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Google Tax : गूगल टैक्स 1 अप्रैल से हटाने की तैयारी, क्या है इसका मतलब और नफा-नुकसान

Google Tax : भारत सरकार 1 अप्रैल से गूगल टैक्स हटा सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल से अमेरिकी टेक कंपनियों पर डिजिटल टैक्स लगाने वाले देशों पर बदले की कार्रवाई के तौर पर टैरिफ लगाने का एलान किया है.

Google Tax : भारत सरकार 1 अप्रैल से गूगल टैक्स हटा सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल से अमेरिकी टेक कंपनियों पर डिजिटल टैक्स लगाने वाले देशों पर बदले की कार्रवाई के तौर पर टैरिफ लगाने का एलान किया है.

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Viplav Rahi
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Google Tax : भारत के गूगल टैक्स हटाने की तैयारी को ट्रंप की टैरिफ लगाने की धमकी से जोड़कर देखा जा रहा है. (File Photo : PTI)

India Plans to Remove Google Tax : भारत सरकार गूगल टैक्स को हटाने की तैयारी कर रही है. यह दावा हाल ही में आई एक मीडिया रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार गूगल टैक्स को 1 अप्रैल 2025 से हटाने जा रही है. इसके अगले ही दिन यानी 2 अप्रैल 2025 से अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उन देशों पर बदले की कार्रवाई के तौर पर टैरिफ लगाने का एलान कर चुके हैं, जो अमेरिका की टेक कंपनियों पर डिजिटल टैक्स लगाते हैं. लिहाजा, भारत सरकार की गूगल टैक्स हटाने की पहल को ट्रंप सरकार की इस कार्रवाई से बचने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. इकनॉमिक टाइम्स (ET) की इस रिपोर्ट के मुताबिक गूगल टैक्स हटाने का प्रस्ताव संसद में पेश किए गए वित्त विधेयक के संशोधनों में शामिल है.

गूगल टैक्स का क्या है मतलब

दरअसल भारत सरकार गूगल (Google), मेटा (Meta, previously Facebook) और अमेजन (Amazon) जैसी विदेशी डिजिटल कंपनियों द्वारा भारत में की जाने वाली कमाई पर इक्वलाइजेशन टैक्स या इक्वलाइजेश लेवी (Equalisation Tax or Levy) लगाती है. यह टैक्स 2016 में इसलिए शुरू किया गया, ताकि ये विदेशी कंपनियां भारत में होने वाली कमाई पर यहां वाजिब टैक्स अदा करें. इस इक्वलाइजेशन टैक्स या इक्वलाइजेश लेवी ही बोलचाल में गूगल टैक्स (Google Tax) के नाम से जाना जाता है.

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कब और क्यों शुरू हुआ गूगल टैक्स 

भारत सरकार ने गूगल, मेटा और अमेजन जैसी विदेशी डिजिटल कंपनियों द्वारा भारत में की जाने वाली कमाई पर इक्वलाइजेशन टैक्स लगाने की शुरुआत 2016 में की, जब वित्त विधेयक में इन कंपनियों की ऑनलाइन विज्ञापन सर्विसेज पर 6% टैक्स लगाया गया. इसके बाद 2020 में सरकार ने इसका विस्तार करते हुए उन सभी ई-कॉमर्स कंपनयों पर 2% टैक्स लगाया, जो भारत में स्थानीय तौर पर दुकान खोलकर (local brick-and-mortar) कारोबार नहीं करती हैं और न ही उनकी आमदनी को रॉयल्टी की कैटेगरी में रखा जाता है, लेकिन भारत में उनका बिजनेस 2 करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा है.

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क्यों हटाना पड़ रहा है गूगल टैक्स

अमेरिका गूगल टैक्स हटाने के लिए भारत पर जो बाइडेन के समय से ही दबाव डालता रहा है. भारत ने भी पिछले साल अमेरिका के साथ बनी आपसी सहमति और एक ग्लोबल टैक्स डील के तहत ईकॉमर्स पर लगाया गया 2 फीसदी टैक्स हटा दिया, लेकिन 6 फीसदी इक्वलाइजेशन टैक्स या गूगल टैक्स बना रहा. दरअसल, उस ग्लोबल टैक्स डील में यह फैसला किया गया था कि बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां अपने मूल देश के अलावा उन देशों में भी टैक्स अदा करेंगी, जहां से वे कमाई करती हैं. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद इस टैक्स डील को नहीं मानने का एलान कर दिया. इतना ही नहीं, ट्रंप ने डिजिटल सर्विसेज पर लगाए गए 6 फीसदी इक्वलाइजेशन टैक्स के जारी रहने पर 2 अप्रैल से भारत के खिलाफ बदले की कार्रवाई करते हुए टैरिफ लगाने की धमकी भी दी है. माना जा रहा है कि भारत सरकार (Government Of India) को 1 अप्रैल से इस टैक्स को हटाने का फैसला इसी दबाव में लेना पड़ रहा है, ताकि इसका असर भारत-अमेरिका के आपसी आर्थिक और व्यापारिक रिश्तों पर न पड़े.

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गूगल टैक्स हटाने का क्या होगा असर 

गूगल टैक्स (Equalisation Levy) को हटाए जाने से विशेष रूप से गूगल (Google), मेटा (Meta) और अमेजन (Amazon) जैसी विदेशी डिजिटल कंपनियों को फायदा होगा. यह टैक्स हटाने से इन कंपनियों की टैक्स देनदारी कम होगी, जिससे उन्हें भारतीय बाजार में अपने कारोबार का विस्तार करने में मदद मिलेगी. टैक्स राहत मिलने पर ये कंपनियां भारत में अपने निवेश को बढ़ा सकती हैं, जिससे डिजिटल एडवरटाइजिंग, ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर को फायदा होगा. हालांकि इससे भारतीय डिजिटल कंपनियों के लिए कंपटीशन बढ़ जाएगा और इसका मुकाबला करने के लिए उन्हें खुद को और मजबूत करना होगा. इस बढ़ती होड़ में भारतीय डिजिटल कंपनियों को कुछ नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसके अलावा भारत सरकार के लिए आमदनी का एक जरिया कम हो जाएगा. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार इस साल 15 मार्च तक इक्वलाइजेशन टैक्स के तौर पर 3343 करोड़ रुपये कलेक्ट कर चुकी है. हालांकि इस फैसले का सबसे बड़ा और तात्कालिक फायदा तो यही है कि इससे अमेरिका द्वारा बदले की कार्रवाई के तौर पर टैरिफ लगाने जाने की आशंका घटेगी और दोनों देशों के आपसी व्यापारिक संबंध बेहतर बने रहेंगे.

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