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Photograph: (AI Image: Perplexity)
Why the Rs 1 Crore Retirement Number Is an Illusion and What to Do Instead : मैंने अपने घर में अपने दादा और पापा, दो जनरेशन को रिटायर होते देखा है और दोनों की रिटायरमेंट की स्थिति काफी अलग थी. मेरे दादा ने आराम से रिटायरमेंट लिया था, उनके पास बैंक में सिर्फ कुछ लाख रुपये थे और यह उनके लिए काफी था. उन्होंने खुशी-खुशी जिंदगी बिताई, जब चाहा यात्रा की और पैसे खत्म होने की चिंता कभी नहीं दिखाई दी. बल्कि, रिटायर होने से ठीक पहले उन्होंने अपने परिवार के लिए नया घर भी बना लिया था.
लेकिन मेरे पापा के समय हालात अलग थे. उनके हिसाब से रिटायरमेंट के लिए जरूरी रकम अब 1 करोड़ रुपये गो गई थी. जब वे अपने गोल्डन ईयर के लिए करोड़ की बचत की बात करते, तो वह बहुत बड़ी रकम लगती. इतनी रकम से मेडिकल खर्च, रोजमर्रा की जरूरतें और शायद कुछ छोटे-छोटे लक्जरी खर्चें भी आसानी से पूरे हो जाते थे.
लेकिन सच वही है जिसे कोई ज़्यादा मानता नहीं. पैसे हमेशा वही जादू नहीं दिखाते. जो एक जनरेशन के लिए पर्याप्त लग रही थी, अगली पीढ़ी के लिए अक्सर कम पड़ जाती है. और अगर आप भी मेरी तरह रिटायरमेंट की प्लानिंग कर रहे हैं, तो एक कड़वी सच्चाई को समझना जरूरी है कि आज की जनरेशन के लिए 1 करोड़ रुपये का रिटारमेंट फंड अब वैसा मैजिक नंबर नहीं रहा जो पहले लगता था.
कैसे घटती है पैसे की वैल्यू
महंगाई दर को आप चुपचाप काम करने वाला दीमक समझें. यह एक दिन में आपकी बचत को नहीं खा जाता, लेकिन धीरे-धीरे ऐसी चुभन देता है कि एक दिन आपको एहसास होता है कि नींव खोखली हो गई है. जरा एक सोचकर देखिए, 2045 में 1 करोड़ रुपये की वैल्यू आज के सिर्फ 30 लाख रुपये की परचेजिंग पावर जैसी रह सकती है.
अगर महंगाई दर सिर्फ 4% सालाना रहे, तब भी यह रकम घटकर तकरीबन 45 लाख रुपये के आसपास रह जाएगी. यानी आपका “आईडियल रिटायरमेंट फंड” अब पहले जैसा सुरक्षित नहीं रहा.
अब इसे असल दुनिया के खर्चों से जोड़कर देखिए
भारत में हेल्थकेयर खर्च बढ़कर 13% तक पहुंचने वाला है, जो पिछले साल के 12% और ग्लोबल औसत 10% से भी ज्यादा है.
किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से यूजी की पढ़ाई करने के लिए एक बच्चे के पेरेंट्स को सालाना 50 लाख या उससे ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं.
साथ ही लाइफस्टाइल अपग्रेड, ट्रैवल या सामान्य आराम के खर्च जोड़ें, तो यह अंतर और भी बढ़ जाता है.
ऐसी स्थिति में अचानक करोड़ के शून्य पैसे सुरक्षा जैसी नहीं लगते. और वह “फूल-प्रूफ” रिटायरमेंट प्लान जो आपने बनाया था, वह अब उतना सुनहरा नहीं लगता.
यानी आज की कम महंगाई दर रिटारमेंट के वक्त आपकी मदद नहीं करेगी.
आप ये कह सकते हैं कि फिलहाल महंगाई दर कम है. आप बिल्कुल सही हैं, जुलाई 2025 में उपभोक्ता महंगाई दर 1.55% पर आ गई है, जो 2019 के बाद सबसे कम है. घर के खर्च थोड़े हल्के महसूस हुए क्योंकि सब्जियां सस्ती हो गईं और ट्रांसपोर्ट का खर्च कम हुआ.
लेकिन यहां एक सच छुपा है.
छोटी अवधि के लिए ये कमी, लंबी अवधि के रुख को नहीं बदलती. पिछले कुछ दशकों में भारत में महंगाई दर औसतन 5–6% रही है. और खास खर्चों जैसे हेल्थकेयर, शिक्षा या यात्रा की बात करें, तो यह दर अक्सर और भी ज्यादा होती है.
