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भारत की 1.4 अरब आबादी में 70% लोग 40 साल से कम उम्र के हैं. डिजिटल ऐप्स की सुविधा और आत्मनिर्भर भारत अभियान से लोकल इंडस्ट्री को मिल रहे बढ़ावे के साथ यह समय आगे बढ़ने के लिए बेहद अनुकूल है. (AI Image)
by Suhel Khan
भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और अब पूरी दुनिया उसकी आर्थिक ताकत को गंभीरता से लेने लगी है. जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, वैसे ही शेयर बाजार में नए-नए निवेशकों की एंट्री भी बढ़ रही है. ये निवेशक ज्यादातर युवा होते हैं, जो उम्मीदों और आत्मविश्वास से भरे होते हैं, और कई बार थोड़ा आक्रामक भी हो जाते हैं. उनका सपना होता है कि वो जल्दी अमीर बनें और बाजार में कुछ बड़ा करें. लेकिन सच्चाई यह है कि शेयर बाजार हर किसी के लिए नहीं होता. यहां उतार-चढ़ाव और अनिश्चितता हमेशा बनी रहती है, और यही इसकी सबसे बड़ी चुनौती होती है.
अक्सर नया निवेशक बाजार के मौजूदा ट्रेंड के पीछे भागता है और सोचता है कि वह जल्दी मुनाफा कमा लेगा, लेकिन ऐसा करते हुए कई बार उसे नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि यह पूरी तरह नकारात्मक नहीं है. अगर सही जानकारी और समझदारी के साथ निवेश किया जाए तो इसमें फायदा भी जबरदस्त हो सकता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं वॉरेन बफेटट, जिन्होंने सिर्फ 11 साल की उम्र में निवेश करना शुरू किया था और आज वे अरबों डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं. हर नए निवेशक को उनसे कुछ न कुछ जरूर सीखना चाहिए, और उनके अनुभव से पांच ऐसी अहम बातें निकलती हैं जिन्हें जानना हर शुरुआत करने वाले के लिए बेहद जरूरी है.
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मूल बात पर ध्यान दें, न कि झटपट मुनाफे पर
जब भारत के शेयर बाजार में निवेश की बात आती है, तो क्या आप भी आस-पास की शोर-शराबे से परेशान हो जाते हैं? कभी बहुत बड़ी गिरावट में तुरंत खरीदने का मन होता है, तो कभी किसी वायरल ट्रेंड के पीछे भागने की इच्छा होती है?
याद है जब पिछले साल सेंसेक्स 85,000 अंकों की ओर बढ़ रहा था? हर कोई सोलर एनर्जी या ऑनलाइन शॉपिंग जैसे 'हॉट सेक्टर्स' की बात कर रहा था.
ऐसे समय में नए निवेशकों को अक्सर समझ नहीं आता कि क्या करें.
ऐसे में वॉरेन बफेटट की समझदारी काम आती है.
"एक शानदार कंपनी को उचित दाम पर खरीदना, एक औसत कंपनी को सस्ते दाम पर खरीदने से कहीं बेहतर होता है."
यह बात जैसे एकदम आंखें खोल देने वाली होती है.
बफेटट का मतलब है कि हमें ऐसी कंपनियां ढूंढनी चाहिए जो मजबूत हैं, अच्छा मुनाफा कमा रही हैं, होशियार लोगों द्वारा चलाई जा रही हैं और स्थिर रूप से आगे बढ़ रही हैं… न कि वे कंपनियां जो सिर्फ चर्चा में हैं और ज्यादा दाम पर बिक रही हैं.
एक नए निवेशक के तौर पर हमें टीवी की चकाचौंध वाली हेडलाइनों या X (Twitter) की पोस्ट से आगे देखना सीखना चाहिए.
जैसे रोजमर्रा की वस्तुओं या हेल्थकेयर जैसे सेक्टरों को समझने की कोशिश करें कि इनमें लंबी अवधि में टिकने की ताकत है या नहीं.
मेहनत करें और यह जानें कि कंपनियां पैसे कैसे कमाती हैं और कैसे बढ़ती हैं.
