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Rate Cut Cycle: एक्सपर्ट का मानना है कि रेट कट साइकिल में डेट स्कीम का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है. (Pixabay)
Fixed Income vs Debt Schemes : नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो चुका है. नए फाइनेंशियल में ग्लोबल स्तर पर और घरेलू स्तर पर ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं (Rate Cut Cycle) भी बन रही हैं. ऐसे में 2 साल तक अंडरपरफॉर्म करने के बाद बॉन्ड मार्केट या डेट मार्केट में भी हलचल दिख रही है. डेट स्कीम (Debt Funds) एक बार फिर फोकस में हैं. रेट कट की उम्मीदों में डेट मार्केट में निवेश बढ़ने की उम्मीद है. एक्सपर्ट का भी मानना है कि रेट कट साइकिल में डेट स्कीम का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है. बेहतर प्रदर्शन करने पर इनमें ट्रेडिशनल स्मॉल सेविंग्स (Small Savings Schemes) के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलता है. ऐसे में एक कनफ्यूजन हो सकता है कि निवेशक पना पैसा डेट स्कीम में लगाएं या स्मॉल सेविंग्स स्कीम में.
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दरों में कटौती की गुंजाइश
ब्रोकरेज हाउस पीजीआईएम इंडिया का कहना है कि ग्लोबल लेवल पर मॉनेटरी सख्ती की साइकिल प्रभावी रूप से खत्म हो गई है और विकसित बाजारों के केंद्रीय बैंक सुस्त दिख रहे हैं. जबकि ग्रोथ रेट धीमी होने की स्थिति पैदा हो रही है. भारत की ग्रोथ काफी मजबूत है, लेकिन कोर इनफ्लेशन कई साल के न्यूनतम स्तर पर है. जिससे आरबीआई को इस साल के अंत में दरों में कटौती की गुंजाइश मिल गई है. यील्ड कर्व चपटा हो गया है और वित्त वर्ष 2015 में पॉजिटव डिमांड/सप्लाई की गतिशीलता और दर में कटौती की संभावनाओं को देखते हुए यह सपाट बना रह सकता है.
मिड से लॉन्ग टर्म बॉन्ड बेहतर विकल्प
पीजीआईएम इंडिया के अनुसार बॉन्ड यील्ड रेट एक्शन से पहले बढ़ती है और निवेशक फिक्स्ड इनकम के लिए आवंटन बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं. क्योंकि उम्मीद है कि लॉन्ग बॉन्ड यील्ड कम होती रहेगी और उम्मीद है कि बेंचमार्क 10 साल की बॉन्ड यील्ड Q2/Q3 CY24 तक 6.50% तक कम हो जाएगी. मिड से लॉन्ग टर्म के निवेश क्षितिज वाले निवेशक प्रॉमिनेंट सॉवरेन होल्डिंग्स के साथ 5-6 साल की अवधि वाले फंडों पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि वे वर्तमान में बेहतर रिस्क-रिवार्ड प्रदान करते हैं.
मनी मार्केट, डायनेमिक बॉन्ड फंड, गिल्ट फंड
6-12 महीने के निवेश क्षितिज वाले निवेशक मनी मार्केट फंड पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि कर्व के 1 ईयर सेगमेंट में यील्ड आकर्षक है. डायनेमिक बॉन्ड फंड और गिल्ट फंड भी इस साल के अंत में शुरू होने वाले रेट कट साइकिल की उम्मीद में लंबी अवधि के बॉन्ड यील्ड में गिरावट के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना रखते हैं.
रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर लें फैसला
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि एक बैलेंस पोर्टफोलियो बनाते समय, निवेशकों को अपने रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार, एक महत्वपूर्ण रेश्यो में फिक्स्ड इनकम के विकल्पों को शामिल करना चाहिए. किसी भी अन्य एसेट क्लास की तरह, फिक्स्ड इनकम में भी कई विकल्प होते हैं जैसे कि फिक्स्ड डिपॉजिट (FDs), स्मॉल सेविंग्स स्कीम और डेट म्यूचुअल फंड.
डेट और स्मॉल सेविंग्स में हो सही बैलेंस
निगम का कहना है कि मौजूदा समय की बात करें तो डेट फंड आकर्षक दिख रहे हैं. आने वाले दिनों में रेट कट की संभावनाएं हैं. यूएस फेड ने साल 2024 में ही 3 बार में 75 बेसिस प्वॉइंट रेट कट के संकेत दिए हैं. अगली कुछ तिमाहियों में इंडिया में भी रेट कट की संभावनाएं बन रही है. ऐसे में जिनके पास पहले से पेपर हैं, उनके रेट बढ़ेंगे. वहीं नए निवेशकों को मौजूदा समय में मिड टर्म से लॉन्ग ड्यूरेशन फंडों पर विचार करना चाहिए. रेट कट की साइकिल के बाद रेट हाइक साइकिल आने में अभी लंबा समय लगेगा.
हालांकि गारंटीड और सुरक्षित रिटर्न के लिए स्मॉल सेविंग्स स्कीम में भी कुछ हिस्सा अलोकेट करना चाहिए. स्मॉल सेविंग्स स्कीम मसलन एफडी, एनएससी, सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम, केवीपी में तय ब्याज दर के हिसाब से रिटर्न मिलता है.
स्मॉल सेविंग्स पर कितना ब्याज
5 साल की टाइम डिपॉजिट (TD): 7.5% फीसदी सालाना
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY): 8.2% सालाना
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC): 7.7% सालाना
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): 7.1% सालाना
रिकरिंग डिपॉजिट (RD): 6.7% सालाना
किसान विकास पत्र (KVP): 7.5% सालाना
सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS): 8.2% सालाना
मंथली इनकम स्कीम (MIS): 7.4% सालाना