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Income Tax Act 2025 : नए इनकम टैक्स कानून को पारित करते समय कई गलतियों को ठीक कर दिया गया है. (AI Generated Image)
Income Tax Act 2025 : संसद ने इनकम टैक्स बिल 2025 का संशोधित रूप पास करते समय ऐसी कई गलतियों या खामियों को ठीक कर दिया है, जो पुराने ड्राफ्ट में हो गई थीं. इन संशोधनों को पास किए जाने से देश के लाखों टैक्सपेयर्स को भारी राहत मिलेगी. इन बदलावों में निल TDS सर्टिफिकेट, हाउस प्रॉपर्टी इनकम पर स्टैंडर्ड डिडक्शन, नॉन-एम्प्लॉइज के लिए पेंशन छूट और गुमनाम दान के नियमों में सुधार जैसे कई अहम प्रावधान शामिल हैं. आइए जानते हैं, आखिर ये 5 बड़े बदलाव क्या हैं और कैसे आपको फायदा देंगे.
1. जीरो TDS सर्टिफिकेट पर सुधारी गड़बड़ी
पुरानेइनकम टैक्स एक्ट 1961 में धारा 197 के तहत निल यानी जीरो और लोअर TDS सर्टिफिकेट दोनों का प्रावधान था, लेकिन नए बिल के शुरुआती ड्राफ्ट में "निल" (Nil) शब्द हटा दिया गया था. इससे उन टैक्सपेयर्स के लिए परेशानी खड़ी हो सकती थी, जिनकी आय बेसिक छूट सीमा या सेक्शन 87A रिबेट के बाद टैक्स फ्री होती है. संशोधित बिल में अब फिर से "निल" शब्द जोड़ दिया गया है, जिससे साफ हो गया है कि जरूरत पड़ने पर टैक्सपेयर्स निल TDS सर्टिफिकेट ले सकते हैं. इससे अनावश्यक विवाद और रिफंड के झंझट से बचा जा सकेगा.
2. नॉन-एम्प्लॉइज को भी मिलेगी पेंशन टैक्स छूट
पहले ड्राफ्ट में कम्यूटेड पेंशन पर छूट सिर्फ कर्मचारियों को दी गई थी, जबकि मौजूदा कानून में यह सुविधा नॉन-एम्प्लॉइज को भी मिलती है, बशर्ते पेंशन अप्रूव्ड पेंशन फंड से आई हो. समिति ने इस असमानता को दूर करते हुए सिफारिश की कि नॉन-एम्प्लॉइज को भी यह छूट दी जाए. संशोधित बिल में यह बदलाव कर दिया गया है, जिससे अब सभी पात्र लोग, चाहे वे सैलरीड हों या न हों, पेंशन की पूरी राशि पर छूट पा सकेंगे.
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3. हाउस प्रॉपर्टी इनकम पर स्टैंडर्ड डिडक्शन की स्पष्टता
नए बिल में साफ कर दिया गया है कि हाउस प्रॉपर्टी इनकम पर 30% का स्टैंडर्ड डिडक्शन म्यूनिसिपल टैक्स घटाने के बाद ही मिलेगा, जैसा कि मौजूदा कानून में है. इसके अलावा, पहले ड्राफ्ट में प्री-कंस्ट्रक्शन लोन इंटरेस्ट डिडक्शन सिर्फ सेल्फ-ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी के लिए था, जिससे किराए पर दी गई प्रॉपर्टी के मालिकों को नुकसान होता. संशोधित बिल में अब किराए पर दी गई या मानी हुई किराए पर दी गई प्रॉपर्टी के लिए भी यह डिडक्शन बहाल कर दिया गया है.
4. गोपनीय दान पर छूट के पुराने नियम बहाल
गैर-लाभकारी संगठनों के लिए पुराने कानून में कुल डोनेशन का 5% तक गुमनाम या गुप्त दान टैक्स फ्री होता था. नए बिल के पहले ड्राफ्ट में इसे "गुमनाम दान का 5%" कर दिया गया था, जिससे छूट का दायरा काफी घट जाता. समिति की सिफारिश के बाद संशोधित बिल में अब फिर से "कुल डोनेशन का 5%" वाला प्रावधान बहाल कर दिया गया है. इससे NGO और चैरिटेबल ट्रस्ट पर टैक्स का बोझ नहीं बढ़ेगा.
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5. खाली पड़ी कमर्शियल प्रॉपर्टी पर नियम में सुधार
पहले ड्राफ्ट में सिर्फ "ऑक्यूपाइड" कमर्शियल प्रॉपर्टी को हाउस प्रॉपर्टी इनकम के टैक्स से बाहर रखा गया था, जिससे खाली पड़ी बिजनेस प्रॉपर्टी पर भी नोशनल रेंट (Notional Rent) लगने का खतरा था. समिति ने सुझाव दिया कि मौजूदा कानून की तरह "ऑक्यूपाइड" और "वैकेंट" दोनों तरह की कमर्शियल प्रॉपर्टी को बाहर रखा जाए. संशोधित बिल में यह सुधार कर दिया गया है, जिससे बिजनेस के लिए रखी गई लेकिन फिलहाल खाली पड़ी प्रॉपर्टीज पर अनावश्यक टैक्स का टेंशन टल गया है.