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NFO Alert : बड़ौदा BNP परीबा म्यूचुअल फंड ने अपना नया फंड ऑफर लॉन्च किया है. (Image : Pixabay)
New Fund Offer Alert : म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने वालों के सामने निवेश के लिए एक नया आज से मौका खुल रहा है. बड़ौदा BNP परीबा म्यूचुअल फंड ने अपना नया फंड ऑफर (NFO) लॉन्च किया है. इस स्कीम का नाम है बड़ौदा बीएनपी परीबा बिजनेस कॉन्गलोमेरेट्स फंड (Baroda BNP Paribas Business Conglomerates Fund) जो देश के आम निवेशकों को भारत के बड़े-बड़े बिजनेस ग्रुप्स में निवेश का मौका देगा.
इस NFO में सब्सक्रिप्शन आज यानी मंगलवार, 2 सितंबर 2025 को खुलकर 15 सितंबर तक जारी रहेगा. कंपनी का दावा है कि यह फंड लंबी अवधि में निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिलाने की क्षमता रखता है. आइए जानते हैं इस नए फंड ऑफर की 5 बड़ी बातें.
1. किस तरह का है यह नया फंड?
बड़ौदा BNP परीबा बिजनेस कॉन्गलोमेरेट्स फंड एक ओपन-एंडेड थीमैटिक इक्विटी फंड है. यानी इसमें निवेशक कभी भी खरीद-बिक्री कर सकते हैं. फंड का फोकस भारत के उन बिजनेस समूहों पर होगा जिन्हें हम "कॉन्ग्लोमरेट्स" (Conglomerates) कहते हैं. ये वही बड़े ग्रुप्स हैं जिनके पास कई कंपनियां अलग-अलग सेक्टर्स में काम करती हैं. जैसे कुछ ग्रुप्स ऑटो, फाइनेंस, स्टील और आईटी, जैसे कई अहम सेक्टर्स में मौजूद होते हैं. इस फंड के जरिए निवेशक ऐसे ही मजबूत और डायवर्सिफाइड बिजनेस में निवेश कर पाएंगे.
2. कब से कब तक खुला है सब्सक्रिप्शन?
बड़ौदा BNP परीबा बिजनेस कॉन्गलोमेरेट्स फंड का NFO 2 सितंबर से शुरू होकर 15 सितंबर तक चलेगा. इस दौरान निवेशक इसमें पैसे लगा सकते हैं. इसके बाद फंड को एलॉटमेंट के पांच बिजनेस डेज के भीतर फिर से लगातार खरीद-बिक्री के लिए खोला जाएगा.
3. NFO में मिनिमम इनवेस्टमेंट क्या क्या है?
इस नए फंड ऑफर में निवेश के लिए बहुत ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं है.
एकमुश्त निवेश यानी लंपसम इनवेस्टमेंट कम से कम 1,000 रुपये से शुरू किया जा सकता है.
सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिये निवेश भी हर महीने सिर्फ 500 रुपये की छोटी रकम से शुरू किया जा सकता है.
कम रकम से शुरुआत करने का मतलब है कि छोटे निवेशक भी इसमें आसानी से निवेश कर सकते हैं.
4. NFO का उद्देश्य और निवेश की रणनीति
इस फंड का उद्देश्य है लंबी अवधि में कैपिटल ग्रोथ हासिल करना. इसके लिए यह स्कीम भारत के बड़े कॉन्ग्लोमरेट्स यानी बिजनेस ग्रुप्स की कंपनियों में निवेश करेगी.
पोर्टफोलियो का 80-100% हिस्सा इक्विटी और उससे जुड़ी कंपनियों में रहेगा. खासकर ऐसी कंपनियां जो किसी बड़े बिजनेस ग्रुप का हिस्सा हैं.
0-20% तक निवेश दूसरी कंपनियों के शेयर्स में भी किया जा सकता है.
0-20% तक पैसा डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में भी लगाया जा सकता है.
इसके अलावा, 0-10% तक निवेश REITs, InvITs या दूसरे म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स में भी किया जा सकता है.
इस फंड की खासियत यह है कि यह कम से कम चार कॉन्ग्लोमरेट्स में निवेश करेगा. किसी भी एक ग्रुप में इस स्कीम का एक्सपोजर 25% से ज्यादा नहीं रहेगा.
5. स्कीम के फंड मैनेजर कौन हैं?
इस स्कीम को सीनियर फंड मैनेजर जितेंद्र श्रीराम और फंड मैनेजर एवं रिसर्च एनालिस्ट कुशांत अरोड़ा संभालेंगे. दोनों को ही भारतीय इक्विटी मार्केट्स और रिसर्च में लंबा अनुभव है, जो इस फंड को प्रोफेशनल मैनेजमेंट का फायदा दिलाएगा.
6. कॉन्ग्लोमरेट्स में निवेश करने में खास क्या है?
कॉन्ग्लोमरेट्स यानी बड़े-बड़े बिजनेस ग्रुप्स को भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है. इन ग्रुप्स के पास बिजनेस से जुड़े कई एडवांटेज होते होते हैं. मिसाल के तौर पर -
कई सेक्टर्स में डायवर्सिफाइड बिजनेस होने की वजह से रिस्क कम हो जाता है.
बड़े बिजनेस ग्रुप का हिस्सा होने के कारण इन कंपनियों के लिए फंडिंग जुटाना आसान होता है.
मजबूत ब्रांड इमेज के कारण ग्राहकों के बीच इन कंपनियों की पहचान और भरोसा पहले से मौजूद होते हैं.
इन कंपनियों को डी-मर्जर, री-स्ट्रक्चरिंग या फैमिली स्प्लिट जैसे कॉरपोरेट एक्शन से फायदा होने पर निवेशकों को वैल्यू अनलॉकिंग का मौका मिलता है.
यही कारण है कि इन ग्रुप्स में निवेश को लॉन्ग टर्म ऑप्शन माना जाता है.
7. किनके लिए है यह फंड
यह फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है, जो लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन करना चाहते हैं और इसके लिए भारत के मजबूत बिजनेस ग्रुप्स में निवेश करने में दिलचस्पी रखते हैं. हालांकि इक्विटी-आधारित थीमैटिक फंड होने की वजह से इस पर बाजार के उतार-चढ़ावों का असर भी पड़ेगा. ऐसे फंड्स को वेरी हाई रिस्क की रेटिंग इसी वजह से मिलती है. ऐसे में यह स्कीम उन्हीं लोगों के लिए सही है जो लंबी अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं और मार्केट वोलैटिलिटी झेलने की क्षमता रखते हैं.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सिफारिश करना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेने के बाद ही करें.)