यानी आज आपका मंथली ग्रॉसरी बिल यानी खाने-पीने का खर्च आसानी से संभल सकता है, लेकिन रिटायरमेंट लंबी यात्रा है. 1990 में औसत जीवन प्रत्याशा यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी (Life Expectancy) 62 साल थी, अब यह 70 से ऊपर है. इस बीच महंगाई दर आपके निवेशों की तरह तेजी से बढ़ेगी और आपके खर्चों पर असर डालेगी.
महंगाई से बचने का तरीका
2025 में स्मार्ट रिटायरमेंट प्लानिंग कुछ इस तरह दिखती है.
“मैजिक नंबर” के पीछे न भागें
1 करोड़, 5 करोड़ या 10 करोड़ जैसी सिर्फ बड़ी रकम के पीछे मत भागें. आपका सही नंबर वही है जो आपके खर्चों के हिसाब से पर्याप्त हो. इसलिए ये न पूछें कि कितना रिटायरमेंट फंड पर्याप्त है? बल्कि ये पूछे कि क्या मेरा पैसा खर्चों के साथ कदम से कदम मिला पाएगा?
महंगाई के हिसाब से योजना बनाएं
आज की 1.55% महंगाई दर भूल जाएं. रोजमर्रा के खर्चों के लिए कम से कम 6% और लाइफस्टाइल गोल्स के लिए 8–10% महंगाई दर मानकर रिटारमेंट प्लानिंग बनाइएं.
सेफ्टी और ग्रोथ के बीच संतुलन बनाएं
सिर्फ FDs जैसी ट्रेडिशनल सेविंग स्कीम्स मदद नहीं करेंगी. इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में इक्विटी शामिल करें जैसे एग्रेसिव और बैलेंस्ड SIP फंड्स या इंडेक्स फंड्स, ताकि दशकों में महंगाई दर को पीछे छोड़ा जा सके.
अपने गोल्स को अलग-बकेट में रखें
जरूरी खर्च जैसे खाना और हेल्थकेयर के लिए सुरक्षित योजना बनाएं. यात्रा, शादी या प्रॉपर्टी जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए ज्यादा एग्रेसिव प्लानिंग करें. और इमरजैसी जैसी स्थिति के लिए हमेशा पोर्टफोलियो का एक हिस्सा कैश में रखें.
हर 3 साल में समीक्षा करें
तीन साल पहले पर्याप्त लगने वाला फंड आज पुराना लग सकता है. महंगाई दर और आपके लाइफस्टाइल के हिसाब अपनी सेविंग और निवेश को नियमित रूप से अपडेट करते रहें.
पूरी कहनी से क्या सीखा?
जब मेरे दादा रिटायर हुए, तो उन्हें महंगाई दर की चिंता नहीं थी. मेरे पापा की जनरेशन ने इसका असर महसूस करना शुरू किया. और हमारी जनरेशन के लिए इसे अनदेखा करना अब लगभग नामुमकिन है.
सबक साफ है: आज के नंबरों के जाल में मत फंसें. एक करोड़ बड़ी रकम लगती है, लेकिन 2045 की वास्तविक दुनिया में यह चिंताजनक रूप से कम लग सकती है.
चाहे आप महीने के 5,000 रुपये ही बचा रहे हों या करोड़ों का पोर्टफोलियो बना रहे हों, नियम एक ही है - सिर्फ बड़ी रकम के पीछे मत भागिए, उसकी असल परचेजिंग पावर के पीछे भागिए. क्योंकि जब आप रिटायर होंगे, तो शायद सबसे बुरी बात यही होगी कि आपको समझ आए आपका आमुख रिटारमेंट फंड वाला “मैजिक नंबर” सिर्फ एक धोखा था.
डिस्क्लेमर
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स्नेहा विरमानी एक कंटेंट स्ट्रैटेजिस्ट और लेखक हैं, जिनके पास एक दशक से अधिक का अनुभव है. वह लेडी श्री राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय (इकोनॉमिक्स और साइकोलॉजी) की पूर्व छात्रा हैं. स्नेहा कहानी कहने पर आधारित कंटेंट स्ट्रैटेजी और उपभोक्ता शिक्षा अभियान में माहिर हैं. उनका काम पाठकों के लिए स्पष्ट और सटीक जानकारी प्रदान करता है, बिना किसी जटिल शब्दजाल के, ताकि रोजमर्रा के पाठक आसानी से समझ सकें.
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Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed for accuracy.
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