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घर खरीदते समय चेक कर लें ये 13 जरूरी डाक्युमेंट्स, थोड़ी सी चूक बन सकती है बड़ी मुसीबत. (AI Image: Gemini)
THESE Documents you must check before buying property: अपने सपनों का घर खरीदना हर भारतीय का सपना होता है. गाड़ी, EMI, इंटीरियर, सबकी योजना बन जाती है. लेकिन अगर आपने घर खरीदने के दौरान एक भी जरूरी दस्तावेज की जांच नहीं की, तो यही सपना कानूनी सिरदर्द और लाखों रुपये के नुकसान में बदल सकता है. सोचिए, आपने अपने पसंदीदा शहर में करोड़ों का फ्लैट खरीदा, बुकिंग का जश्न मना लिया, और तभी एक अनदेखा कागज आपकी खुशी को कोर्ट-कचहरी तक खींच लाता है. वजह बस इतनी कि घर खरीदते वक्त आपने लैंड रिकॉर्ड्स या जरूरी सर्टिफिकेट्स की ठीक से जांच नहीं की थी.
लैंड रिकॉर्ड्स, आपके घर का कानूनी कवच
प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री हो या उसे किराये पर देना, लैंड रिकॉर्ड्स (भू-अभिलेख) आपके मालिकाना हक़ और कानूनी सुरक्षा का सबसे बड़ा सबूत होते हैं.
इन रिकॉर्ड्स में यह जानकारी होती है कि संपत्ति का मालिक कौन है, उसकी सीमाएं क्या हैं, और अब तक उसके लेन-देन का इतिहास क्या रहा है. ये राज्य के राजस्व विभाग या स्थानीय प्रशासन द्वारा तैयार किए जाते हैं और किसी भी संपत्ति की वैधता का पहला प्रमाण माने जाते हैं.
लैंड रिकॉर्ड्स में शामिल प्रमुख जानकारियां
- मालिक का नाम और स्वामित्व का प्रकार
- संपत्ति की सीमाएं और स्थान
- पूर्व लेन-देन या ट्रांसफर का इतिहास
घर खरीदने से पहले जरूर चेक करें ये डाक्युमेंट
घर खरीदने से पहले इन दस्तावेजों की जांच जरूरी है. यहां कुछ की लिस्ट दी गई है.
- टाइटल डीड (Title Deed) (मालिकाना हक का दस्तावेज) - असली सबूत कि संपत्ति किसकी है.
- ऐन्टिसीडन्ट टाइटल डीड (Antecedent Title Deed) - बताता है कि पहले यह प्रॉपर्टी किन नामों पर रही है.
- रेवेन्यू रिकॉर्ड (Revenue Records) - ग्रामीण संपत्ति में कर और स्वामित्व का प्रमाण.
- म्युटेशन सर्टिफिकेट (Mutation Certificate)- संपत्ति के नामांतरण का सरकारी सबूत.
- पजेशन सर्टिफिकेट (Possession Certificate) बताता है कि संपत्ति का कब्जा किसके पास है.
- बिल्डिंग सेंक्शन लेटर (Building Sanction Letter) और अप्रूव्ड मैप (Approved Map) - निर्माण की वैधता का प्रमाण.
- कम्प्लीशन -ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट (Completion-Occupation Certificate) - यह तय करता है कि इमारत कानूनी रूप से पूरी और रहने योग्य है.
- इलेक्ट्रिसिटी वॉटर बिल (Electricity-Water Bills) - सभी यूटिलिटी बिल क्लियर हैं या नहीं.
- इन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate ) - संपत्ति किसी विवाद या गिरवी से मुक्त है या नहीं.
- सीईआरएसएआई सर्च (CERSAI Search) - CERSAI का मतलब सेंट्रल रेजिस्ट्री ऑफ सेक्यूरिटाइज़ेशन ऐसेट रिकंस्ट्रक्शन ऐंड सेक्यूरिटी इंट्रस्ट (Central Registry of Securitisation Asset Reconstruction and Security Interest) से है. यह एक सरकारी रजिस्ट्री (Database) है, जहां यह जांच की जाती है कि कोई संपत्ति किसी बैंक या वित्तीय संस्था के पास गिरवी तो नहीं रखी गई है. यानी खरीदे जाने वाले घर पर कहीं बैंक या फाइनेंसर ने संपत्ति पर हक तो नहीं जमाया.
