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Old AC Scrappage Policy : पुराने एसी को बदलने के लिए सरकार की तरफ से इंसेटिव दिया जा सकता है. Photograph: (Image : Pixabay)
Get Paid for Buying New AC in Place of Old : अगर आपका एयर कंडीशनर (AC) आठ साल से अधिक पुराना है, तो सरकार की ओर से जल्द ही इसे बदलने पर इन्सेंटिव मिलने की संभावना है. सरकार पुराने और कम एफीशिएंसी वाले एसी को हटाकर 5-स्टार रेटिंग वाले एनर्जी एफिशिएंट मॉडल को अपनाने के लिए इंसेंटिव योजना लाने पर विचार कर रही है. इस योजना का उद्देश्य बिजली की खपत कम करना, कंज्यूमर्स के बिजली बिल घटाना और बेहतर कूलिंग सॉल्यूशन्स को बढ़ावा देना है. यह खबर फाइनेंशियल एक्सप्रेस को सरकारी सूत्रों से मिली है.
AC बदलने पर 3 तरह से मिल सकता है इन्सेंटिव
सरकार की प्रस्तावित योजना के तहत कंज्यूमर्स को तीन तरीकों से इन्सेंटिव मिल सकता है. पहला तरीका यह है कि कंज्यूमर अपने पुराने एसी को रीसाइक्लर्स को बेच सकते हैं और इसके बदले एक सर्टिफिकेट हासिल कर सकते हैं, जिसे नया 5-स्टार एसी खरीदते समय भुनाया जा सकता है. दूसरा तरीका एसी बनाने वाली कंपनियों के एक्सचेंज ऑफर के जरिये छूट देने का हो सकता है. तीसरा तरीका बिजली बिल पर रिबेट के रूप में इन्सेंटिव देने का भी हो सकता है. इस योजना को वेहिकल स्क्रैपेज पॉलिसी की तर्ज पर डिजाइन किया जा रहा है.
बिजली की बढ़ती खपत और एसी की बढ़ती मांग
देश में एयर कंडीशनर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है. 2021-22 में जहां 8.4 मिलियन एसी बिके थे, वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 10.9 मिलियन तक पहुंच गया. भारत में एनर्जी एफिशिएंसी ब्यूरो (BEE) के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में इमारतों में लगभग 500 टेरावाट-घंटे (TWh) बिजली की खपत हुई, जिसमें से 25% खपत केवल कूलिंग के लिए थी. बढ़ते तापमान और शहरीकरण के कारण यह खपत और बढ़ने की संभावना है. BEE की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एसी का इस्तेमाल करने वाले घरों की संख्या 2017-18 में 8% थी, जो 2027-28 तक 21% और 2037-38 तक 40% पर पहुंच सकती है.
एनर्जी सेविंग को बढ़ाना देना चाहती है सरकार
सरकार का उद्देश्य बिजली की मांग को कम करना और कंज्यूमर्स को अधिक एफीशिएंसी वाले मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित करना है. पुराने एसी, खासकर 3-स्टार से कम रेटिंग वाले मॉडल्स में बिजली की खपत बहुत ज्यादा होती है. प्रस्तावित योजना से न केवल कंज्यूमर्स के बिजली बिल घटेंगे, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा की मांग को भी कम किया जा सकेगा.
सरकार के एक अधिकारी ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस को बताया कि “इस योजना का मकसद बिजली की मांग को संतुलित करना और नॉन-एफिशिएंट एसी की जगह BEE 5-स्टार एसी को बढ़ावा देना है. कंज्यूमर्स को प्रेरित करने के लिए निर्माता कंपनियों, रीसाइक्लर्स और सीधे बिजली बिल में छूट देने का सिस्टम डेवलप किया जा रहा है.”
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एसी कंपनियों से भी हो रही बातचीत
सरकार इस योजना को सफल बनाने के लिए प्रमुख एसी मैन्युफैक्चरर्स से भी बात कर रही है. ब्लू स्टार, गोदरेज, हैवेल्स (लॉयड), एलजी, वोल्टास, ओ’जनरल और सैमसंग जैसी कंपनियों को योजना लागू करने के मामले में अपने इनपुट देने को कहा गया है. इससे बाजार में अधिक कंपटीशन होगा और कंज्यूमर्स को अधिक फायदा मिलेगा.
कंज्यूमर्स को होगा फायदा
नई योजना से कंज्यूमर्स को सीधा आर्थिक लाभ होगा. BSES यमुना पावर लिमिटेड के अनुमानों के अनुसार पुराने एसी को 5-स्टार मॉडल से बदलने पर सालाना लगभग 1,276.8 kWh बिजली की बचत हो सकती है, जिससे कंज्यूमर्स के एक साल में करीब 6,320 रुपये बचेंगे. अगर 3,000 एसी को बदला जाए, तो कुल मिलाकर 3.83 मिलियन kWh (MUs) बिजली और करीब 1.90 करोड़ रुपये की बचत संभव हो सकती है.
पर्यावरण भी सुधरेगा
यह योजना आर्थिक लाभ के साथ-साथ पर्यावरण (Environment ) के लिए भी महत्वपूर्ण होगी. फिलहाल दुनिया भर में निकलने वाली ग्रीनहाउस गैस में कूलिंग प्रॉसेस का हिस्सा 7% है और 2050 तक यह आंकड़ा दोगुना हो सकता है. भारत में स्पेस कूलिंग का योगदान 2016 में 8% था, जो 2050 तक 30% तक पहुंच सकता है. अगर इस योजना को असरदार ढंग से लागू किया जाता है, तो यह भारत के ‘इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान’ (ICAP) के तहत 2038 तक 25-40% कूलिंग एनर्जी रिक्वायरमेंट्स को कम करने में मदद कर सकता है.
(Credit : Nitin Kumar)