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PNB और बैंक ऑफ इंडिया दोनों ने MCLR रेट घटाकर लोन लेने वालों को थोड़ी राहत दी है. (Image : Freepik)
Interest Rate Cut in September 2025: सितंबर 2025 की शुरुआत कर्जदारों के लिए राहत की खबर लेकर आई है. देश के दो बड़े सरकारी बैंकों – पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और बैंक ऑफ इंडिया (BoI) ने अपनी कर्ज देने की दरें घटा दी हैं. ये कटौती यानी MCLR यानी मार्जिनस कॉस्ट ऑफ लेंडिंग बेस्ड लेंडिंग रेट (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate) में की गई है. इससे फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की EMI घट जाएगी. आइए जानते हैं कि इन बैंकों ने ब्याज दरों में कितनी कटौती की है और इसका फायदा आपको कैसे मिलेगा.
पंजाब नेशनल बैंक ने घटाए MCLR रेट
PNB ने सितंबर 2025 से अपने MCLR रेट्स में 15 बेसिस प्वाइंट (bps) तक की कटौती की है.
ओवरनाइट MCLR: पहले 8.15% था, अब घटकर 8.00% हो गया है.
1 महीने का MCLR: 8.30% से घटकर 8.25%.
3 महीने का MCLR: 8.50% से घटकर 8.45%.
6 महीने का MCLR: 8.70% से घटकर 8.65%.
1 साल का MCLR: 8.85% से घटकर 8.80%.
3 साल का MCLR: 9.15% से घटकर 9.10%.
इस कटौती का असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा जिनका होम लोन या पर्सनल लोन इन MCLR दरों से जुड़ा हुआ है.
बैंक ऑफ इंडिया ने भी की कटौती
बैंक ऑफ इंडियाने भी अपने MCLR में 5 से 15 बेसिस प्वाइंट की कमी की है. हालांकि, बैंक ने ओवरनाइट MCLR को जस का तस रखा है.
ओवरनाइट MCLR: 7.95% (कोई बदलाव नहीं).
1 महीने का MCLR: 8.40% से घटकर 8.30%.
3 महीने का MCLR: 8.55% से घटकर 8.45%.
6 महीने का MCLR: 8.80% से घटकर 8.70%.
1 साल का MCLR: 8.90% से घटकर 8.85%.
3 साल का MCLR: 9.15% से घटकर 9.00%.
किन्हें मिलेगा सीधा लाभ?
ऐसे ग्राहक जिनके लोन MCLR से लिंक्ड हैं, उन्हें EMI में राहत मिलेगी.
पुराने लोन लेने वाले ग्राहक अभी भी MCLR पर चलते हैं, इसलिए यह खबर उनके लिए अहम है.
EMI में कैसे मिलेगा फायदा?
मान लीजिए आपके पास 30 लाख रुपये का होम लोन है और ब्याज दर 9% है. ऐसे में आपकी EMI करीब 27,000 रुपये बनती है. अगर ब्याज दर 0.10% यानी 10 बेसिस प्वाइंट घट जाती है, तो EMI करीब 200 रुपये तक कम हो सकती है.
लोन की रकम | लोन की अवधि | पुरानी ब्याज दर | नई ब्याज दर | पुरानी EMI | नई EMI | मंथली बचत |
---|---|---|---|---|---|---|
30 लाख रुपये | 20 साल | 9.00% | 8.90% | 26,992 रुपये | 26,789 रुपये | 203 रुपये |
पहली नजर में भले ही यह कटौती छोटी लगे, लेकिन लंबे समय में इससे काफी फायदा होता है.
MCLR क्या होता है?
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि MCLR यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट असल में बैंकों की कर्ज देने की एक बेंचमार्क दर होती है. इसी आधार पर बैंक अपने पुराने फ्लोटिंग रेट वाले लोन की ब्याज दर तय करते हैं.
जब बैंक MCLR घटाते हैं तो उन ग्राहकों को राहत मिलती है जिनके लोन इससे जुड़े होते हैं. यानी ब्याज घटने से EMI कम हो सकती है और कुल रीपेमेंट बोझ घट जाता है. हालांकि अब नए फ्लोटिंग रेट वाले लोन सीधे एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR - External Benchmark Lending Rate) से जुड़े होते हैं.