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Income Tax : यह बिल इनकम टैक्स से संबंधित कानूनों में बदलाव के लिए बनाया गया है, और यह इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह लेगा. (ANI)
New Incoma Tax Bill, 2025 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार 11 अगस्त 2025 को नया इनकम टैक्स बिल, 2025 का रिवाइज्ड वर्जन फिर से पेश किया है. सरकार ने संशोधित विधेयक में "लगभग सभी चयन समिति की सिफारिशें" शामिल की हैं.
इनकम टैक्स (संख्या 2) विधेयक, 2025 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि यह विधेयक इनकम टैक्स से संबंधित कानूनों को एक जगह लाने और उनमें बदलाव करने के लिए बनाया गया है, और यह इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह लेगा.
सरकार ने 8 अगस्त को संसद में पेश किए गए इनकम टैक्स बिल, 2025 के पुराने मसौदे को औपचारिक रूप से वापस ले लिया. यही वह विधेयक है जिसे फरवरी में बजट सत्र के दौरान पेश किया गया था और तुरंत चयन समिति के पास भेज दिया गया था.
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के बयान में कहा गया​ कि सरकार ने चयन समिति की लगभग सभी सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं. इसके अलावा, हितधारकों से ऐसे सुझाव भी मिले हैं जिनसे प्रस्तावित कानूनी अर्थ को और स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जा सके.
बयान में आगे कहा गया कि मसौदे की भाषा में सुधार, वाक्यों के मिलान, आवश्यक बदलाव और क्रॉस-रेफरेंस जैसे संशोधन किए गए हैं. इसलिए, सरकार ने चयन समिति द्वारा प्रस्तुत इनकम टैक्स बिल, 2025 को वापस लेने का निर्णय लिया है. इसके स्थान पर इनकम टैक्स (संख्या 2) बिल, 2025 तैयार किया गया है, जो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह लेगा.
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चयन समिति की 285 से ज्यादा सिफारिशें
लगभग चार महीने की गहन समीक्षा के बाद, समिति ने 4,500 पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट तैयार की, जिसमें 285 से अधिक सिफारिशें थीं. इन सुझावों का उद्देश्य था, कानून (Income Tax) की भाषा को आसान बनाना, प्रावधानों में स्पष्टता लाना और करदाताओं के लिए अनुपालन (कंप्लायंस) को आसान करना। अब सरकार ने इन बदलावों को शामिल करते हुए नया मसौदा पेश किया है.
1961 का कानून बनाम 2025 का नया बिल, क्या अंतर है?
पुराना इनकम टैक्स एक्ट, 1961 कई दशकों से लागू है, लेकिन इसकी भाषा और संरचना आम आदमी के लिए अक्सर उलझनभरी रही है. नया बिल इसे पूरी तरह बदलने के उद्देश्य से लाया गया है.
इसमें 536 धाराएं और 16 शेड्यूल होंगे, जिन्हें साफ-सुथरे तरीके से व्यवस्थित किया गया है.
“प्रीवियस ईयर” और “असेसमेंट ईयर” की जगह अब एक ही “टैक्स ईयर” का कॉन्सेप्ट होगा.
गैर-जरूरी और विरोधाभासी प्रावधान हटाकर मुकदमों (लिटिगेशन) को कम करने की कोशिश की गई है.
डिजिटल युग के हिसाब से नियम बनाने के लिए सीबीडीटी को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं.
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चयन समिति ने क्या कहा?
समिति की कुछ अहम सिफारिशें इस प्रकार हैं :
टैक्स रिफंड में लचीलापन : जो लोग रिटर्न देर से भरते हैं, उन्हें भी रिफंड पाने का अधिकार होगा.
डिविडेंड में राहत : इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर ₹80 लाख की कटौती (डिडक्शन) का प्रावधान फिर से लाया जाएगा.
NIL-TDS विकल्प : जिन पर टैक्स देनदारी नहीं है, वे एडवांस NIL-TDS सर्टिफिकेट ले सकेंगे.
खाली घर पर टैक्स राहत : केवल ‘नोशनल रेंट’ (notional rent) पर टैक्स लगाने का प्रावधान हटाया गया.
हाउस प्रॉपर्टी डिडक्शन में स्पष्टता : म्यूनिसिपल टैक्स घटाने के बाद 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा, और किराए पर दिए गए मकान पर ब्याज की कटौती भी जारी रहेगी.
कंप्लायंस नियमों को आसान बनाना : पीएफ निकासी पर TDS, एडवांस रूलिंग फीस और पेनाल्टी से जुड़े प्रावधान स्पष्ट किए गए.
MSME की परिभाषा में समानता : MSME की परिभाषा, MSME एक्ट के अनुरूप होगी.
भाषा और ड्राफ्टिंग में सुधार : धाराओं की नंबरिंग और शब्दावली सही की गई.
प्रॉपर्टी वर्गीकरण में स्पष्टता : ‘Occupied’ शब्द की जगह ऐसा शब्द इस्तेमाल होगा जिससे गलत वर्गीकरण न हो.
पेंशन लाभ का विस्तार : गैर-कर्मचारी व्यक्तियों को भी कम्यूटेड पेंशन डिडक्शन का लाभ मिलेगा.