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Short Term Investment : कम समय के लिए करना है निवेश? मौजूदा माहौल में लो-ड्यूरेशन फंड्स हो सकते हैं स्मार्ट चॉइस

Investment in Low-duration Funds: अगर आप कम समय के लिए सुरक्षित और बेहतर रिटर्न वाला निवेश करना चाहते हैं, तो लो-ड्यूरेशन म्यूचुअल फंड्स आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकते हैं.

Investment in Low-duration Funds: अगर आप कम समय के लिए सुरक्षित और बेहतर रिटर्न वाला निवेश करना चाहते हैं, तो लो-ड्यूरेशन म्यूचुअल फंड्स आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकते हैं.

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FE Hindi Desk
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Short Term Investment in Low-duration Funds

Low-duration Funds ब्याज दरों में गिरावट के बीच FD से बेहतर रिटर्न दे सकते हैं. (Image : Freepik)

Short Term Investment in Low-duration Funds: अगर आप कम समय के लिए अपने पैसे को सुरक्षित और अच्छे रिटर्न के साथ निवेश करना चाहते हैं, तो लो-ड्यूरेशन म्यूचुअल फंड्स आपके लिए एक बेहतर विकल्प बन सकते हैं. मौजूदा समय में जब ब्याज दरें गिर रही हैं, ये फंड्स स्थिरता और बेहतर रिटर्न का संतुलन देते हैं और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से बेहतर रिटर्न दे सकते हैं.

ब्याज दरों में गिरावट का फायदा

जब ब्याज दरें घटती हैं, तो बॉन्ड्स की कीमतें बढ़ती हैं. लो-ड्यूरेशन फंड्स अल्पकालिक बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, जो ब्याज दरों में हलचल के प्रति कम संवेदनशील होते हैं. इससे इन फंड्स को कैपिटल गेन और आकर्षक रिटर्न दोनों मिलते हैं. इन फंड्स से आप 7.75% से 8% तक का सालाना रिटर्न कमा सकते हैं, जो लिक्विड फंड्स या FD की तुलना में बेहतर है. ये फंड्स खास तौर पर उन निवेशकों के लिए अच्छे हैं जो 6 से 12 महीनों की अवधि के लिए पैसा निवेश करना चाहते हैं.

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एक्सपर्ट की राय

निरव कारकेरा, रिसर्च हेड, Fisdom के अनुसार, "जैसे-जैसे ब्याज दरें घटेंगी और मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ेगी, हाई यील्डिंग बॉन्ड्स की कीमतों में तेजी आएगी. इससे लो-ड्यूरेशन फंड्स को कैपिटल गेन का भी फायदा मिलेगा." राइट रिसर्च पीएमएस (Wright Research PMS) के  फाउंडर सोनम श्रीवास्तव के अनुसार, "इन फंड्स में अल्ट्रा शॉर्ट फंड्स की तुलना में ज्यादा इनकम मिलती है और साथ ही ब्याज दरों में गिरावट का भी फायदा मिलता है."

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मॉडरेट जोखिम और स्टेबल रिटर्न

इन फंड्स की पोर्टफोलियो अवधि 6 से 12 महीने होती है और ये शॉर्ट टर्म डेट इंस्ट्रूमेंट्स और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट से बेहतर रिटर्न और कम जोखिम के साथ निवेश करना चाहते हैं, तो ये फंड्स एक संतुलित विकल्प हैं. वेल्थ रिडिफाइन (Wealth Redefine) की को-फाउंडर सौम्या सरकार के मुताबिक "अगर आप 6 महीने से 1 साल के लिए पैसा पार्क करना चाहते हैं, तो ये फंड्स आपके लिए बेस्ट हैं. ये मौजूदा वातावरण में बेहतर यील्ड और स्थिरता का सही मिश्रण पेश करते हैं."

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किन बातों का रखें ध्यान

  • ब्याज दरों का असर: ब्याज दरों में गिरावट से कैपिटल गेन मिल सकता है, लेकिन दरें बढ़ने पर रिटर्न घट सकता है.

  • क्रेडिट रिस्क: कुछ फंड्स कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, इसलिए पोर्टफोलियो की क्रेडिट क्वालिटी जरूर जांचें.

  • AAA रेटेड बॉन्ड्स: कोशिश करें कि फंड में ज़्यादातर AAA रेटेड बॉन्ड्स हों ताकि डिफॉल्ट का रिस्क कम रहे.

  • डायवर्सिफिकेशन ज़रूरी: फंड को एक ही AMC में न रखें, बल्कि अलग-अलग फंड हाउसेस में बांटकर निवेश करें.

लोटसड्यू वेल्थ एंड इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स (Lotusdew Wealth & Investment Advisors) के फाउंडर एंड सीईओ  अभिषेक बनर्जी का कहना है कि, "सॉल्वेंसी को गलत ढंग से मैनेज करने पर निवेशक को नुकसान हो सकता है. इसलिए पोर्टफोलियो में विविधता बहुत जरूरी है."

निवेश की सही अवधि और खर्च

इन फंड्स में निवेश की सबसे उपयुक्त अवधि 6 से 18 महीने है. इससे रिइन्वेस्टमेंट रिस्क कम होता है और फंड्स की ड्यूरेशन आपके प्लान से मेल खाती है. साथ ही, हमेशा डायरेक्ट प्लान और कम एक्सपेंस रेशियो वाले फंड्स को चुनें ताकि आपके रिटर्न पर खर्च कम हो. लो-ड्यूरेशन फंड्स का उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब निवेशक कोई लंबी योजना तय करने से पहले कुछ समय के लिए पैसा पार्क करना चाहते हैं. इस वजह से इन म्यूचुअल फंड्स में तरलता (liquidity) और कम खर्च विशेष महत्व रखते हैं.

(Article : Saikat Neogi)

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