- एमसीए सर्च (MCA Search) - MCA Search का मतलब होता है कि अगर जिस संपत्ति को आप खरीद रहे हैं वह किसी कंपनी के नाम पर है, तो आपको यह जांच करनी होती है कि वह कंपनी कानूनी रूप से एक्टिव है या नहीं, और उस पर कोई कर्ज, मुकदमा या दिवालियापन जैसी समस्या तो नहीं है. इसके लिए घर खरीदार को चाहिए कि वह पहले MCA (Ministry of Corporate Affairs) की वेबसाइट पर जाकर कंपनी के रजिस्ट्रेशन की जानकारी, उसकी फाइलिंग स्टेटस, डायरेक्टर्स, पेंडिंग लोन जैसे तमाम कानूनी पहलुओं की पूरी स्थिति का पता लगा लें. ऐसा करने से अगर घर किसी कंपनी की है, तो उसकी कानूनी स्थिति के बारे में जानकारी मिल जाती है.
- पेमेंट रिसिप्ट (Payment Receipts) - भुगतान पूरा होने का प्रमाण.
- प्रॉपर्टी टैक्स रिसिप्ट (Property Tax Receipts) - टैक्स का बकाया नहीं है, यह दिखाती हैं.
मामूली चूक बन सकती है बड़ी मुसीबत
अगर ये जरूरी कागज आपके पास नहीं हैं, तो नतीजे बेहद गंभीर हो सकते हैं.
- ओनरशिप डिस्प्यूट (Ownership Dispute) - टाइटल क्लियर न होने पर किसी और के मुकदमे में फंस सकते हैं.
- इलीगल कंस्ट्रक्शन (Illegal Construction) - बिना मंजूरी के निर्माण पर म्यूनिसिपल अथॉरिटी सील या डिमोलिशन कर सकती है.
- लैंड यूज वायलेशन (Land Use Violation) अगर रिहायशी जमीन पर कमर्शियल बिल्डिंग बनी है, तो कानूनी कार्रवाई होगी.
- सरप्राइज मॉरगिज (Surprise Mortgage) - संपत्ति पहले से बैंक में गिरवी है, तो बैंक आपसे वसूली कर सकता है.
- यूटिलिटी डिसकनेक्शन (Utility Disconnection) - बिना Completion/Occupation Certificate के बिजली-पानी के कनेक्शन रुक सकते हैं.
- पेंडिंग ड्यूज (Pending Dues) पुराने मालिक का टैक्स या बिल बकाया आप पर डाला जा सकता है.
लैंड रिकॉर्ड्स कहां से और कैसे करें हासिल
लैंड रिकॉर्ड्स हासिल करना अब पहले से कहीं आसान है..
- विक्रेता या बिल्डर से: मूल दस्तावेज़ उन्हीं के पास होते हैं.
- सब-रजिस्ट्रार ऑफिस: जहां संपत्ति रजिस्टर्ड है, वहां से प्रमाणित प्रति ली जा सकती है.
- ऑनलाइन पोर्टल: हर राज्य का अपना भू-अभिलेख पोर्टल है जैसे Bhulekh, Bhumi, e-Rekha आदि, जहां रिकॉर्ड्स देखे या डाउनलोड किए जा सकते हैं.
क्यों जरूरी हैं अपडेटेड लैंड रिकॉर्ड्स
- यह साबित करते हैं कि संपत्ति का असली मालिक कौन है.
- प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लोन लेने या बेचने में यही कानूनी आधार होते हैं.
- विवादों या सीमा झगड़ों के समाधान में इनकी अहम भूमिका होती है.
- संपत्ति बाजार में पारदर्शिता और निवेशकों का भरोसा बढ़ता है.
(Credit : Cleartax)
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