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NPS पर न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स छूट भले न मिले, लेकिन रिटायरमेंट प्लानिंग के उद्देश्य से इस पर विचार किया जा सकता है. Photograph: (Image : Pixabay)
NPS in New Tax Regime : न्यू टैक्स रिजीम को सेलेक्ट करने वाले बहुत सारे निवेशकों के मन में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को लेकर सवाल उठ रहे हैं. वे इस असमंजस में फंसे हैं कि जब न्यू टैक्स रिजीम में NPS पर ओल्ड टैक्स रिजीम की तरह टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता, तो क्या उन्हें NPS में निवेश बंद करके अपने पैसे म्यूचुअल फंड या किसी और एसेट में लगाने चाहिए? या फिर टैक्स बेनिफिट नहीं मिलने के बावजूद एनपीएस में निवेश जारी रखना चाहिए?
NPS पर टैक्स रिजीम के हिसाब से छूट
पुरानी टैक्स रिजीम में NPS के तहत सेक्शन 80CCD(1) के तहत सालाना निवेश पर टैक्स छूट मिलती है. लेकिन न्यू टैक्स रिजीम में यह छूट लागू नहीं है. हालांकि अगर आपके एंप्लॉयर Employer) आपके लिए NPS में कंट्रीब्यूशन करते हैं, तो आप सेक्शन 80CCD(2) के तहत उस पर टैक्स छूट ले सकते हैं. लेकिन यह लाभ तो तभी मिल सकता है, जब आपकी कंपनी ये सुविधा दे रही हो.
NPS में निजी तौर पर निवेश बेहतर
अगर आप न्यू टैक्स रिजीम चुनने के बाद भी NPS में निवेश जारी रखना चाहते हैं, तो कॉरपोरेट या एंप्लॉयर द्वारा खोले गए NPS खाते की तुलना में इंडिविजुअल NPS अकाउंट खोलना यानी निजी तौर पर निवेश करना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. इसमें आपको निवेश की आज़ादी मिलती है और नौकरी बदलने पर भी आपके अकाउंट पर असर नहीं पड़ता. कॉरपोरेट से इंडिविजुअल NPS में शिफ्ट करने के लिए आपको CRA की वेबसाइट से ISS-1 फॉर्म डाउनलोड करके नोडल ऑफिस में जमा करना होता है.
NPS में टैक्स बेनिफिट के अलावा भी फायदे हैं
NPS में निवेश करने पर न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स छूट भले ही न मिले, लेकिन रिटायरमेंट प्लानिंग के लिहाज से यह अब भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इसकी मदद से आप नियमित रूप से सेविंग कर सकते हैं और भविष्य के लिए एक सुरक्षित फंड बना सकते हैं. साथ ही NPS से रिटायरमेंट के समय 60% तक की रकम टैक्स-फ्री निकाली जा सकती है. ये सुविधा पुरानी के साथ ही साथ न्यू टैक्स रिजीम में भी मौजूद है.
म्यूचुअल फंड अच्छा लेकिन जोखिम भरा विकल्प
अगर आपका उद्देश्य लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन करना है और आप ज्यादा रिटर्न पाने के लिए कुछ हद तक रिस्क लेने के लिए तैयार हैं, तो एक अच्छा म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो बनाने में समझदारी हो सकती है. म्यूचुअल फंड्स में लिक्विडिटी ज्यादा होती है और ये अलग-अलग उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किए गए निवेश पर बेहतर रिटर्न भी दे सकते हैं. लेकिन इसमें मार्केट से जुड़ा रिस्क हमेशा बना रहता है.
लॉन्ग टर्म प्लानिंग भी जरूरी
कुल मिलाकर निवेश से जुड़े फैसले करते सिर्फ टैक्स बचाने के नजरिए से ही सोचना ठीक नहीं है. फाइनेंशियल सिक्योरिटी और लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन को भी ध्यान में रखना चाहिए. निवेश के फैसले हमेशा अपने लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल्स को ध्यान में रखकर करने चाहिए. अगर आपका मकसद रिटायरमेंट के लिए एक बड़ा फंड बनाना है और तो NPS टैक्स छूट नहीं मिलने के बावजूद अब भी बढ़िया विकल्प हो सकता है. निवेश की कम लागत और तुलनात्मक रूप से कम जोखिम इसकी बड़ी खासियत है. लेकिन अगर आप ज्यादा रिटर्न के लिए रिस्क लेने को तैयार हैं और फ्लेक्सिबिलिटी पसंद करते हैं, तो म्यूचुअल फंड्स में निवेश पर भी विचार कर सकते हैं.