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Mutual Funds Investing : पोर्टफोलियो में अलग अलग कैटेगरी से जुड़े फंड के साथ इमरजेंसी फंड का सही रेश्यो होना जरूरी है. (AI Image)
How to Build Mutual Fund Portfolio : प्राइवेट जॉब करने वाले 35 साल के राहुल ने अब तक की नौरिी पीरियड में निवेश बचत की जगह अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने पर ज्यादा फोकस किया है. इसी के चलते फाइनेंशियल प्लानिंग उनकी प्राथमिकता नहीं बन पाई, क्योंकि शौक पूरे करने में ही उनकी सैलरी का बड़ा हिस्सा खर्च होता रहा. लेकिन उम्र के इस पड़ाव में अब उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगी है. वह रिटायरमेंट के अलावा बच्चों की पढ़ाई लिखाई व अन्य जरूरी लक्ष्य को लेकर अब परेशान हैं.
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इसलिए वह अभी 10 लाख रुपये अपना पोर्टफोलियो बनाने की शुरूआत करना चाहते हैं. जब उन्होंने निवेश के लिए कुछ रिस्क फ्री विकल्पों पर ध्यान दिया तो वह मिलने वाला रिटर्न सिंगल डिजिट में ही था. महंगाई को देखकर भी इन योजनाओं का आकर्षण नहीं बन पाया. फिर उन्होंने एक्सपर्ट से सलाह ली तो उन्हें म्यूचुअल फंड्स के बेनेफिट के बारे में पता चला. अब सवाल उठता है कि म्यूचुअल फंड में 10 लाख रुपये कैसे निवेश (Mutual Fund Investment) किया जाए.
म्यूचुअल फंड्स में लेटेस्ट ट्रेंड
म्यूचुअल फंड का मौजूदा ट्रेंड देखें तो AMFI के आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने यानी जुलाई 2025 में इक्विटी सेग्मेंट में निवेश बढ़ा है. एक्टिवली मैनेज्ड इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में जुलाई महीने के दौरान 42,702.35 करोड़ का निवेश (इनफ्लो) हुआ, जो जून में हुए 23,587 करोड़ के इनफ्लो से 81% ज्यादा है. इंडियन म्यूचुअल फंड्स एसोसिएशन (AMFI) के मंथली आंकड़ों के अनुसार, सभी कैटेगरी में जून की तुलना में जुलाई में निवेश में बढ़ोतरी हुई. म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल नेट इनफ्लो 1.79 लाख करोड़ रहा, जो पिछले महीने के 49,094 करोड़ से काफी ज्यादा है.
किस कैटेगरी में कितना इनफ्लो या आउटफ्लो
लार्ज-कैप फंड्स में 2,125.09 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ, जबकि मिड-कैप कैटेगरी में 5,182.49 करोड़ रुपये का इनफ्लो आया.
स्मॉल-कैप स्कीम्स में जुलाई में 6,484.43 करोड़ रुपये का इनफ्लो आया, फ्लेक्सी-कैप फंड्स में 7,654.33 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ.
लार्ज और मिड-कैप फंड्स में 5,034.71 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ, सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स ने सबसे ज्यादा 9,426.03 करोड़ रुपये आया.
ईएलएसएस (ELSS) स्कीम्स में नेट आउटफ्लो (निकासी) जारी रहा, लेकिन जुलाई में यह घटकर 368.18 करोड़ रुपये रहा.
जुलाई में डेट फंड्स में 1.06 लाख करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ. ओवरनाइट फंड्स में 8,865 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ. लिक्विड फंड्स से जुलाई में 39,354.9 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ, जो जून के 25,196 करोड़ रुपये के आउटफ्लो से ज्यादा है.
हाइब्रिड स्कीम्स में 20,879.47 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ, आर्बिट्राज फंड्स में 7,295.70 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ. गोल्ड ईटीएफ्स (Gold ETFs) की बात करें तो जुलाई में 1,256.09 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ.
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क्या करें निवेशक?
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि बाजार में निवेश का हर समय मौका होता है, बस सही से रिसर्च कर सही विकल्प चुनने की जरूरत होती है और समय समय पर पोर्टफोलियो को रीबैलेंसिंग करते रहना चाहिए. दूसरे डर रहे हैं, सिर्फ इसलिए डर कर बाजार से दूर चले जाएं, ये सही स्ट्रैटेजी नहीं है. हालांकि निवेश के पहले कुछ खास बातों पर ध्यान देना जरूरी है.
- निवेश का लक्ष्य क्या है, मसलन बच्चों का हायर एजुकेशन, घर या नई कार लेना, बच्चों की शादी, विदेश यात्रा
- किस लक्ष्य के लिए कितना समय चुना है.
- आप में बाजार का रिस्क लेने की कितनी क्षमता है.
- फंड चुनने के पहले उसके बारे में रिसर्च करें और एक्सपेंस रेश्यो पर ध्यान दें कि वह सस्ता है या महंगा.
- पोर्टफोलियो को हमेशा डाइवर्सिफाइड रखें.
कैसे बनाएं मजबूत पोर्टफोलियो?
एके निगम का कहना है कि पोर्टफोलियो में अलग अलग कैटेगरी से जुड़े फंड के साथ इमरजेंसी फंड का सही रेश्यो होना जरूरी है. इसलिए 10 लाख रुपये को बराबर 5 हिस्सों में बांट सकते हैं.
इसमें एक हिस्सा इमरजेंसी फंड के लिए आर्बिट्राज फंड या शॉर्ट ड्यूरेशन वाले डेट फंड में लगा सकते हैं. इनकी मैच्योरिटी 3 महीने से 6 महीने होती है, इसलिए जरूरत पर लिक्विडिटी की दिक्कत नहीं होगी.
दूसरा हिस्सा मल्टी एसेट एलोकेशन फंड में लगाएं, जिससे पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड होता है.
तीसरा हिस्सा फ्लेक्सी कैप फंड में लगाएं, जो अभी ट्रेंड में हैं और अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.
चौथा हिस्सा लार्ज एंड मिड कैप फंड में लगाएं, जो स्थिरता के साथ हाई रिटर्न दे सकते हैं.
पांचवां हिस्सा थीमैटिक फंड कैटेगरी में लगाएं, जिनमें समय समय पर फंड मैनेजर खुद ही सेक्टर में बदलाव कर सकता है. ये सेक्टोरल फंड की तरह रिस्की नहीं हैं.
एक साथ न लगाएं पैसा
एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार के मौजूदा माहौल में एक साथ पूरा पैसा निवेश करने की बजाए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी बेहतर विकल्प है. इसमें मंथली बेसिस पर पैसा लगाने की सुविधा मिलती है. समय समय पर आकलन कर आप इसे बढ़ा या घटा भी सकते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय किसी भी सेग्मेंट में एक ही फंड हाउस का चुनाव न करें. बल्कि अलग अलग फंड हाउस द्वारा जारी स्कीम में पैसे लगाएं, इससे जोखिम कम होता है.
(डिस्क्लेमर: इस लेख का मकसद जानकारी देना है. हमने यहां जानकारी के लिए एक्सपर्ट से बात की है. यह हमारे निजी विचार नहीं हैं. किसी भी स्कीम का प्रदर्शन भविष्य में जारी रहे, इसकी गारंटी नहीं है. निवेश से जुड़े फैसले अपने निवेश सलाहकार की राय लेकर ही करें.)