scorecardresearch

Warren Buffett : घर के बड़े पैसे के बारे में जो सिखाते थे, वही सही था और उसकी जीती-जागती मिसाल हैं वॉरेन बफेट

सोशल मीडिया दिखावे के सपनों को बढ़ावा देता है, जिनकी कीमत कर्ज और चिंता होती है. वॉरेन बफेट का सिंपल लाइफ सिखाती है कि काफी होना ही असली अमीरी है.

सोशल मीडिया दिखावे के सपनों को बढ़ावा देता है, जिनकी कीमत कर्ज और चिंता होती है. वॉरेन बफेट का सिंपल लाइफ सिखाती है कि काफी होना ही असली अमीरी है.

author-image
Parth Parikh
New Update
Warren Buffett, Warren Buffett Investment Tips, Warren Buffett Golden Rules, वॉरेन बफेट

वॉरेन बफेट की सादगीभरी जीवनशैली हमें भारतीय परिवारों की उन पुरानी सीखों की याद दिलाती है जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं. पैसे बचाना, सादगी से जीना, खर्च पर कंट्रोल रखना और आर्थिक स्वतंत्रता को सबसे बड़ी दौलत मानना ही असली वैल्यू है.(Reuters)

Breakfast with Buffett: हर हफ़्ते आपको सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट दिख ही जाते होंगे—किसी का बैंक मैसेज आया कि उनकी क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ गई है. किसी ब्रोकर ने बताया कि अब वे ज़्यादा लीवरेज से ट्रेड कर सकते हैं. लोग इस पर लाइक-टिप्पणियाँ करते हैं, जैसे लिमिट बढ़ना कोई बड़ी उपलब्धि हो. मानो ज़्यादा उधार लेना ही ताकत का निशान हो.

लेकिन जब मैं वॉरेन बफेट के बारे में सोचता हूँ, तो तस्वीर बिलकुल अलग दिखती है.

Advertisment

दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक होने के बावजूद बफेट आज भी उसी पुराने घर में रहते हैं जिसे उन्होंने साठ साल पहले खरीदा था. उन्हें साधारण खाना पसंद है, साधारण कारें चलाते हैं, और जिन चीज़ों की ज़रूरत नहीं, उन पर पैसे उड़ाने से बचते हैं. उनके लिए असली लिमिट यह नहीं है कि वे कितना खर्च कर सकते हैं, बल्कि यह है कि वे कितना बेकार ख़र्च करने से बचते हैं.

यही आदत भारतीय परिवारों के लिए सबसे अहम सबक है.

पैसा दिखावा करने के लिए नहीं, बल्कि अपने परिवार की सुरक्षा, सुकून और आज़ादी के लिए होता है. आज जब हर जगह नई लिमिट और अपग्रेड का जश्न मनाया जा रहा है, बफेट हमें सिखाते हैं कि असली ताकत तब है जब आप पहचान लेते हैं कि आपके पास पहले से ही “काफी” है.

Also read : Warren Buffett: झुनझुनवाला के अलावा भारत के 3 सुपर इन्वेस्टर्स, जिनसे हर बफेट फैन सीख सकते हैं निवेश के गुर

हमारे परिवारों की पुरानी लेकिन असल सीख

जब मैं वॉरेन बफेट की ज़िंदगी को देखता हूँ, तो एहसास होता है कि यह हमारे भारतीय परिवारों की परंपराओं से कितनी मिलती-जुलती है. मेरे दादा-दादी ने पूरी ज़िंदगी उसी घर में बिताई, कभी बड़ा मकान सिर्फ़ दिखावे के लिए नहीं खरीदा. मेरे माता-पिता ने हमेशा खर्च से पहले बचत को महत्व दिया. हमें सिखाया कि नई चीज़ खरीद लेना ही खुशी नहीं होती. उस वक़्त ये बातें साधारण, यहाँ तक कि पुरानी सोच जैसी लगती थीं.

बफेट यह साबित करते हैं कि ये आदतें सिर्फ़ परंपरा नहीं, बल्कि समय से परे सच हैं. अरबों की दौलत होने के बावजूद वे सादगी चुनते हैं. वे दिखाते हैं कि हमारे घरों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही ये छोटी-छोटी सीख आज भी उतनी ही मज़बूत हैं. अब मुझे माँ की छोटी बचत, पिता की सोच-समझकर बनाई योजनाएँ, और दादा-दादी की सादा दिनचर्या नए मायने देती है. वे असल में एक और तरह की दौलत बना रहे थे—सुरक्षा, आज़ादी और मन की शांति.