बफेटट की '20 पंच कार्ड स्ट्रैटेजी' इस सोच को और भी अच्छे से समझाती है, जिसमें वह कहते हैं कि निवेश को ऐसे सोचो जैसे आपके पास सिर्फ 20 बार निवेश करने का मौका है.
तो आपको हर बार बहुत सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए, क्योंकि मौके सीमित हैं.
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घबराएं नहीं, समय को अपना काम करने दें
भारत का शेयर बाजार हमेशा कुछ न कुछ ऐसा करता रहता है जिससे निवेशक बेचैन हो जाते हैं.
कभी कोई ग्लोबल खबर, कभी बारिश की मार, तो कभी कोई राजनीतिक उथल-पुथल — हर दिन कुछ नया तनाव देने वाला कारण होता है.
इसलिए लोग बार-बार अपना फोन चेक करते हैं और हर गिरावट पर घबरा जाते हैं.
लेकिन जब भी आपके साथ ऐसा हो, तो वॉरेन बफेटट की ये बात याद रखें...
"कोई आज छांव में बैठा है क्योंकि किसी ने बहुत समय पहले एक पेड़ लगाया था."
सोचिए ज़रा, दौलत एक दिन में नहीं बनती.
2025 की एनएसई रिपोर्ट बताती है कि 90% से ज्यादा रिटेल ट्रेडर्स झटपट कमाई के चक्कर में पैसा गंवा बैठते हैं.
और अगर आप भी जल्दी मुनाफा कमाने की सोच में लगे हैं, तो हो सकता है आप भी उन्हीं में से एक बन जाएं.
नए निवेशकों को अपनी सोच और रणनीति दोनों बदलनी चाहिए.
शुरुआत मंथली SIP से करें, वो भी ऐसे म्यूचुअल फंड में जो खाने-पीने या दवाइयों जैसे ज़रूरी सेक्टरों से जुड़े हों.
ऐसे सेक्टर जो समय के साथ गायब नहीं होते.
भारत की अर्थव्यवस्था इस साल 6% से भी ज़्यादा की दर से बढ़ रही है — ऐसे में धैर्य रखकर निवेश किया जाए तो आगे चलकर यह एक बड़ी रकम बन सकती है.
और एक और बात याद रखें जो बफेटट ने कही थी...
"शेयर बाजार उन लोगों से पैसा लेता है जिन्हें सब्र नहीं है और उन लोगों को देता है जिन्हें है."
वॉरेन बफेटट ने अपनी दौलत का बड़ा हिस्सा हाल के कुछ वर्षों में ही कमाया है.
इसलिए वे खुद इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि धैर्य कैसे चमत्कार करता है.
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उधार लेकर निवेश से बचें
पैसे उधार लेकर निवेश करने के चक्कर में मत पड़िए.
शुरुआत में ये चालाकी लग सकती है, लेकिन जब नुकसान होने लगे तो यही फैसला सबसे बेवकूफी भरा लगने लगता है.
वॉरेन बफेटट ने कहा था—
"मैंने ज्यादातर लोगों को शराब और लोन की वजह से असफल होते देखा है… लोन यानी उधार का पैसा."
ये बात भारतीयों के लिए और भी सटीक बैठती है.
भारत में 2024 में लोन 12% बढ़े (RBI के अनुसार), और इसकी एक बड़ी वजह क्विक लोन और BNPL (अभी खरीदो, बाद में चुकाओ) जैसी स्कीमें रहीं.
ऐसे ऑफर्स देखकर बड़े दांव लगाने का मन करता है, लेकिन अगर बाजार अचानक गिर जाए तो भारी नुकसान हो सकता है.
सुरक्षित खेलें.
शेयर बाजार में कदम रखने से पहले अपने सेविंग्स अकाउंट में 6 से 12 महीने के खर्च जितनी रकम का बफर तैयार करें.
ऐसे सेक्टर्स में निवेश पर ध्यान दें जो खुद कर्ज पर आधारित न हों — जैसे बैंकिंग या मनी सर्विसेज.
वॉरेन बफेटट का एक और जरूरी नियम याद रखें:
"नियम नंबर 1: पैसा मत गंवाओ. नियम नंबर 2: नियम नंबर 1 को कभी मत भूलो."
