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ITR Refund: अबतक नहीं मिला टैक्स रिफंड! जारी करने की क्या है डेडलाइन? इन पैसों पर कितना मिलेगा ब्याज? फुल डिटेल

ITR Refund Delays : कुछ मामलों में आईटीआर फाइलिंग के बाद 24 घंटे के भीतर रिफंड आ गए. वहीं बड़ी संख्या में करदाता आयकर विभाग द्वारा रिफंड जारी किए जाने के लिए महीनेभर से अधिक समय से प्रोसेस करने का इंतजार कर रहे हैं.

ITR Refund Delays : कुछ मामलों में आईटीआर फाइलिंग के बाद 24 घंटे के भीतर रिफंड आ गए. वहीं बड़ी संख्या में करदाता आयकर विभाग द्वारा रिफंड जारी किए जाने के लिए महीनेभर से अधिक समय से प्रोसेस करने का इंतजार कर रहे हैं.

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FE Hindi Desk
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ITR Filing beyond deadline

When will you get your tax refunds? आयकर विभाग ने असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाई. (Image: Freepik)

Income Tax Refund Delays: आयकर विभाग ने असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाई. दिलचस्प बात ये है कि जिन टैक्सपेयर्स ने डेडलाइन खत्म होने से 11 घंटे पहले टैक्स रिटर्न फाइल की उनके रिटर्न तेजी से प्रोसेस किए गए और उन्हें आईटीआर रिफंड भी हासिल हुए. वहीं कुछ टैक्सपेयर्स जिन्होंने डेडलाइन से काफी पहले टैक्स रिटर्न भरा था, वे अभी भी अपने रिफंड का इंतजार कर रहे हैं. कुछ मामलों में आईटीआर फाइलिंग के बाद 24 घंटे के भीतर रिफंड आ गए. वहीं बड़ी संख्या में करदाता आयकर विभाग द्वारा रिफंड जारी किए जाने के लिए महीनेभर से अधिक समय से प्रोसेस करने का इंतजार कर रहे हैं.

जिन करदाताओं को अभी तक अपने आईटीआर रिफंड नहीं मिला है, वे सोच रहे होंगे कि डेडलाइन से काफी पहले रिटर्न फाइल करने के बावजूद आईटीआर प्रोसेस क्यों नहीं हुआ. आमतौर पर आयकर विभाग ने एक निश्चित समय-सीमा के भीतर कर रिफंड जारी किए हैं, लेकिन कई कारक रिफंड में देरी के लिए कई कारण हो सकते हैं. इन कारणों को समझने और कानूनी तौर पर विभाग रिफंड जारी करने में कितना समय ले सकता है, ऐस तमाम बातों को जानने से, आपकी निराशा को कम करने में मदद मिल सकती है.

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रिफंड में देरी के लिए ये कारक हो सकते हैं जिम्मेदार

आईटीआर प्रोसेसिंग में देरी के लिए जिम्मेदार कई कारक हैं. जिनमें से एक रिटर्न फाइलिंग के लिए करदाता ने कौन सा फार्म भरा है.

ग्रांट थॉर्न्टन भारत के अखिल चंदना (Akhil Chandna) बताते है कि ITR-2 या ITR-3 फार्म की तुलना में ITR-1 (सहज) या ITR-4 जैसे फॉर्म आमतौर पर कम समय में प्रोसेस हो जाते हैं. इसके अलावा टैक्स रिटर्न जो अधिक रिफंड क्लेम वाले हैं ऐसे आईटीआर के प्रोसेसिंग में आयकर विभाग द्वारा थोड़ी सख्ती से चेक एंड बैलेंस का रूख अपना सकते हैं.

चंदना का कहना है कि टैक्स रिटर्न में दी गई डेटा में किसी प्रकार की खामी जैसे इनकम या टैक्स क्रेडिट के मैच न करने की स्थिति में रिवेरीफिकेशन के लिए आयकर विभाग करदाता से पोस्ट के जरिए जरूरी दस्तावेज मांग सकता है. इन कारकों को समझने से करदाताओं को अपनी उम्मीदों को मैनेज करने में मदद मिल सकती है. वजह जानने के बाद काफी समय से आईटीआर रिफंड मिलने का इंतजार कर रहे करदाता अपने आप को संभावित देरी के लिए तैयार कर सकते हैं.

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रिफंड जारी करने की क्या है समयसीमा 

कानूनी तौर पर असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए फाइल किए गए आईटीआर के प्रोसेस करने की समयसीमा (statutory timeline) 31 दिसंबर 2025 है. बचे रिटर्न को प्रोसेस करने के लिए आयकर विभाग के पास 31 दिसंबर 2025 तक समय है. हाल के सालों में तकनीकी सुधार होने के कारण टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग में तेजी आई है.

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आपको रिफंड के पैसों पर कितना मिलेगा ब्याज?

अगर कोई करदाता वक्त पर यानी 31 जुलाई की तय तारीख तक अपना टैक्स रिटर्न भरता है तो उसे रिफंड के पैसों के साथ ब्‍याज भी मिलता है. रिफंड के पैसों पर हर महीने 0.5 फीसदी की दर से ब्‍याज मिलता है. यानी रिफंड के पैसों पर सालाना 6 फीसदी का ब्‍याज करदाता को दिया जाता है. टैक्‍सपेयर्स को उनके रिफंड पर ब्‍याज 1 अप्रैल से रिफंड जारी होने की तारीख तक दिया जाता है. इसका ब्‍योरा भी रिफंड के साथ मिले सेक्‍शन 143 के नोटिस में दिया रहता है. रिफंड में मिले पैसों पर कोई टैक्‍स नहीं देना पड़ता. हालांकि, इस पर जो ब्‍याज मिलेगा उसे अतिरिक्‍त आमदनी माना जाएगा. इस ब्‍याज पर करदाताओं को टैक्‍स देना पड़ेगा और वह भी अपने स्‍लैब के हिसाब से. हालांकि, यह टैक्‍स अगले वित्‍तवर्ष में देना होगा.

वहीं डेडलाइन खत्म होने के बाद बिलेटेड आईटीआर भरने पर करदाता को रिफंड वाली रकम पर कोई ब्याज नहीं मिलता. इसके अलावा इनकम टैक्स की धारा 244A के तहत अगर रिफंड की रकम कुल जमा किए गए टैक्स के 10% के बराबर या उससे अधिक है, तो आयकर विभाग अनिवार्य रूप से ब्याज का भुगतान करता है. अगर रिफंड की रकम करदाता की टैक्स देनदारी से 10 फीसदी से कम होने की स्थिति में रिफंड के पैसों पर ब्याज नहीं मिलता है. मिसाल के लिए किसी करदाता ने 12.80 लाख रुपये का टैक्स चुकाया है जिसे टीडीएस के जरिये दिया गया है. लेकिन उसकी टैक्स लायबिलिटी 11.92 लाख रुपये बनती है. ऐसे में उसने 88,000 रुपये ज्यादा दिए हैं. टैक्सपेयर के बिना ब्याज के 88,000 रुपये ही रिफंड के रुप में लौटाए जाएंगे क्योंकि यह कुल टैक्स देनदारी के 10 परसेंट से कम है.

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