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SEBI circular on mutual fund investments : सेबी द्वारा एक बार फिर म्यूचुअल फंड के नियमों में रिफॉर्म का प्रपोजल लाया गया है. (Pixabay)
SEBI rules affect mutual fund investors: मार्केट रेगुलेटर सेबी द्वारा एक बार फिर म्यूचुअल फंड के नियमों में रिफॉर्म का प्रपोजल लाया गया है. सेबी (SEBI) ने निवेशकों और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को हो रही दिक्कतों को कम करने के लिए नए म्यूचुअल फंड फोलियो में पहली बार किए जाने वाले निवेश (पहला ट्रांजैक्शन) की प्रक्रिया को एक जैसा (स्टैंडर्ड) बनाने का प्रस्ताव दिया है. सेबी ने प्रस्ताव रखा है कि अब म्यूचुअल फंड अकाउंट केवल तब ही खोले जा सकेंगे जब निवेशक की KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया पूरी तरह से सत्यापित हो जाएगी.
असल में मार्केट रेगुलेटर सेबी द्वारा समय समय पर म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के नियमों में कुछ न कुछ बदलाव (new mutual fund regulations India 2025) किया जाता है, ताकि निवेशकों का हित बना रहे, साथ ही एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को भी आसानी हो. बीते कुछ सालों में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का लोकप्रियता निवेशकों के बीच बहुत ज्यादा बढ़ी है. इंडस्ट्री का कुल एयूएम 75 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है. ऐसे में सेबी समय समय पर यह ध्यान रखती है कि नियमों में कुछ बदलाव किया जाए या रिफॉर्म किया जाए. बीते कुछ महीनों में सेबी ने कुछ बदलाव या रिफॉर्म किए हैं और आगे के लिए भी कुछ प्रपोजल है.
KYC : नए प्रपोजल के क्या हैं मायने
अब अधूरे दस्तावेज़ या अधूरी जानकारी के साथ निवेश की शुरुआत नहीं की जा सकेगी. अभी की बात करें तो कई मामलों में निवेशक का अकाउंट केवाईसी प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही खुल जाता है, जिससे आगे चलकर उन्हें ट्रांजेक्शन, रिडेम्प्शन और डिविडेंड पाने में परेशानी होती है. इसी को रोकने के लिए सेबी यह नया सिस्टम लागू करने जा रहा है.
जब AMC (एसेट मैनेजमेंट कंपनी) को अकाउंट खोलने के लिए जरूरी दस्तावेज मिल जाएं और केवाईसी प्रक्रिया पूरी हो जाए, तभी नया फोलियो बनाया जाएगा. KYC पूरी होने के बाद, AMC इन दस्तावेजों को KYC रजिस्ट्रेशन एजेंसी (KRA) को भेजेगी, जो KYC की अंतिम जांच करेगी.
नए फोलियो में पहली बार निवेश केवल तब ही किया जा सकेगा, जब KRA की तरफ से KYC वेरिफिकेशन पूरा हो जाए और फोलियो को "KYC कंप्लायंट" के रूप में मार्क किया जाए. KYC प्रक्रिया के हर स्टेज पर निवेशकों को उनके रजिस्टर्ड ईमेल और मोबाइल नंबर पर सूचना दी जाएगी.
पिछले दिनों हुए बदलाव और प्रपोजल
1 . डिस्क्लोजर नियमों में बदलाव
AMFI और SEBI ने छोटे निवेशकों की सुरक्षा के लिए डिस्क्लोजर नियमों में बदलाव किया है. निवेशकों को अपने निवेश के लिए अधिक स्पष्ट और विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा. यह नियम निवेशकों को उनके निवेश के लिए सही और समय पर जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा.
2 . कट-ऑफ टाइम में बदलाव
इस साल SEBI ने ओवरनाइट म्यूचुअल फंड स्कीम्स के लिए कट-ऑफ टाइम में बदलाव किया है. 1 जून 2025 से ऑफलाइन लेनदेन का समय दोपहर 3 बजे तक हो गया है. ऑनलाइन लेनदेन का समय शाम 7 बजे तक है. इन समयों के बाद किए गए लेनदेन अगले कारोबारी दिन प्रोसेस होंगे, जिससे NAV (नेट एसेट वैल्यू) बदल सकती है. बदलाव प्लेजिंग (गिरवी रखने) की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए किया गया है.
3 . NFO को लेकर क्या बदलाव
एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को न्यू फंड ऑफर (NFO) से जुटाए गए पैसों को तय समय में निवेश करना होगा. अगर वे ऐसा नहीं करते, तो निवेशक बिना एग्जिट लोड दिए अपना पैसा निकाल सकते हैं. यह नियम AMCs को जरूरत से ज्यादा पैसा जुटाने से रोकेगा और सही जगह निवेश सुनिश्चित करेगा. इसके लिए 30 दिन का समय निर्धारित है.
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4 . स्ट्रेस टेस्ट के नतीजे बताने होंगे
म्यूचुअल फंड स्कीम्स को स्ट्रेस टेस्ट के नतीजे बताने होंगे, ताकि निवेशकों को स्कीम की वित्तीय स्थिति का सही अंदाजा हो सके. AMC कर्मचारियों की सैलरी का कुछ हिस्सा म्यूचुअल फंड स्कीम्स में लगाया जाएगा. कितना पैसा और किन स्कीम्स में निवेश होगा, यह उनकी भूमिका पर निर्भर करेगा. इससे कर्मचारियों और निवेशकों का हित एक जैसा होगा.
5 . रिस्क पैरामीटर्स की जानकारी
अब से पहले, म्यूचुअल फंड्स के निवेशकों को अपने निवेश के रिस्क पैरामीटर्स की जानकारी महीने के अंत में मिलती थी] यह जानकारी हर महीने के 15 दिन के भीतर उपलब्ध होगी.
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