हमेशा अपने पैसे से डिमैट अकाउंट खोलें, उधार लेकर नहीं.
2025 की नीति आयोग रिपोर्ट बताती है कि 45% भारतीय परिवार नियमित रूप से बचत करते हैं — ये आदत हमारे खून में है.
इसी आदत को निवेश से पहले अपनाइए और बिना कर्ज के मजबूत शुरुआत कीजिए.
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रिसर्च में गहराई से उतरें
सोचिए अगर आपने बिना कुछ समझे किसी निवेश में पैसे लगा दिए और फिर नुकसान झेलना पड़ा.
क्या आपने कभी ऐसा किया है?
तो वॉरेन बफेटट की ये बात याद रखिए...
"जो कर रहे हैं उसका पता न हो, तो असली रिस्क वहीं से शुरू होता है."
भारत में 2025 के हिसाब से हर महीने 100 से ज़्यादा नए स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं.
ये ज़रूर रोमांचक है, लेकिन अगर आपने होमवर्क नहीं किया तो ये एक सट्टा बन जाता है.
और ये सबक नुकसान उठाकर सीखने की ज़रूरत नहीं है.
ज़िंदगी इतनी लंबी नहीं कि हर गलती खुद करके सीखी जाए — दूसरों के अनुभव से भी सीखा जा सकता है.
थोड़ा समय निकालिए.
जैसे हेल्थकेयर या IT जैसे सेक्टर्स में कंपनियां कमाई कैसे करती हैं, ये समझने की कोशिश कीजिए.
किसी कंपनी का मुनाफा किस तरह से बढ़ रहा है और उसकी परफॉर्मेंस कैसी है, उस पर नज़र रखिए.
अगर किसी स्टार्टअप का IPO आ रहा है, तो खुद से पूछिए — क्या इसमें वाकई दम है?
यहां बफेटट की एक और सलाह काम आती है...
"सोचो जैसे आपके पास ज़िंदगीभर में सिर्फ 20 निवेश फैसलों की छूट है, और हर बार आपको सोच-समझकर ही पंच करना है."
इस सोच से आप हर बार बहुत सोच-समझकर फैसला लेंगे — और यही निवेश की असली समझदारी है.
टिके रहना है असली जीत
वॉरेन बफेटट की ये बात — "शेयर बाजार का काम है अधीर लोगों से धैर्यवान लोगों की ओर पैसा ट्रांसफर करना" — उन निवेशकों को काफी सुकून देती है जो छोटी-छोटी बातों पर घबरा जाते हैं.
भारत में 2025 के आंकड़ों के अनुसार 30% लोग रोज़ ट्रेडिंग करते हैं.
ऐसे में जरूरी है कि आप हर रोज़ पोर्टफोलियो चेक करने की बजाय हर कुछ महीने में एक बार देखें, और SIP कैलकुलेटर की मदद से अपने म्यूचुअल फंड की ग्रोथ को समझें.
बफेटट मजाक में कहते हैं — "हमारा निवेश स्टाइल आलस के आसपास का धैर्य है."
और यही बात काफी हद तक सच है — कम भागदौड़, ज़्यादा फोकस.
जैसे जयपुर के किसी परिवार ने बच्चे के भविष्य के लिए हर महीने ₹2,000 की SIP शुरू की — तो ये छोटा कदम लंबे समय में एक मजबूत फाउंडेशन बन सकता है.
इस साल 8% महंगाई को देखते हुए, लगातार और स्थिर रहना ही असली समझदारी है.
छोटे कदम, बड़ी कामयाबी
इस रास्ते पर चलना कोई रॉकेट साइंस नहीं है. नीचे कुछ आसान बातें दी गई हैं जो आप फॉलो कर सकते हैं:
शुरुआत करें:
किसी अच्छे बैंक या ब्रोकरेज के साथ अपना डिमैट अकाउंट खोलिए — बेहद आसान है.
मजबूत सेक्टर चुनें:
घरेलू सामान या एनर्जी जैसे सेक्टर पर नज़र डालें.
अगर आपको यह तय करने में दिक्कत हो रही है, तो चिंता न करें — म्यूचुअल फंड्स हमेशा एक विकल्प हैं.
