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Claim Insurance or Pay from Your Own Pocket : कब इंश्योरेंस क्लेम करें और कब रिपेयर का खर्च अपनी जेब से दें? (AI Generated Image)
Insurance Claim or Pay from Your Own Pocket : कई बार ऐसा होता है कि आपकी कार या बाइक को कोई हल्का नुकसान हो जाता है या पार्किंग में खड़ी गाड़ी पर भी मामूली खरोंच या डेंट लग जाता है. ऐसे में गाड़ी रिपेयर कराते समय बहुत बार ये असमंजस रहता है कि इसके लिए इंश्योरेंस क्लेम करें या अपने खर्च पर ही रिपेयर कराना बेहतर होगा? इस बारे में फैसला करते समय आपके वेहिकल इंश्योरेंस के फीचर्स से लेकर रिपेयर के एस्टिमेट और नो क्लेम बोनस (NCB) तक कई फैक्टर्स को ध्यान में रखना जरूरी है. आइए समझते हैं कि किन हालात में इंश्योरेंस क्लेम करना फायदेमंद रहेगा और कब रिपेयर का खर्च अपनी जेब से करने में भलाई है. लेकिन उससे पहले ये समझ लेते हैं कि मामूली नुकसान किए कहा जाए.
मामूली नुकसान किसे मानें
आमतौर पर माइनर डैमेज का मतलब है, ऐसे मामूली नुकसान जिनसे गाड़ी की सेफ्टी पर कोई असर नहीं पड़ता या उसे ड्राइव करने की क्षमता प्रभावित नहीं होती. मिसाल के तौर पर गाड़ी के पेंट पर आई खरोंच, पार्किंग करते समय लगा हल्का डेंट, बंपर पर छोटा क्रैक या विंडस्क्रीन पर हल्की चिपिंग. इनसे गाड़ी चलाने में कोई दिक्कत नहीं आती लेकिन गाड़ी का लुक बिगड़ जाता है.
आपकी पॉलिसी पर निर्भर है फैसला
ऐसे मामूली नुकसान होने पर आपको क्या करना चाहिए, इसका फैसला करने से पहले यह देखना जरूरी है कि आपकी कार या बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी कैसी है, उसमें क्या-क्या कवरेज और शर्तें जुड़ी हैं. सबसे पहले ये समझ लें कि कार या बाइक इंश्योरेंस मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं. पहला, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, जिसमें एक्सिडेंट के दौरान सिर्फ दूसरी गाड़ी या व्यक्ति को हुआ नुकसान कवर होता है. इसमें आपकी अपनी गाड़ी के नुकसान का कोई कवरेज शामिल नहीं होता. दूसरे तरह की पॉलिसी को कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस कहते हैं, जिसमें आपकी अपनी गाड़ी को हुआ नुकसान भी कवर होता है. छोटे-मोटे नुकसान के लिए आप इंश्योरेंस क्लेम तभी कर सकते हैं, जब आपके पास कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी हो.
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क्लेम करने से पहले इन बातों पर ध्यान दें
गाड़ी को हुए नुकसान के लिए इंश्योरेंस क्लेम करने पर फैसला करने से पहले इन बातों को समझना जरूरी है :
- क्लेम अमाउंट vs डिडक्टिबल : हर पॉलिसी में एक डिडक्टिबल या एक्सेस अमाउंट तय होता है. यानी पहले उतनी रकम आपको देनी होगी, उसके बाद बची रकम पर इंश्योरेंस कवरेज मिलेगा. अगर रिपेयर का खर्च डिडक्टिबल से थोड़ा ही ज्यादा है, तो जेब से खर्च करना बेहतर हो सकता है.
- नो क्लेम बोनस (NCB) पर असर : अगर किसी साल आप कोई इंश्योरेंस क्लेम नहीं करते तो उसके अगले साल NCB के रूप में आपको प्रीमियम पर डिस्काउंट मिलता है. छोटी मोटी खरोंच के लिए क्लेम करने पर आपका NCB खत्म हो सकता है और अगले साल ज्यादा प्रीमियम देना पड़ सकता है.
- प्रीमियम बढ़ने का खतरा : कई बार एक साल में इंश्योरेंस क्लेम करने पर अगले साल बीमा कंपनी प्रीमियम बढ़ा देती है. छोटे-मोटे नुकसान के लिए इंश्योरेंस क्लेम करने पर यह बढ़ोतरी लंबे समय में महंगी पड़ सकती है.
- रिपेयर की सुविधा : अगर आप इंश्योरेंस क्लेम करते हैं तो नेटवर्क गैराज में कैशलेस रिपेयर का फायदा मिलता है. लेकिन अगर आप खुद भुगतान करते हैं, तो अपनी पसंद के किसी भी गैराज से रिपेयर करा सकते हैं.
कब क्लेम करना सही है?
गाड़ी को हुए नुकसान के लिए इंश्योरेंस क्लेम करना इन हालात में सही माना जा सकता है:
1. जब नुकसान इतना बड़ा हो कि रिपेयर खर्च डिडक्टिबल से काफी ज्यादा हो जाए.
2. अगर गाड़ी की लाइट, बंपर का स्ट्रक्चर या विंडस्क्रीन जैसे जरूरी और बड़े पार्ट डैमेज हुए हों.
3. जब आप नेटवर्क गैराज से महंगे जेनुइन स्पेयर पार्ट्स लगवाना चाहते हों.
4. अगर आपका NCB पहले से ही बहुत कम है और आपके पास जीरो डिप्रिसिएशन ऐड-ऑन भी है.
अपनी जेब से खर्च करना कब बेहतर है?
इन हालात में गाड़ी को हुए नुकसान के लिए अपनी जेब से खर्च करना बेहतर माना जा सकता है:
- जब मामूली डेंट, खरोंच या किसी और रिपेयर की लागत 5,000 रुपये से कम हो.
- जब डिडक्टिबल बहुत ज्यादा हो और क्लेम करने से फायदा न हो.
- जब आपको अपना NCB बचाना हो और आगे चलकर प्रीमियम में बढ़ोतरी से बचना हो.
कुछ और जरूरी टिप्स
- सबसे पहले किसी भरोसेमंद गैराज से रिपेयर lके खर्च का एस्टिमेट बनावा लें.
- अपनी पॉलिसी के डिडक्टिबल और क्लेम प्रोसेस को अच्छे से समझें.
- क्लेम करने से पहले इंश्योरेंस कंपनी से यह भी पूछें कि आपके अगले प्रीमियम पर इसका कितना असर पड़ेगा.
- हर छोटे नुकसान पर क्लेम करने से बचें, ताकि लंबे समय में आपका प्रीमियम ज्यादा न बढ़ जाए.
कुल मिलाकर, एक आसान थंब रूल ये है कि छोटे-मोटे डेंट या खरोंच के लिए अक्सर अपनी जेब से खर्च करना ज्यादा फायदेमंद साबित होता है. लेकिन अगर नुकसान बड़ा है और खर्च डिडक्टिबल से कहीं ज्यादा है, तो इंश्योरेंस क्लेम करना ही समझदारी है. सही फैसला लेने के लिए हमेशा रिपेयर कॉस्ट, NCB और प्रीमियम पर असर को ध्यान में रखें. इस तरह आप न सिर्फ अपने खर्च को बेहतर मैनेज कर पाएंगे बल्कि लंबे समय में इंश्योरेंस का सही फायदा भी उठा पाएंगे.