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Index Fund Pros and Cons : इंडेक्स फंड्स में निवेश करने से पहले उनके बारे में जानकारी लेना जरूरी है. (Image : Pixabay)
Index Fund Pros and Cons Explained : इंडेक्स फंड एक ऐसा इनवेस्टमेंट ऑप्शन है, जिसमें निवेशक एक तय इंडेक्स जैसे Nifty 50 या Sensex को फॉलो करने वाली स्कीम में पैसे लगाते हैं. निवेश का यह तरीका "पैसिव इन्वेस्टमेंट" कहलाता है, जिसमें फंड मैनेजर खुद स्टॉक्स नहीं चुनते, बल्कि इंडेक्स में शामिल शेयरों के अनुपात के अनुसार पोर्टफोलियो तैयार करते हैं. इंडेक्स फंड में निवेश करना हमारे लिए सही है या नहीं, यह जानने के लिए इसके मायने, फायदे और नुकसान को समझना जरूरी है.
इंडेक्स फंड क्या होते हैं?
इंडेक्स फंड ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं जो किसी एक खास स्टॉक मार्केट इंडेक्स के प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करते हैं. मिसाल के तौर पर अगर कोई इंडेक्स फंड Nifty 50 को फॉलो करता है, तो वह उन्हीं 50 स्टॉक्स में उसी अनुपात में निवेश करेगा जैसे वो इंडेक्स में होते हैं. यह तरीका एक्टिव फंड्स से अलग होता है, जहां फंड मैनेजर बाजार से बेहतर रिटर्न हासिल करने के मकसद से स्टॉक्स का सेलेक्शन करते हैं.
इंडेक्स फंड में निवेश के फायदे
इंडेक्स फंड में निवेश के कई फायदे हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो आसान, कम खर्चीला और डायवर्सिफाइड ऑप्शन चाहते हैं.
1. डायवर्सिफिकेशन (Diversification) इंडेक्स फंड की सबसे बड़ी खूबी है. एक इंडेक्स फंड में निवेश करके आप एक ही बार में कई कंपनियों के शेयरों में पैसे लगा पाते हैं. इससे रिस्क का लेवल कम होता है.
2. कम खर्च (Low Expense Ratio): इन फंड्स का खर्च अन्य एक्टिव फंड्स की तुलना में काफी कम होता है, क्योंकि इसमें रिसर्च और स्टॉक सिलेक्शन की जरूरत नहीं होती.
3. नए निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प : जो लोग निवेश की शुरुआत कर रहे हैं, उनके लिए यह एक समझने में आसान विकल्प होता है. निवेशक बिना ज्यादा रिसर्च के भी लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न पा सकते हैं.
4. फंड मैनेजर पर निर्भर नहीं: चूंकि इंडेक्स फंड पैसिव तरीके से चलते हैं, इसलिए किसी मैनेजर के गलत फैसले का रिस्क नहीं होता.
इंडेक्स फंड में निवेश के नुकसान
हर इनवेस्टमेंट ऑप्शन की तरह इंडेक्स फंड्स में निवेश करने के साथ भी कुछ नुकसान या चुनौतियां जुड़ी हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है.
1. इन फंड्स का उद्देश्य सिर्फ इंडेक्स को फॉलो करना होता है, न कि उसे पीछे छोड़ना. इसलिए बाजार में तेजी के दौरान भी यह सीमित रिटर्न ही देते हैं.
2. एक्टिव फंड्स की तुलना में इंडेक्स फंड्स में फंड मैनेजर के हाथ बंधे होते है, लिहाजा गिरावट के दौरान भी वो पोर्टफोलियो में बदलाव नहीं कर सकते. जबकि फ्लेक्सी कैप या मल्टी कैप जैसे फंड्स में फंड मैनेजर वक्त के हिसाब से निवेश रणनीति में बदलाव करके बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
3. कई बार फंड का प्रदर्शन इंडेक्स से पूरी तरह मेल नहीं खाता, जिसे ट्रैकिंग एरर कहा जाता है. मामूली ट्रैकिंग एरर तो आम बात है, लेकिन यह एरर बढ़ जाए, तो निवेशक के रिटर्न पर असर डाल सकता है.
भारत के प्रमुख स्टॉक मार्केट इंडेक्स
Nifty 50: यह इंडेक्स भारत की टॉप 50 बड़ी कंपनियों के प्रदर्शन को दर्शाता है और NSE का सबसे पॉपुलर इंडेक्स है.
BSE Sensex: यह BSE की टॉप 30 कंपनियों पर आधारित है और Nifty 50 की तरह ही भारतीय शेयर बाजार के मुख्य इंडेक्स में शामिल है.
Nifty Next 50: यह Nifty 50 के बाद अगली 50 बड़ी कंपनियों का इंडेक्स है और डाइवर्सिफिकेशन के लिए बेहतर माना जाता है.
Nifty Bank: यह इंडेक्स भारतीय बैंकिंग सेक्टर के टॉप स्टॉक्स को ट्रैक करता है.
BSE Midcap, Nifty Smallcap: ये इंडेक्स मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों के प्रदर्शन को दिखाते हैं, जिनमें निवेश के साथ हाई रिटर्न और हाई रिस्क की संभावना जुड़ी हुई है.
निवेश से पहले इन बातों पर गौर करें
इंडेक्स फंड्स पर विचार करते समय समझने में आसान और डायवर्सिफिकेशन पर जोर देने वाले इंडेक्स को प्राथमिकता देनी चाहिए. आमतौर पर छोटे और नए निवेशकों को सेक्टोरल, थीमैटिक या एक से ज्यादा फैक्टर्स पर आधारित फैंसी नामों वाले मल्टी फैक्टर पैसिव फंड्स से दूर रहना चाहिए, क्योंकि उनमें रिस्क अधिक होता है. कुल मिलाकर, अगर आप कम खर्च में डायवर्सिफिकेशन चाहते हैं, तो मार्केट की चाल के अनुरूप रिटर्न पाने की उम्मीद करते हैं, तो इंडेक्स फंड्स आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं. लेकिन अगर आप ऐसे तरीके खोज रहे हैं, जहां मार्केट से बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद हो, तो एक्टिव फंड्स पर विचार कर सकते हैं. लेकिन यह बात जरूर याद रखें कि इक्विटी फंड कोई भी हो, उसके साथ मार्केट रिस्क हमेशा जुड़ा रहता है. इसलिए निवेश से पहले अपनी रिस्क लेने की क्षमता और इनवेस्टमेंट होराइजन को ध्यान में रखना जरूरी है.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सिफारिश करना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने और भरोसेमंद निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)