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Income Tax Return : टैक्स सेविंग के लिए स्मार्ट प्लानिंग. सही टैक्स प्लानिंग से जहां आपकी टैक्स लायबिलिटी कम होगी वहीं आपका रिफंड बढ़ेगा. Photograph: (AI Generated)
Income Tax Refund Delays : फाइनेंशियल ईयर 2024-25 (AY2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया में तेजी आ चुकी है. आने वाले हफ्तों में टैक्सपेयर्स बड़ी संख्या में अपना रिटर्न दाखिल करेंगे. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR फाइल करने की डेडलाइन बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी थी. वहीं इस बार इनकम टैक्स रिटर्न द्वारा रिटर्न फाइल करने में दी गई सभी जानकारियों की जांच बारीकी से कर रहा है. इससे यह माना जा रहा है कि रिफंड की प्रोसेसिंग में देरी होगी, जिससे रिफंड के पैसों पर ज्यादा ब्याज मिल सकता है.
रिफंड में क्यों हो सकती है देरी?
आईटीआर प्रोसेसिंग में देरी के लिए जिम्मेदार एक फैक्टर यह है कि रिटर्न फाइलिंग के लिए टैक्सपेयर ने कौन सा फार्म भरा है. ITR-2 या ITR-3 फार्म की तुलना में ITR-1 (सहज) या ITR-4 जैसे फॉर्म आमतौर पर कम समय में प्रोसेस हो जाते हैं.
अधिक रिफंड क्लेम में इनकम टैक्स विभाग द्वारा थोड़ी सख्ती से चेक एंड बैलेंस का रूख अपनाया जा सकता है.
टैक्स रिटर्न में दी गई डेटा में किसी प्रकार की खामी जैसे इनकम या टैक्स क्रेडिट के मैच न करने की स्थिति में रिवेरीफिकेशन के लिए आयकर विभाग करदाता से पोस्ट के जरिए जरूरी दस्तावेज मांग सकता है.
इस बार टैक्स फाइल करने वालों की संख्या भी बढ़ने का अनुमान है.
ज्यादा ब्याज पाने के लिए जरूरी टिप्स
टैक्स सेविंग के लिए स्मार्ट प्लानिंग. सही टैक्स प्लानिंग से जहां आपकी टैक्स लायबिलिटी कम होगी वहीं आपका रिफंड बढ़ेगा.
रिटर्न फॉर्म और ऑप्शंस को ऑप्टिमाइज करें, ITR फॉर्म चुनते समय अपनी इनकम कैटेगरी को ध्यान में रखें.
रिफंड पर मिलने वाले ब्याज का ध्यान रखें. अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके रिफंड को देरी से प्रोसेस करता है, तो वह आपको 0.5% प्रति महीने की दर से इंटरेस्ट भी देता है.
समय पर और सही जानकारी के साथ ITR फाइल करें.
अगर आप न्यू टैक्स रिजीम में हैं और कटौती का क्लेम नहीं कर रहे हैं, तो ओल्ड टैक्स सिस्टम का मूल्यांकन करें, हो सकता है कि वहीां आपको बेहतर रिफंड मिले.
ये नियम भी ध्यान में रखें
डेडलाइन खत्म होने के बाद बिलेटेड आईटीआर भरने पर टैक्सपेयर को रिफंड वाली रकम पर कोई ब्याज नहीं मिलता. इसके अलावा इनकम टैक्स की धारा 244A के तहत अगर रिफंड की रकम कुल जमा किए गए टैक्स के 10% के बराबर या उससे अधिक है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अनिवार्य रूप से ब्याज का भुगतान करता है. रिफंड की रकम टैक्सपेयर की टैक्स देनदारी से 10 फीसदी से कम होने की स्थिति में रिफंड के पैसों पर ब्याज नहीं मिलता है.