scorecardresearch

Gold Buying Tips: फेस्टिव सीजन में सोना खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगा नुकसान

Gold Buying: देश में चल रहे फेस्टिव सीजन के दौरान सोने में निवेश शुभ माना जाता है. अगर आप इस सीजन में सोने की खरीदारी का प्लान बना रहे हैं तो कुछ खास बातों को जरूर ध्यान मे रखें. जिससे कि आप नकली, मिलावटी सोने की खरीद से बच सकें.

Gold Buying: देश में चल रहे फेस्टिव सीजन के दौरान सोने में निवेश शुभ माना जाता है. अगर आप इस सीजन में सोने की खरीदारी का प्लान बना रहे हैं तो कुछ खास बातों को जरूर ध्यान मे रखें. जिससे कि आप नकली, मिलावटी सोने की खरीद से बच सकें.

author-image
Mithilesh Kumar
New Update
Gold Reuters photo

Investment in Gold: सोने को निवेश का एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है. (Image : Reuters)

Gold Buying tips: देश में फेस्टिव सीजन चल रहा है. आने वाले हफ्तो में शादी की सीजन भी शुरू होने वाला है. ऐसे में बाजारों में काफी हलचल देखने को मिल रही है. सर्राफा बाजार की बात करें तो यहां सोने की डिमांड बढ़ गई है. जिससे इसकी कीमतों में आए दिन उछाल देखने को मिल रही है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कारणों से भी सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव नजर आ रही है. पिछले कारोबारी सत्र के दौरान सोना अपने अब तक के सबसे हाई लेवल पर है. भारतीय सर्राफा बाजार में फिलहाल दस ग्राम सोने का भाव 78450 रुपये पर है.

सोने को निवेश का एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है. देश में चल रहे फेस्टिव सीजन के दौरान सोने में निवेश शुभ भी माना जाता है. अगर आप इस सीजन में सोने की खरीदारी का प्लान बना रहे हैं तो कुछ खास बातों को जरूर ध्यान मे रखें. जिससे कि आप नकली, मिलावटी सोने की खरीद से बच सकें.

प्योरिटी का रखें ध्यान

Advertisment

सोने की प्योरिटी कैरेट में मापी जाती है. खरीदते वक्त प्योरिटी का ध्‍यान रखना बेहद जरूरी है. अगर आप प्‍योर गोल्‍ड लेने के बारे में सोच रहे हैं तो यह 24 कैरेट होता है. हालांकि आपको ज्‍वैलरी 100 फीसदी प्‍योर गोल्‍ड में नहीं मिलेगी. वजह ये है कि सोना बहुत सॉफ्ट और फ्लेक्सिबल होता है. इसके चलते 24 कैरट गोल्ड की ज्‍वैलरी नहीं बन पाती है. लेकिन गोल्‍ड बार या क्वॉइन प्‍योर गोल्‍ड में खरीदा जा सकता है. 24 कैरेट सोना शुद्ध होता है जबकि 22 कैरेट सोने में कुछ भाग अलॉय का होता है. ज्‍वैलरी बनाने में 22 कैरेट या 18 कैरेट सोने का इस्‍तेमाल होता है. भारत में आम तौर पर 22 कैरेट सोने के गहने स्टैंडर्ड शुद्धता माने जाते हैं.

Also read : Best FD Rates: अक्टूबर में सीनियर सिटिजन एफडी पर कहां मिल रहा सबसे अधिक ब्याज, बैंकों की लिस्ट चेक कर निवेश का करें फैसला

हॉलमार्क की न करें अनदेखी

ज्‍यादातर लोग गोल्ड खरीदते वक्‍त हॉलमार्क को अनदेखा करते हैं. लेकिन आप ऐसा न करें. सोना खरीदने से पहले, हॉलमार्किंग की जांच जरूर कर लें. हॉलमार्क सरकारी गारंटी है. जिसका निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है. गोल्ड के शुद्ध होने की गांरटी बीआईएस हॉलमार्क होता है. इसलिए बिना हॉलमार्क वाली ज्वैलरी न खरीदें. गोल्‍ड क्वॉइन खरीदते वक्‍त भी जांच लें कि वह BIS सर्टिफाई है या नहीं.

किसी भी गोल्‍ड आइटम पर पांच चीजें मार्क होती हैं- BIS लोगो, प्‍योरिटी या फाइननेस दर्शाने वाला नंबर जैसे 22 कैरेट या 916, एसेइंग या हॉलमार्किंग सेंटर का लोगो, मार्किंग की साल और ज्‍वैलर्स आइडेंटिफिकेशन नंबर. BIS की ओर से यह घोषणा की जा चुकी है कि वह केवल 22, 18 और 14 कैरेट वाली गोल्‍ड ज्‍वैलरी पर ही हॉल‍मार्किंग करेगा. यह नियम 1 जनवरी 2017 से लागू हो गया है.