SIP अपनाएं:
हर महीने ₹1,000 की छोटी सी SIP भी लंबे समय में बड़ा फ़ायदा दे सकती है.
बफ़र बनाएं:
अपने मासिक खर्च के 6 महीने का कैश बफर सेविंग्स में रखें.
अगर 12 महीने का हो सके तो और बेहतर.
साथ-साथ सीखते रहें:
पढ़ते रहें, निवेश की बातें समझते रहें और खुद को अपग्रेड करते रहें.
बफेटट ने सही कहा था — "सबसे अच्छा निवेश वही है जो आप खुद पर करते हैं."
भारत का वक्त अब है
भारत की 1.4 अरब आबादी में से 70% लोग 40 साल से कम उम्र के हैं.
ऐसे में जब एक के बाद एक ऐप निवेश को आसान बना रहे हैं और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाएं लोकल इंडस्ट्री को बढ़ावा दे रही हैं, तो ये समय बिल्कुल सही है.
वॉरेन बफेटट की रणनीतियां मामूली बचत को भी बड़ी संपत्ति में बदल सकती हैं.
2025 की PwC रिपोर्ट कहती है कि 2030 तक भारत का मिडिल क्लास वर्ग दोगुना हो जाएगा — यानी और ज़्यादा लोग इस आर्थिक सफर में जुड़ सकते हैं.
इसलिए अभी सीखना ज़रूरी है, नहीं तो आप भी उन 60% लोगों में शामिल हो सकते हैं जो पैसे गंवा बैठते हैं.
बफेटट के नक्शे-कदम पर चलें?
हर नए या पहली बार निवेश करने वाले व्यक्ति के पास एक विकल्प होता है — या तो जल्दी पैसा कमाने के पीछे भागें, या कुछ मजबूत और टिकाऊ बनाएं.
वॉरेन बफेटट की सीख हमें रास्ता दिखाती है — सही वैल्यू ढूंढना, समय को काम करने देना, उधार से दूर रहना, रिसर्च करना और लगातार बने रहना.
बफेटट हमेशा कहते हैं — "Price वो है जो आप चुकाते हैं, लेकिन Value वो है जो आप असल में पाते हैं."
ये सोच हमें सही चीज़ों पर ध्यान देना सिखाती है.
छोटी शुरुआत करें, उसे लगातार जारी रखें और धीरे-धीरे अपनी दौलत को बढ़ते देखें.
चाहे आप एक छात्र हों, अभिभावक हों या कोई सपना देखने वाला आम इंसान — यह मौका है कि हम सब मिलकर एक बेहतर भविष्य की नींव रखें.
डिस्क्लेमर: इस लेख का मकसद सिर्फ आपको दिलचस्प चार्ट, आंकड़े और सोचने वाली बातें दिखाना है. यह कोई निवेश की सलाह नहीं है. अगर आप निवेश करना चाहते हैं, तो पहले अपने वित्तीय सलाहकार से ज़रूर बात करें. यह लेख केवल जानकारी देने के लिए है.
सुहेल खान पिछले 10 साल से शेयर बाजार को करीब से समझते आ रहे हैं. वे मुंबई की एक बड़ी इक्विटी रिसर्च कंपनी में सेल्स और मार्केटिंग हेड रह चुके हैं. अब वे भारत के टॉप निवेशकों की रणनीतियों को गहराई से समझने में अपना समय दे रहे हैं.
डिसक्लोजर: इस लेख में जिन शेयरों की बात की गई है, लेखक या उनके परिवार के पास वे शेयर नहीं हैं. वेबसाइट चलाने वाले, इसके कर्मचारी या लेख लिखने वाले कुछ लोग इन शेयरों में खरीद-बिक्री कर चुके हों या उनके पास पहले से इन कंपनियों के शेयर या उससे जुड़े निवेश हो सकते हैं.
लेख में दी गई बातें और आंकड़ों की समझ पूरी तरह से लेखकों की अपनी राय है. निवेश से जुड़ा कोई भी फैसला आप अपनी ज़रूरत, लक्ष्य और सलाहकार से बात करने के बाद ही लें.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed for accuracy.
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