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ITR Refund Delay : समय पर रिटर्न भरने के बावजूद रिफंड में देर होने की कई वजहें हो सकती हैं. (AI Generated Image)
Income Tax Refund Delays : रवि एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी हैं. उन्होंने अपना इनकम टैक्स रिटर्न जुलाई के आखिर सप्ताह में, यानी डेडलाइन से काफी पहले ही फाइल कर दिया. उन्हें उम्मीद थी कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी अगस्त तक उनका रिफंड अकाउंट में आ जाएगा. लेकिन सितंबर शुरू हो चुका है और अब तक कोई मैसेज नहीं आया. रवि जैसे लाखों टैक्सपेयर इस सवाल से परेशान हैं – आखिर मेरा रिफंड अटका क्यों है?
आम टैक्सपेयर जब समय पर इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भर देता है तो उसकी सबसे पहली उम्मीद यही होती है कि जल्दी से जल्दी टैक्स रिफंड मिल जाए. लेकिन कई टैक्सपेयर्स को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. आयकर विभाग के पोर्टल पर 1.23 करोड़ से ज्यादा रिटर्न अभी भी प्रोसेस नहीं हुए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रिफंड में देरी क्यों हो रही है और किन वजहों से पैसे अटक सकते हैं.
डेडलाइन बढ़ी, लेकिन प्रोसेसिंग धीमी
इस बार गैर-ऑडिटेड अकाउंट्स वाले टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर भरने की अंतिम तारीख (ITR Filing Deadline) पहले ही 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 की जा चुकी है. इसके बावजूद, 31 अगस्त तक करीब 3.98 करोड़ रिटर्न में से सिर्फ 2.74 करोड़ ही प्रोसेस हो पाए हैं. यानी 1.23 करोड़ रिटर्न अभी भी पेंडिंग हैं. जिन लोगों ने समय से रिटर्न भर दिया है, वे भी अब तक रिफंड का इंतजार कर रहे हैं.
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पुराने बकाये में एडजस्ट हो सकता है रिफंड
कई बार देरी का कारण टैक्सपेयर के ही पिछले सालों का बकाया होता है. अगर पहले के साल का टैक्स पेंडिंग है या कोई अपील चल रही है, तो विभाग नए रिफंड को उसी बकाये में एडजस्ट कर लेता है. नतीजा यह होता है कि रिफंड या तो देर से मिलता है या पूरी रकम हाथ में नहीं आती.
बड़ी रकम पर जांच
कुछ टैक्सपेयर्स को तब झटका लगता है जब उनका बड़ा रिफंड समय पर नहीं आता. विभाग ऐसे मामलों में जांच करता है कि कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं. इस दौरान टैक्सपेयर से अतिरिक्त कागज मांगे जाते हैं, जिससे प्रोसेसिंग में और वक्त लग जाता है.
लाखों फाइलों का दबाव
रिटर्न भरने का सीजन आते ही लाखों फाइलें एक साथ सिस्टम में जाती हैं. यही वजह है कि विभाग पर दबाव बढ़ जाता है और बैकलॉग बन जाता है. शुरुआती दिनों में फाइल करने वालों को अक्सर जल्दी रिफंड मिल जाता है, लेकिन डेडलाइन के करीब फाइल करने वाले ज्यादा इंतजार करते हैं.
सरकार कर रही कोशिश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में टैक्स अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि समय पर रिफंड जारी करें और टैक्सपेयर्स का भरोसा बढ़ाएं. साथ ही, पुराने रिटर्न (आकलन वर्ष 2023-24) की प्रोसेसिंग की डेडलाइन भी 30 नवंबर 2025 तक बढ़ा दी गई है. इससे पेंडिंग मामलों के निपटारे की उम्मीद जगी है.
टेक्निकल दिक्कतें और लेट जारी हुए फॉर्म
कई लोगों ने शिकायत की है कि पोर्टल पर उनका डाटा AIS और फॉर्म 26AS से मैच नहीं हो रहा. वहीं, ITR-2 और ITR-3 जैसे फॉर्म जुलाई में जारी हुए, जबकि ITR-1 और ITR-4 मई में ही आ गए थे. इस देरी से भी पूरी प्रोसेस प्रभावित हुई.
बैंक अकाउंट और प्री-वैलिडेशन में दिक्कत
रिफंड सीधे बैंक अकाउंट में आता है. लेकिन गलत अकाउंट नंबर, IFSC कोड की गड़बड़ी या नाम-पैन में मिसमैच (mismatch) हो जाए तो पैसा अटक जाता है. कई बार टैक्सपेयर का खाता बंद या इनैक्टिव (inactive) भी निकलता है. ऐसे में रिफंड वापस लौट जाता है.
ई-वेरिफिकेशन जरूरी
रिटर्न भरने के बाद ई-वेरिफिकेशन करना जरूरी है. अगर कोई आधार ओटीपी, नेटबैंकिंग या ITR-V भेजकर वेरिफिकेशन नहीं करता तो उसकी फाइल आगे प्रोसेस ही नहीं होती. और जब तक फाइल प्रोसेस नहीं होगी, रिफंड भी नहीं मिलेगा.
डाटा मिसमैच की दिक्कत
कभी-कभी टैक्सपेयर के ITR में दी गई जानकारी और विभाग के पास मौजूद AIS या फॉर्म 26AS में फर्क निकल आता है. खासकर टीडीएस, आय या निवेश के आंकड़ों में गड़बड़ी हो तो विभाग रिफंड को रोककर जांच करता है.
आखिर में…
रवि की तरह लाखों लोग सोचते हैं कि समय पर रिटर्न भरने के बावजूद उन्हें रिफंड क्यों नहीं मिला. हकीकत यह है कि वजहें कई हो सकती हैं. कभी टेक्निकल, कभी बैंक से जुड़ी और कभी पुराने बकाये की. हालांकि सिस्टम पहले की तुलना में काफी तेज और बेहतर हुआ है, लेकिन इसे और ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की जरूरत है, ताकि टैक्सपेयर्स को वक्त पर ये अपडेट मिलता रहे कि उनके रिटर्न का मौजूदा स्टेटस क्या है और अगर रिफंड में देर हो रही है तो उसकी वजह क्या है.