खर्च कम रहता है.
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लॉक-इन बनाम लिक्विडिटी
ULIP में कम से कम 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है. यानी इस दौरान आप अपने पैसे को निकाल नहीं सकते. कोई फाइनेंशियल इमरजेंसी आ जाए तो यह बंदिश भारी पड़ सकती है.
दूसरी ओर, ज्यादातरह म्यूचुअल फंड्स में पूरी लिक्विडिटी होती है. कुछ स्कीम्स में एक्जिट लोड होता है, लेकिन आमतौर पर यह लोड निवेश के बाद काफी कम समय के लिए लागू होता है. इस लचीलेपन के कारण आप जब चाहें अपने पैसे निकाल सकते हैं.
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रिटर्न और टैक्स बेनिफिट की तुलना
ULIP की मेच्योरिटी पर मिलने वाला पैसा आमतौर पर टैक्स-फ्री होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसका रिटर्न हमेशा बेहतर होगा. अधिकतर मामलों में ULIP के रिटर्न म्यूचुअल फंड्स की तुलना में कम होते हैं क्योंकि इनके चार्जेस रिटर्न को कम कर देते हैं. यानी टैक्स देने के बाद भी म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न अक्सर यूलिप से बेहतर होते हैं.
वहीं म्यूचुअल फंड्स, खासकर इक्विटी फंड्स में निवेश पर लंबी अवधि में 10-15% तक का औसत रिटर्न मिलता है. टैक्स के लिहाज से भी, अगर होल्डिंग पीरियड एक साल से ज़्यादा हो तो एक साल में 1.25 लाख तक के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगता. इससे ज्यादा मुनाफा होने पर 12.5% की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (Long Term Capital Gain - LTCG) देना होता है.
निवेश के लिहाज से क्या है बेहतर रास्ता?
ULIP का उद्देश्य बीमा और निवेश को एक साथ जोड़ना तो है, लेकिन असल में यह प्रोडक्ट आम तौर पर दोनों जरूरतों को आधा-अधूरा ही पूरा करता है. इसलिए लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन और आर्थिक सुरक्षा के लिए ‘टर्म इंश्योरेंस + म्यूचुअल फंड’ का कॉम्बिनेशन ज्यादा व्यावहारिक और संतुलित रास्ता है.
अगर आप सचमुच अपने लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल टारगेट पूरे करना चाहते हैं, तो इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग रखना बेहतर है. सबसे पहले पर्याप्त टर्म इंश्योरेंस लेना चाहिए ताकि परिवार सुरक्षित रहे. उसके बाद नियमित रूप से म्यूचुअल फंड्स में SIP के जरिये निवेश करें. इस तरह आपको बेहतर रिटर्न के साथ ही लिक्विडिटी और सुरक्षा का फायदा भी मिलेगा.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश करने या नहीं करने की सलाह देना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने के बाद और अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेकर ही करें.)