भारत की पीढ़ियों की बुद्धिमानी हमेशा परिवार को दिखावे से ऊपर रखती थी. शादियाँ, बच्चों की पढ़ाई, और स्वास्थ्य—ये सब पहले आते थे, न कि लग्ज़री गाड़ियाँ या बड़े मकान. बफेट के फैसले भी उसी तरतीब को दोहराते हैं. वे उसी में निवेश करते हैं जो सचमुच मायने रखता है, बेकार की चीज़ों से दूर रहते हैं, और सादगी में ताक़त ढूँढ़ते हैं. मेरे लिए यह सबसे साफ़ सबक है कि जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, वही हमारे परिवारों की पुरानी सीख समय की कसौटी पर खरी उतरती है.

Also read : Warren Buffett: बफेट के वो 5 गोल्डन रूल्स जिन्होंने राकेश झुनझुनवाला को बनाया भारत का 'बिग बुल'

वो आदतें जिन्हें हम अपनाकर आज भी मजबूत बन सकते हैं

वॉरेन बफेट की ज़िंदगी की सबसे बड़ी ताक़त सिर्फ़ उनकी सोच नहीं, बल्कि उनके रोज़मर्रा के छोटे-छोटे नियम हैं. यह कोई अरबपतियों के लिए सुरक्षित रहस्य नहीं हैं. इन्हें कोई भी परिवार अपनी ज़िंदगी में उतार सकता है.

पहली आदत: खर्च से पहले बचत

बफेट हमेशा कहते हैं—“खर्च के बाद बचा हुआ मत बचाओ, बल्कि बचत के बाद बचा हुआ खर्च करो.” लेकिन आजकल ज़्यादातर लोग इसका उल्टा करते हैं. तनख़्वाह आती है, खर्च होते जाते हैं, और अंत में जो बचता है वही बचत कहलाती है. कई बार तो कुछ बचता ही नहीं. हमारे घरों में पुरानी पीढ़ियाँ इस नियम को उल्टा जीती थीं—आय आते ही पहले पैसा अलग रखो, बाक़ी से महीने का गुज़ारा करो. यही आदत वह सुरक्षा कवच बनाती थी, जो किसी भी क्रेडिट कार्ड से कहीं ज़्यादा मज़बूत था.

दूसरी आदत: दिखावे वाले कर्ज से परहेज

बफेट साफ़ कहते हैं कि कर्ज़—ख़ासकर ऊँचे ब्याज वाला—दौलत का सबसे बड़ा दुश्मन है. क्रेडिट कार्ड का बकाया हर महीने आपकी कमाई से तेज़ी से बढ़ता है. शुरू में टीवी, फ़ोन या कुछ बड़े सामान उधार पर लेना मामूली लगता है, लेकिन ब्याज धीरे-धीरे बाकी सबको खा जाता है. फिर ज़िंदगी का हर छोटा खर्च भारी लगने लगता है. उधार से दूर रहना भले “स्टाइलिश” न लगे, लेकिन यही असली आज़ादी है.

तीसरी आदत: दिखावे से ज्यादा इस्तेमाल को महत्व देना

बफेट सालों तक एक ही साधारण कार चलाते रहे, पुराना फ़ोन तब तक इस्तेमाल किया जब तक वह टूट न गया, और कभी सिर्फ़ इसलिए नया सामान नहीं खरीदा कि दूसरों के पास है. यह वही नियम है जिसे भारतीय घरों ने पीढ़ियों तक निभाया, लेकिन आज की दौड़-भाग में कभी-कभी भूल जाते हैं. किसी चीज़ की मरम्मत करना, दोबारा इस्तेमाल करना, और उससे पूरी कीमत निकालना कंजूसी नहीं है—यह उस पैसे का सम्मान है जो हमने कमाया है.

चौथी आदत: जरूरत और चाहत को अलग करना

बफेट हर ख़रीद से पहले पूछते हैं—क्या यह सचमुच ज़रूरत है या बस चाहत? यही एक सवाल परिवारों को सालों की परेशानी से बचा सकता है. मुझे याद है, जब भी मैं कोई नया गैजेट या फैशनेबल चीज़ माँगता, माँ पूछतीं—“तुझे सच में ज़रूरत है, या बस मन है?” और अक्सर मेरे पास जवाब नहीं होता. असली अनुशासन यही है—ज़रूरत और चाहत में फर्क पहचानना.

