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Know Your Gratuity : 12 साल कर चुके हैं नौकरी, अभी 35 हजार रुपये है बेसिक सैलरी, आपके नाम पर कितनी बन चुकी है ग्रेच्‍युटी की रकम?

Gratuity Calculation : आप किसी कंपनी में लगातार 5 साल काम कर लेते हैं तो ग्रेच्‍युटी के हकदार हैं. 5 साल या इससे ज्‍यादा कितने भी साल तक काम करने पर आपको कंपनी बदलते समय या रिटायरमेंट के समय अन्‍य फंड के साथ ग्रेच्‍युटी भी दी जाएगी.

Gratuity Calculation : आप किसी कंपनी में लगातार 5 साल काम कर लेते हैं तो ग्रेच्‍युटी के हकदार हैं. 5 साल या इससे ज्‍यादा कितने भी साल तक काम करने पर आपको कंपनी बदलते समय या रिटायरमेंट के समय अन्‍य फंड के साथ ग्रेच्‍युटी भी दी जाएगी.

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Sushil Tripathi
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Gratuity : ग्रेच्युटी मुख्य रूप से आपकी अंतिम बेसिक सैलरी और कंपनी में आपके द्वारा दी गई सर्विस के कुल साल पर निर्भर करती है. (Pixabay)

Gratuity Calculator : आप किसी कंपनी में काम कर रहे हैं और अभी आपकी बेसिक सैलरी 35 हजार रुपये है. आपको उस कंपनी में काम करते हुए 12 साल पूरे हो चुके हैं. क्‍या आपको पता है कि 12 साल तक काम करने के बाद कितनी ग्रेच्‍युटी रकम कंपनी के पास जमा हो चुकी है. अगर आप किसी कंपनी में लगातार 5 साल काम कर लेते हैं तो ग्रेच्‍युटी के हकदार हो जाते हैं. 5 साल या इससे ज्‍यादा कितने भी साल तक काम करने पर आपको कंपनी बदलते समय या रिटायरमेंट के समय अन्‍य फंड के साथ ग्रेच्‍युटी की भी रकम दी जाएगी. ग्रेच्‍युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर किया जाता है. ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है.

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ग्रेच्युटी (Gratuity) का मतलब किसी कंपनी या फर्म द्वारा अपने कर्मचारी को उस कंपनी में लंबी अवधि तक दी गई सेवाओं के बदले पुरस्कार के रूप में भुगतान करना है. हालांकि, ग्रेच्युटी की रकम केवल उन्हीं कर्मचारियों को दी जाती है जो कंपनी में 5 साल या उससे अधिक समय से काम कर रहे हैं. यह ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 द्वारा गवर्न किया जाता है. किसी दुर्घटना या किसी बीमारी के कारण विकलांग होने पर कर्मचारी को 5 साल से पहले ग्रेच्युटी मिल सकती है. ग्रेच्युटी मुख्य रूप से आपके अंतिम बेसिक सैलरी और कंपनी को दी गई सर्विस के साल पर निर्भर करती है.

कैसे कैलकुलेट कर सकते हैं ग्रेच्‍युटी अमाउंट?

ग्रेच्युटी मुख्य रूप से आपकी अंतिम बेसिक सैलरी और कंपनी में आपके द्वारा दी गई सर्विस के कुल साल पर निर्भर करती है. मान लीजिए आप किसी कंपनी में 12 साल काम कर चुके हैं और आपका बेसिक और महंगाई भत्ता मिलाकर अभी 40,000 रुपये है. अगर आप जानना चाहते हैं कि ग्रेच्‍युटी की ककितनी रकम अबतक तैयार हो चुकी है तो इसका कैलकुलेशन आसानी से कर इस फॉर्मूले से कर सकते हैं. 

ग्रेच्युटी की रकम = (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया).

यहां महीने में 26 दिन ही गिने जाते हैं, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है. एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन होता है. इस फॉर्मूले में ऊपर दिए उदाहरण की रकम भरने पर कैलकुलेशन इस तरह होगा:

कुल ग्रेच्युटी की रकम = (35000) x (15/26) x (12)= 2,42,308 रुपये

यानी लेटेस्‍ट 35,000 रुपये बेसिक सैलरी वाला कर्मचारी अगर 12 साल तक नौकरी कर लेता है तो अबतक उसकी ग्रेच्युटी की रकम 2,42,308 रुपये हो चुकी होगी. 

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6 महीने से कम या ज्‍यादा 

इस फार्मूले के तहत, अगर कोई कर्मचारी 6 महीने से ज्यादा काम करता है तो उसका कैलकुलेशन एक साल के तौर पर किया जाएगा. जैसे अगर कोई कर्मचारी 8 साल 7 महीने काम करता है तो उसे 9 साल मान लिया जाएगा और इसी आधार पर ग्रेच्युटी की रकम बनेगी. वहीं, अगर 8 साल 5 महीने काम करता है तो उसे 8 साल ही माना जाएगा. अगर किस कर्मचारी की रिटायरमेंट या जॉब छोड़ने से पहले ही डेथ हो जाती है, तो ग्रेच्युटी का भुगतान कंपनी कर्मचारी के नॉमिनी को करेगी.

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पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972

पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत यह लाभ उन संस्‍थानों के हर कर्मचारी को मिलता है जहां 10 से ज्यादा लोग काम करते हैं. अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है, लेकिन वह ग्रेच्‍युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्‍युटी का लाभ मिलता है. एक बार जब कोई संगठन या प्रतिष्ठान ग्रेच्युटी एक्ट के अंतर्गत आ जाता है, तो उस पर इसके प्रावधान लागू होते हैं, भले ही बाद में कर्मचारियों की संख्या 10 से कम हो जाए.

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ग्रेच्युटी के लिए अप्लाई करने से पहले आपको ये देख लेना चाहिए कि आपकी कंपनी ग्रेच्युटी एक्ट के तहत रजिस्टर है या नहीं. क्योंकि अगर आपकी कंपनी रजिस्टर है, तो उसे नियमों के अनुसार आपको ग्रेच्युटी का भुगतान करना होगा, लेकिन अगर कंपनी रजिस्टर नहीं है तो ग्रेच्युटी का भुगतान करना या नहीं करना कंपनी की इच्छा पर निर्भर करता है.