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Income Tax: क्या है सेक्शन 80C, यह आपको टैक्स बचाने में कैसे करता है मदद

Income Tax Savings Option: 31 मार्च अब करीब आ रहा है, ऐसे में अब टैक्स बचाने के लिए निवेश की कवायद भी तेज हो गई है. इन दिनों खासतौर से सैलरी पेशा टैक्स सेविंग्स के विकल्प तलाशने में लग जाते हैं.

Income Tax Savings Option: 31 मार्च अब करीब आ रहा है, ऐसे में अब टैक्स बचाने के लिए निवेश की कवायद भी तेज हो गई है. इन दिनों खासतौर से सैलरी पेशा टैक्स सेविंग्स के विकल्प तलाशने में लग जाते हैं.

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Sushil Tripathi
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Income Tax Act 1961, Section 80C

Tax savings Investment: इनकम टैक्स एक्ट 1961 के धारा 80C का लाभ लेना है तो निवेश के कई विकल्प हैं. (Reuters)

Income Tax Act: 31 मार्च अब करीब आ रहा है, ऐसे में अब टैक्स बचाने (Tax Savings) के लिए निवेश की कवायद भी तेज हो गई है. इन दिनों खासतौर से सैलरी पेशा टैक्स सेविंग्स के विकल्प तलाशने में लग जाते हैं. टैक्स सेविंग्स में इनक टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 80C (Income Tax Section 80C) की चर्चा सबसे ज्यादा होती है. यह अक्सर उपयोग की जाने वाली कटौतियों में से एक है. आमतौर पर निवेशक टैक्स बचाने के लिए इस विकल्प को उपयोग करते ही हैं. आप धारा 80C के तहत टैक्स बेनेफिट का लाभ ले सकते हैं या नहीं, यह आपके द्वारा चुनी गए टैक्स सिस्टम पर निर्भर करता है. धारा 80C के तहत टैक्स बेनेफिट सिर्फ उन्हीं के लिए उपलब्ध है, जो पुराने टैक्स सिस्टम का विकल्प लेते हैं. जो लोग नए सिस्टम का चुनाव करते हैं, वे धारा 80C पर टैक्स बेनेफिट नहीं ले सकते हैं.

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क्या है आईटी एक्ट का सेक्शन 80C?

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धारा 80C टैक्सेबल इनकम को कम करने और बाद में टैक्स देनदारियों को कम करने के उद्देश्य से टैक्स डिडक्शन के रूप में काम करता है. इस प्रावधान में स्पेसिफिक निवेश और भुगतान के विकल्प शामिल हैं, जो टैक्सेबल इनकम को 1.5 लाख रुपये तक कम कर सकते हैं.  80C के तहत आने वाले निवेश विकल्पों में 1.5 लाख रुपये से अधिक का भी निवेश कर सकते हैं. लेकिन टैक्स बचत के हिसाब से टैक्स बेनेफिट सिर्फ 1.5 लाख रुपये तक ही होगा. 80C के तहत आने वाले टैक्स बचत के ज्यादातर निवेश विकल्पों में लॉक-इन होता है. मसलन 5 साल की एफडी, ईएलएसएस. 

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निवेश के लिए ये हैं विकल्प

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के धारा 80C का लाभ लेना है तो निवेश के कई विकल्प हैं. जैसे ईपीएफ (EPF), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), सुकन्या समृद्धि योजना (SSY), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम या टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ELSS), टैक्स सेविंग एफडी (Fixed Deposit), नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS), लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पेमेंट, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP). इसके अलावा, दो बच्चों की पढ़ाई में सिर्फ ट्यूशन फीस, होम लोन की किस्त में शामिल मूलधन का हिस्सा, घर की खरीद में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज आदि पर भी आप धारा 80C के तहत आयकर छूट का क्लेम कर सकते हैं. निवेश के इन विकल्पों में एक फाइनेंशियल ईयर में आप 1.50 रुपये तक की जमा पर टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं. 

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इनकम टैक्स धारा 80CCC के तहत क्या आता है?

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80CCC, इनकम टैक्स में कटौती की अनुमति देती है, जिसका क्लेम सार्वजनिक इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा पेश किए गए कुछ एन्युटी प्लान या पेंशन फंड खरीदने के लिए किया जा सकता है. यह जरूरी है कि सेक्शन 10 (23AAB) के संदर्भ में इस तरह के फंड के लिए पात्र होना चाहिए.

इस प्रकार की पॉलिसियों के तहत कोई छूट नहीं है, जहां बोनस की तरह मिलने वाली आय भुगतान और अर्जित ब्याज पर हमेशा टैक्स लगता है. इन कटौतियों का दावा निवासी और अनिवासी भारतीय दोनों कर सकते हैं, जबकि एक अविभाजित हिंदू परिवार इस धारा के तहत कटौती का दावा नहीं कर सकता है.

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