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CBDT ने देश के मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट की समीक्षा के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है. (Image : Financial Express)
IT Act Review CBDT forms internal committee: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने देश में लागू मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट की समीक्षा के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है. आयकर विभाग की यह समिति इनकम टैक्स एक्ट 1961 के उन प्रावधानों की पहचान करेगी, जो अब गैर-जरूरी हो गए हैं. आयकर कानून की समीक्षा का मकसद गैर-जरूरी प्रावधानों को खत्म करके बेस्ट ग्लोबल प्रैक्टिसेज को अपनाना है, ताकि इन कानूनों को समझना और उन पर अमल करना टैक्सपेयर्स के लिए आसान हो सके. यह जानकारी CBDT के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने दी है.
समीक्षा समिति में देशभर के आयकर अधिकारी शामिल
अग्रवाल ने कहा कि सीबीडीटी ने इनकम टैक्स एक्ट की समीक्षा के लिए जो आंतरिक पैनल बनाया है, उसमें देशभर के आयकर अधिकारियों (income tax officials) को शामिल किया गया है. उन्होंने बताया कि पैनल ने आयकर अधिनियम 1961 के उन हिस्सों की पहचान करने का काम शुरू भी कर दिया है, जिनमें बदलाव जरूरी है. अग्रवाल ने बताया कि यह सारा काम केंद्र सरकार के निर्देश पर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि समिति देश को डायरेक्ट टैक्स से जुड़ा एक नया कानून देने का "सबसे अच्छा रास्ता" खोजने की कोशिश कर रही है.
तेजी से निपटाई जाएंगी पेंडिंग अपीलें
CBDT चेयरमैन ने कहा कि समिति बेस्ट ग्लोबल प्रैक्टिसेज को अपनाने के साथ-साथ वर्तमान कानून में दोहराव को कम करने और उन प्रावधानों को समाप्त करने की दिशा में काम कर रही है जो अब अपनी अहमियत खोकर बेकार हो चुके हैं. उन्होंने यह भी बताया कि CBDT अगले 10-15 दिनों में और अधिक अधिकारियों को नियुक्त करेगा, ताकि आयकर विभाग के स्तर पर बड़ी संख्या में पेंडिंग अपीलों को तेजी से निपटाया जा सके.
6 महीने में पूरी होगी आयकर कानून की समीक्षा
अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भरोसा दिलाया है कि इनकम टैक्स एक्ट की समीक्षा का काम 6 महीने की निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरा कर लिया जाएगा. वित्त मंत्री ने पिछले महीने पेश केंद्रीय बजट में इसका एलान किया था. इनकम टैक्स एक्ट 1961 में फिलहाल 298 सेक्शन और 23 चैप्टर शामिल हैं.
सीतारमण ने 2024-25 का केंद्रीय बजट पेश करते समय इस कानून की "व्यापक" समीक्षा किए जाने का एलान किया था. सरकार के मुताबिक इस समीक्षा का मकसद कानून को संक्षिप्त, स्पष्ट और आसानी से पढ़ने और समझने लायक बनाना है. सरकार का मानना है कि इससे न सिर्फ टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स देनदारी समझने में आसानी होगी, बल्कि टैक्स से जुड़े विवादों और मुकदमों की संख्या भी घटेगी. वित्त मंत्री ने कहा था कि यह काम 6 महीने में पूरा कर लिया जाएगा.
आयकर विभाग को आसान भाषा इस्तेमाल करने का निर्देश
वित्त मंत्री ने आयकर विभाग को यह आदेश भी दिया है कि टैक्सपेयर्स के साथ अपने नोटिस और कम्युनिकेशन के दौरान आसान भाषा का इस्तेमाल किया जाए, ताकि वे इसे जल्दी और बिना किसी डर के समझ सकें. अग्रवाल ने कहा कि इनकम टैक्स एक्ट की समीक्षा करने वाली समिति इस बात पर भी ध्यान दे रही है कि टैक्स से जुड़े कम्युनिकेशन को कैसे ज्यादा से ज्यादा आसान बनाया जाए. उन्होंने कहा कि अगर टैक्सपेयर्स को नियमों के पालन के लिए प्रेरित करना है, तो यह काम बेहद जरूरी है.