ये आदतें कोई सनसनी नहीं बनातीं, न ही सोशल मीडिया पर तालियाँ बटोरती हैं. लेकिन यही वो चुपचाप ईंटें हैं जो लंबे समय की सुरक्षा की नींव रखती हैं. यही पैसे को पीछा करने का जाल बनने से रोककर स्थिरता का औज़ार बना देती हैं. यही बफेट की ज़िंदगी हमें सिखाती है—और यही हमारे अपने परिवार हमेशा से जानते आए हैं.

Also read : Warren Buffett: वॉरेन बफेट का सिंपल रूल, जो देता है असाधारण नतीजे

अंत में

जब मैं वॉरेन बफेट की सादगी भरी आदतों पर नज़र डालता हूँ, तो यह केवल एक अरबपति की व्यक्तिगत पसंद नहीं लगती. इसमें मुझे वही सिद्धांत दिखाई देते हैं जिन्हें भारतीय परिवार हमेशा से जानते आए हैं, बस आधुनिक जीवन की चकाचौंध में कभी-कभी भूल जाते हैं. उनकी ज़िंदगी यह साबित करती है कि असली दौलत घर के आकार या कार की कीमत में नहीं, बल्कि हमारी आदतों की मज़बूती में है.

सबसे अहम बात सीधी है कि पैसा तब तक आपकी रक्षा नहीं करेगा जब तक आप पहले उसकी रक्षा करना नहीं सीखते. क्रेडिट कार्ड की लिमिट, कर्ज या ऊँची आय किसी संकट में परिवार को नहीं बचाती. बचाती है नियमित बचत, कम कर्ज, साधारण जीवन और ज़रूरत व चाहत के बीच स्पष्टता. यह सब कोई भी कर सकता है, चाहे आय कितनी भी हो.

मेरे लिए इनसे जुड़ी व्यवहारिक बातें बिल्कुल साफ़ हैं:

हर महीने बचत को पहला "बिल" मानकर अलग रखो.

उन चीज़ों के लिए कर्ज मत लो जिनकी कीमत खरीदते ही घट जाती है.

नया लेने से पहले पुराना पूरा इस्तेमाल करो, मरम्मत करो और दोबारा इस्तेमाल करो.

हर खरीद से पहले ठहरकर सोचो कि क्या यह सचमुच ज़रूरत है.

इनमें से कोई भी आदत आपको रातोंरात "कामयाब" नहीं दिखाएगी. ये सोशल मीडिया पर लाइक भी नहीं बटोरेंगी. लेकिन समय के साथ ये आपको वह चीज़ देंगी जो किसी भी दिखावे से कहीं बड़ी है—मन की शांति. यही सबक बफेट की ज़िंदगी देती है, और यही हमारे अपने माता-पिता और दादा-दादी की चुपचाप दी हुई बुद्धिमानी थी.

आख़िरकार, किसी भी परिवार के लिए सबसे ज़रूरी यही है कि पैसा दिखावे के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा, आज़ादी और प्यार के लिए होता है. बफेट हर दिन इस सच को जीते हैं, और हम भी इसे जी सकते हैं.

Also read : Warren Buffett: वॉरेन बफेट की 5 गोल्डन सलाह जो हर नए निवेशक को जाननी चाहिए

नोट:यह लेख फंड रिपोर्ट्स, इंडेक्स हिस्ट्री और सार्वजनिक खुलासों पर आधारित है. विश्लेषण और उदाहरणों के लिए कुछ अनुमानों का इस्तेमाल किया गया है.

पार्थ पारिख को वित्त और रिसर्च के फील्ड में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है. वे वर्तमान में फिनसायर (Finsire) में ग्रोथ और कंटेंट स्ट्रैटेजी का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां वे निवेशकों को शिक्षित करने वाली पहल और प्रोडक्ट्स पर काम करते हैं, जैसे कि लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड्स (LAMF) और बैंकों व फिनटेक कंपनियों के लिए फाइनेंशियल डेटा सॉल्यूशन्स.

इस लेख का मकसद निवेश से जुड़ी समझ, आंकड़े और सोच को प्रेरित करने वाले नजरिये साझा करना है. यह कोई निवेश सलाह नहीं है. अगर आप किसी निवेश विचार पर अमल करना चाहते हैं, तो योग्य सलाहकार से परामर्श करना बेहद ज़रूरी है. यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य से लिखा गया है. इसमें व्यक्त विचार पूरी तरह व्यक्तिगत हैं और मेरे वर्तमान या पूर्व नियोक्ताओं से जुड़े नहीं हैं.

Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed for accuracy.

To read this article in English, click here.

breakfast with buffett Warren Buffett