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Mutual fund selection tips : रिटेल निवेशकों का म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री से लगातार जुड़ाव की एक वजह इसमें मिलने वाला हाई रिटर्न है. (Image : Freepik)
How Choose Right Mutual Fund : भारत में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) अगस्त 2025 तक बढ़कर 75.19 लाख करोड़ रुपये हो गया है. जबकि अगस्त में टोटल SIP 28,464 करोड़ रुपये रही. SIP का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 15.18 लाख करोड़ रुपये हो गया. इस तरीख तक म्यूचुअल फंड फोलियो की कुल संख्या बढ़कर 24.89 करोड़ हो गई. जो यह दिखाता है कि रिटेल निवेशक लगातार इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन रहे हैं.
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रिटेल निवेशकों का म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री से लगातार जुड़ाव की एक वजह इसमें मिलने वाला हाई रिटर्न है. म्यूचुअल फंड में निवेश लंबी अवधि में अपनी दौलत में इजाफा करने का एक बेहतर विकल्प है. इसमें सीधे इक्विटी में पैसा लगाने की तुलना में सुरक्षा मिलती है. वहीं लंबी अवधि में खासतौर से इक्विटी फंड 12 से 18 फीसदी सीएजीआर से रिटर्न दे रहे हैं. तो सवाल यह है कि आप अपने लिए बेहतर म्यूचुअल फंड स्कीम कैसे चुनें.
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म्यूचुअल फंड क्या हैं, कितने तरह के हैं?
म्यूचुअल फंड अलग-अलग निवेशकों से पैसा इकट्ठा कर उसे इक्विटी, बॉन्ड्स और अन्य एसेट क्लास में निवेश करते हैं. ये फंड प्रोफेशनल फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किए जाते हैं. म्यूचुअल ुंड की 3 कैटेगरी हैं.
1. इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund)
ये फंड मुख्य रूप से स्टॉक्स में निवेश करते हैं. इनमें भी 11 सब कैटेगरी है, जैसे लार्ज कैप फंड, मिड कैप फंड, स्मॉल कै फंड, ईएलएसएस आदि.
2. डेट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual Funds)
ये फंड कन्जर्वेटिव निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं, जो रेगुलर इनकम को प्राथमिकता देते हैं.
आम तौर पर ये फंड, सरकारी और कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश करते हैं. इक्विटी फंड की तुलना में इनमें रिटर्न कम होते हैं, लेकिन जोखिम भी कम होता है.
सब कैटेगरी में ओवरनाइट फंड, लिक्विड फंड, डायनमिक बॉन्ड फंड, लॉन्ग टर्म इनकम फंड, लो ड्यूरेशन फंड, मिड ड्यूरेशन फंड आदि शामिल हैं.
3. हाइब्रिड फंड (Hybrid Mutual Funds)
ये फंड इक्विटी और फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज दोनों में निवेश करते हैं. इनका उद्देश्य जोखिम और रिटर्न में संतुलन बनाना है. इक्विटी हिस्सा ग्रोथ देता है और डेट हिस्सा संतुलन.
उदाहरण : कन्जर्वेटिव हाइब्रिड फंड, बैलैंस्ड एडवांटेज फंड, एग्रेसिव हाइब्रिड फंड आदि.
सही म्यूचुअल फंड चुनने के 8 आसान स्टेप्स
1. तय करें अपने वित्तीय लक्ष्य
पहले अपना वित्तीय लक्ष्य तय करें कि आप किस लिए निवेश करना चाहते हैं, जैसे रिटायरमेंट प्लानिंग, बच्चे की पढ़ाई या अन्य उद्देश्य. इससे सही एसेट क्लास और म्यूचुअल फंड स्कीम चुनने में मदद मिलेगी.
2. अपने रिस्क लेने की क्षमता समझें
मार्केट की उतार-चढ़ाव को देखते हुए अपने रिस्क लेने की क्षमता को पहचानें. इक्विटी फंड में हाई रिस्क है, लेकिन हाई रिटर्न मिलने के भी चांस हैं. डेट फंड में लो रिस्क है, वहीं स्थिर मिलता है.
3. निवेश की अवधि
एसेट क्लास चुनते समय निवेश की अवधि महत्वपूर्ण होती है. लंबी अवधि (5 साल या उससे ज्यादा) के लिए इक्विटी फंड बेहतर हैं. शार्ट टर्म के लिए डेट फंड बेहतर विकल्प हैं.
4. फंड के प्रदर्शन चेक करें
फंड का पिछला प्रदर्शन भविष्य की गारंटी नहीं देता, लेकिन निवेशकों को भरोसा दिलाता है.
अलग-अलग अवधि के रिटर्न देखें (जैसे कैलेंडर ईयर रिटर्न, रोलिंग रिटर्न). अलग अलग मार्केट कंडीशंस में रिटर्न बेहतर होना चाहिए.
5. एक्सपेंस रेश्यो यानी फंड की लागत
म्यूचुअल फंड का एक्सपेंस रेश्यो देखें. कम लागत वाले फंड से कुल रिटर्न बढ़ सकता है. पैसिव फंड आम तौर पर कम खर्च वाले होते हैं. निवेश से पहले फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें.
6. फंड मैनेजर का अनुभव
फंड मैनेजर आपका पैसा निवेश करता है. अनुभवी और कुशल मैनेजर फंड के प्रदर्शन में मदद कर सकते हैं.
7. डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो
अलग-अलग प्रकार के म्यूचुअल फंड में निवेश करने से जोखिम कम होता है. अलग अलग एसेट क्लास में निवेश करके मार्केट की उतार-चढ़ाव से सुरक्षा मिलती है.
8. टैक्स का असर
इक्विटी म्यूचुअल फंड और डेट फंड पर लगने वाले टैक्स का एनालिसिस करें.