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Income Tax Rules: किसी रेजिडेंशियल हाउसिंग प्रॉपर्टी को बेचने से अगर आपको मुनाफा होता है, तो उस पर टैक्स की देनदारी कितनी होगी, इसकी जानकारी इनकम टैक्स एक्ट में दी गई है.
Income Tax liability after selling your old flat and buying a new residential property: अपना पुराना घर बेचकर मिले पैसों पर क्या इनकम टैक्स भरना पड़ेगा? अगर हां, तो कितना? और अगर पुराना घर बेचने से मिले पैसों से नया घर खरीद लिया जाए, तो क्या टैक्स में कोई छूट मिलेगी? अगर आपने बरसों पहले कोई फ्लैट या रिहायशी घर खरीदा था और अब उसे बेचना चाहते हैं, या पुराना घर बेचकर नया खरीदने की सोच रहे हैं, तो ऐसे कई सवाल आपके मन में जरूर उठते होंगे. तो आइए जानते हैं कि इन सवालों के बारे में इनकम टैक्स के नियम क्या कहते हैं.
क्या कहते हैं इनकम टैक्स के नियम
किसी भी रेजिडेंशियल हाउसिंग प्रॉपर्टी को बेचने से अगर आपको मुनाफा होता है, तो उस पर टैक्स की देनदारी तो बनती है. ये देनदारी कितनी होगी, इसकी जानकारी इनकम टैक्स एक्ट की कई धाराओं में दी गई है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 48 में दिए इन नियमों के मुताबिक अगर किसी रिहायशी घर को खरीदने के बाद दो साल के भीतर बेच दिया जाए, तो उस पर हुए मुनाफे पर स्लैब रेट के हिसाब से इनकम टैक्स भरना होगा. लेकिन अगर उसी घर को 24 महीने यानी दो साल से ज्यादा समय तक रखने के बाद बेचा जाए तो उससे होने वाले प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाता है, जिस पर 20 फीसदी की रियायती दर से LTCG टैक्स देना होता है.
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कैसे होता है मुनाफे का कैलकुलेशन
खास बात ये है कि घर बेचने से हुए मुनाफे का कैलकुलेशन करते समय न सिर्फ उस प्रॉपर्टी के खरीद मूल्य को बिक्री मूल्य से घटाया जाता है, बल्कि खरीदते समय हुए दूसरे खर्चों, मसलन रजिस्ट्रेशन चार्ज को भी एडजस्ट किया जाता है. इसके अलावा प्रॉपर्टी को होल्ड करने के दौरान अगर आपने उसके इंप्रूवमेंट पर पैसे खर्च किए हैं, तो उसे भी मुनाफे से कम कर सकते हैं. इसके अलावा प्रॉपर्टी को बेचने पर होने वाले खर्च, मसलन, ब्रोकरेज, लीगल फीस वगैरह को भी मुनाफे से घटाया जाता है.
कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स
रेजिडेंशियल हाउसिंग प्रॉपर्टी को बेचने से हुए प्रॉफिट में इंडेक्सेशन बेनिफिट भी मिलता है. इसके लिए घर की परचेजिंग प्राइस को कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) की मदद से इंफ्लेशन के लिए एडजस्ट किया जाता है. यह इंडेक्स हर साल सरकार की तरफ से जारी किया जाता है. इस एडजस्टमेंट से पुराने घर की ओरिजनल प्राइस इंफ्लेशन के अनुपात में बढ़ जाती है, जिससे प्रॉफिट घट जाता है. और जब लाभ कम होगा, तो उस पर लगने वाला टैक्स भी घट जाएगा, जिसका फायदा घर बेचने वाले को मिलेगा.
मुनाफे से दूसरा घर खरीदने पर टैक्स में रियायत
आयकर अधिनियम की धारा 54 के मुताबिक अगर आपको अपना पुराना रिहायशी घर बेचने पर मुनाफा होता है और आप उस रकम से अपने लिए नई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो आपको उस रकम पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिल सकती है. यह छूट सिर्फ इंडीविजुअल इनकम टैक्स पेयर्स या हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) को ही मिलती है. इनकम टैक्स में मिलने वाली इस रियायत को हासिल करने के लिए बेची और खरीदी गई प्रॉपर्टी का रिहायशी घर होना जरूरी है. इसके अलावा पुराना घर बेचने के बाद 2 साल में नया घर खरीदना भी अनिवार्य है. अगर आप बना-बनाया रिहायशी घर खरीदने की बजाय अपने लिए घर बनवा रहे हैं, तो 2 साल की जगह 3 साल का समय ले सकते हैं. अगर आपने पुराना घर बेचने की तारीख से एक साल पहले तक नया घर खरीदा है, तो भी आप उस पर LTCG टैक्स में छूट क्लेम कर सकते हैं. LTCG टैक्स पर मिलने वाली इस छूट के लिए 10 करोड़ रुपये की मैक्सिमम लिमिट भी निर्धारित है. नए नियमों के तहत अब आप एक घर बेचने से हुए मुनाफे से अगर 2 साल के भीतर दो घर खरीदते हैं, तो भी यह छूट ले सकते हैं. हालांकि ऐसी हालत में आपका कुल लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.