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Successful Investors : बाजार की अस्थिरता से निपटने के उपाय जरूरी हैं, न कि घबराकर फैसले लेने की. कुछ टाइम टेस्टेड स्ट्रैटेजी आपकी मदद कर सकती हैं. (Pixabay)
Stock Market Strategy : बाजार में उतार चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है, जो समय समय पर देखने को मिलता है. कभी बाजार बुल फेज में होता है, तो उसके बाद करेक्शन का भी दौर आ सकता है. लेकिन इसके बावजूद भारतीय बाजारों की ग्रोथ पर नजर डालें तो यह साफ दिखता है कि बीच-बीच में होने वाली गिरावट के बावजूद इसने निवेशकों को किस तरह से बेहतरीन परिणाम दिए हैं. सेंसेक्स ने फाइनेंशियल ईयर 2014-15 में 30,025 का हाई बनाया तो फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में 50,000 का लेवल पर किया तो फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में यह करीब 87,000 के लेवल तक पहुंच गया.
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ अजीत मेनन का कहना है कि बाजार की अस्थिरता से निपटने के उपाय करने जरूरी हैं, न कि घबराकर फैसले लेने चाहिए. कुछ टाइम टेस्टेड स्ट्रैटेजी हैं, जो निवेशकों के लिए कारगर साबित हो सकती हैं. हमने उस समय भी सेंसेक्स के प्रदर्शन को देखा, जब दुनियाभर में कोविड-19 फैल रहा था. जैसे-जैसे महामारी के चलते अलग अलग देशों लॉकडाउन शुरू हुआ, इक्विटी मार्केट में गिरावट आई. लेकिन जब बाजार स्टेबल हुआ तो निवेशक हाई रिटर्न हासिल करने में कामयाब रहे.
बाजार में निवेश बनाए रहने के फायदे
पिछले 24 साल (सितंबर 2001-जनवरी 2025) के निफ्टी 50 टीआरआई के रिटर्न का विश्लेषण कर बाजार में सबसे अच्छे दिनों को मिस करने का लॉन्ग टर्म इेक्ट देखें तो यह बात और साफ होती है. स्टडी से पता चलता है कि अगर आप इस अवधि के दौरान सबसे अच्छे 50 दिन मिस करते हैं, तो आपका पैसा सालाना 1% से भी कम कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट से बढ़ता है. दूसरी ओर, जो निवेशक अपना निवेश (Investment) बनाए रहे, तो वे अपने निवेश पर 15.61% की CAGR रिटर्न हासिल करते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपने इस दौरान अपना निवेश बनाए रहा तो 2001 में निवेश किए गए 10,000 रुपये, इन 24 साल में बढ़कर 3.25 लाख रुपये हो जाते हैं. इसके विपरीत, अगर आप इस दौरान बाजार के सबसे अच्छे 50 दिन चूक गए, तो आपका 10 हजार रुपये का निवेश, 24 साल में सिर्फ 11,550 रुपये रह जाता है.
(सोर्स : MFI ICRA, Varsity, PGIM इंडिया इंटरनल)
अपने लक्ष्य पर फिर से विचार करें
बाजार की गतिविधियों पर लगातार नजर रखने से टेंशन बढ़ सकती है और आप जल्दबाजी में कोई निर्णय ले सकते हैं. इसकी बजाय, अपने पोर्टफोलियो की सालाना समीक्षा करें जब तक कि आपके जीवन में कोई बड़ा वित्तीय बदलाव न हो. खुद से पूछें, मैंने पहले निवेश क्यों किया? अगर आपके लक्ष्य लॉन्ग टर्म के लिए हैं - जैसे रिटायरमेंट प्लान, घर खरीदना, या बच्चों का हायर एजुकेशन, तो शॉर्ट टर्म में बाजार के उतार-चढ़ाव से आपके लक्ष्य प्रभावित नहीं होना चाहिए.
पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करें
बहुत से लोगों ने अपनी खुद की कंपनियों या सिर्फ एक आइडिया में निवेश करते हुए केंद्रित दांव लगाकर अपनी किस्मत बनाई है. ये सफलता की कहानियां हर निवेशक को प्रेरणा दे सकती हैं. लेकिन जो लोग अपना दांव हार गए हैं, उनके बारे में न तो कोई चर्चा होती है और न ही लिखा जाता है. आप में से कितने लोग अपनी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी एक ही शेयर में लगाने के लिए तैयार हैं? शेयर बाजार कॉर्पोरेट गवर्नेंस की विफलताओं के कारण शेयरों के गिरने की कहानियों से भरा पड़ा है. इस प्रकार, एक एवरेज निवेशक जो अपनी मेहनत की कमाई को बाजार में निवेश कर रहा है, उसके लिए डाइवर्सिफिकेशन इस जोखिम को कम करने में मदद करता है.
अपना निवेश जारी रखें
अगर आपके पास निवेश करने के लिए एकमुश्त कॉर्पस है, तो इसे इक्विटी में एक बार में निवेश करना भी एक अच्छा विचार हो सकता है, बशर्ते आप मानते हों कि लंबी अवधि में बाजार में तेजी आती है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लीजिए कि मिस्टर A, SIP के जरिए 10 साल की अवधि में 5,000 महीना निवेश करते हैं और इस पर अनुमानित रिटर्न करीब 10% CAGR है. मिस्टर A की राशि इस रिटर्न के हिसाब से 10 साल में बढ़कर 10.07 लाख हो जाती है.
दूसरी ओर, निवेशक मिस्टर B, करीब 10% CAGR के अनुमानित रिटर्न मानकर 10 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश करते हैं. निवेशक मिस्टर B की राशि 10 साल बाद बढ़कर 15.56 लाख रुपये हो जाती है. इस प्रकार, निवेशक मिस्टर B को अवधि के अंत में 5.48 लाख का फायदा होता है.
(डिसक्लेमर : हमने यहां एक्सपर्ट के हवाले से जानकारी दी है. यह किसी भी तरह से फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी के निजी विचार नहीं हैं. और न ही यह निवेश की सलाह है. इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले योग्य और भरोसेमंद एडवाइजर से सलाह लें.)