Also read : Top 10 Mutual Funds : AUM के लिहाज से टॉप 10 म्यूचुअल फंड, SIP रिटर्न भी बेस्‍ट, 10 साल में 18-24% सीएजीआर का ट्रैक रिकॉर्ड

गोल्‍ड ज्‍वेलरी का मेकिंग चार्ज

गोल्‍ड ज्‍वैलरी बनवाते वक्त उस पर किए गए काम के हिसाब से मेकिंग चार्ज लिया जाता है. ज्वैलरी का काम जितना बारीक रहता है, उतना मेकिंग चार्ज ज्‍यादा रहता है. त्योहारों के समय डिमांड ज्‍यादा रहती है, जिसका फायदा उठाते हुए कुछ ज्वैलर्स छोटी सी ज्‍वैलरी पर भी हैवी ज्वैलरी के हिसाब से ही चार्ज वसूलते हैं.

ज्‍यादातर कस्‍टमर के पास वक्‍त कम होता है और उन्‍हें ज्‍वैलरी चाहिए होती है, इसलिए वह बहुत ज्‍यादा बार्गेन यानी तोल-मोल किए बिना ज्‍वैलर द्वारा बताया मेकिंग चार्ज देने के लिए तैयार हो जाते हैं. लेकिन सही तो यह है कि मेकिंग चार्ज को लेकर आप जितनी बार्गेनिंग कर सकते हैं, करें.

गोल्‍ड क्वॉइन में 0.5 ग्राम के मिनिमम वेट के गोल्‍ड के क्वॉइन भी खरीद सकते हैं और इसलिए ज्‍वैलरी के मुकाबले इन पर मेकिंग चार्ज भी कम होता है. गोल्‍ड क्वॉइन पर मेकिंग चार्ज की रेंज 4 फीसदी से 11 फीसदी तक है, जबकि गोल्‍ड ज्‍वैलरी पर 8-10 फीसदी तक मेकिंग चार्ज है.

Also read : Gold Buying: फेस्टिव सीजन में सोना खरीदने का है इरादा? ज्वैलरी शॉप के अलावा ऐसे भी कर सकते हैं खरीदारी

गोल्ड क्वॉइन की पैकेजिंग को लेकर रहें सतर्क

गोल्‍ड क्वॉइन टेंपर प्रूफ पैकेजिंग में आते हैं. टेंपर प्रूफ पैकेजिंग क्वॉइन की प्‍योरिटी बरकरार रहने को सुनिश्चित करती है. इसलिए गोल्‍ड क्वॉइन खरीदते वक्‍त यह ध्‍यान रखें कि क्वॉइन टेंपर प्रूफ पैकेजिंग वाला ही हो. अगर आप आगे चलकर इसे बेचना चाहते हैं तो आपको भी इसकी यही पैकेजिंग बरकरार रखनी होगी.

बिल लेना न भूलें

सोने की खरीदारी करते वक्‍त उसका पक्‍का बिल जरूर लें. कई लोग जान-पहचान की दुकान से खरीदारी करते वक्‍त बिल को तवज्‍जो नहीं देते, जो यह गलत है. सोना चाहे जहां से खरीदें लेकिन उसका पक्‍का बिल लेना न भूलें. ये भी ध्‍यान रखें कि उसमें खरीदी गई ज्‍वैलरी, मेकिंग चार्ज और दुकानदार आदि की पूरी डिटेल हो. बिल बनवाते वक्त ज्‍वैलर से सोने की प्योरिटी और कीमत को बिल पर जरूर लिखवाएं. साथ ही हॉलमार्क की पुष्टि भी कर लें.

Also read : ICICI Bank MakeMyTrip Credit Card: घूमने-फिरने वालों के लिए क्रेडिट कार्ड, फ्लाइट टिकट और होटल बुकिंग में भारी छूट, रिवार्ड प्वॉइंट और चार्ज

इन बातों का रखें ध्यान

आखिरी और सबसे जरूरी बात, सोना खरीद संरचना को समझें, खरीदारी के वक्त सोने की कीमत, प्योरिटी और मेकिंग चार्ज के बारे में जानकारी हासिल करें. ज्वेलरी खरीदते समय मेकिंग चार्ज के बारे में जरूर पूछ-परख करें. यह शुल्क एक समान नहीं होता और हर ज्वैलर का मेकिंग चार्ज अलग-अलग हो सकता है.

हर रोज सोने की कीमतों में उतार चढ़ाव होती रहती हैं, ऐसे में कीमती धातु को खरीदने से पहले उस दिन की कीमत जरूर चेक कर लें.

सोना खरीदने से पहले, बजट तय करें और उस पर कायम रहें. आवेगपूर्ण खरीदारी से बचें, जिससे ज्यादा खर्च हो सकता है

Also read : NPS Vatsalya Calculator : मंथली 3000 रुपये का निवेश आपके बच्चे को दिलाएगा 13 लाख रुपये पेंशन, पैरेंट्स में बढ़ा क्रेज

हम जाानते हैं कि सोने की प्योरिटी कैरेट में मापी जाती है और 22 कैरेट गोल्‍ड का दाम 24 कैरेट गोल्‍ड से कम होता है. ज्‍वैलरी बनाने में आमतौर पर 22 कैरेट गोल्‍ड या इससे कम प्योरिटी वाले सोने का इस्तेमाल होता है, ऐसे में वह 24 कैरेट गोल्‍ड के मुकाबले कम कीमत में आएगी.

Festive Season Gold Buying Gold Demand