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Money Matters : रिटायरमेंट के बाद 75,000 रुपये मंथली इनकम ? SWP से होगा इंतजाम, क्या है कैलकुलेशन

Mutual Fund For Retirement : SWP का सही इस्तेमाल करें तो रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम के साथ ही आप अपने कॉर्पस को बढ़ाने का इंतजाम भी कर सकते हैं.

Mutual Fund For Retirement : SWP का सही इस्तेमाल करें तो रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम के साथ ही आप अपने कॉर्पस को बढ़ाने का इंतजाम भी कर सकते हैं.

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Viplav Rahi
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Smart Retirement Strategy: SWP से रेगुलर इनकम और फंड ग्रोथ एक साथ मिल सकती है. (Image : Freepik)

Mutual Fund SWP :रिटायरमेंट के बाद सबसे बड़ा डर ये होता है कि इनकम बंद हो जाएगी लेकिन खर्चे जारी रहेंगे. लेकिन अगर रिटायरमेंट के बाद भी जेब में हर महीने रेगुलर पैसे आते रहें और जमापूंजी भी साल-दर-साल बढ़ती जाए, तो भला इससे बेहतर क्या हो सकता है. आप पूछेंगे कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है? म्यूचुअल फंड का सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान यानी SWP ऐसा ही एक तरीका है, जो इसे मुमकिन बना सकता है. 

अगर आपके पास रिटायरमेंट के समय निवेश करने के लिए 90 लाख रुपये का कॉर्पस है, तो म्यूचुअल फंड का सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान यानी SWP से आपको 75,000 रुपये मंथली इनकम के साथ ही करोड़ों की ग्रोथ भी मिल सकती है. इसका कैलकुलेशन आगे बताएंगे, लेकिन पहले SWP को ठीक से समझ लेते हैं. 

SWP क्या है और कैसे काम करता है?

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  • SWP यानी सिस्टमैटिक विथड्रॉल प्लान (Systematic Withdrawal Plan) निवेश की ऐसी स्ट्रैटजी है, जिसमें आप अपने रिटायरमेंट फंड को निवेश करने के बाद उससे नियमत रूप से पैसे निकाल सकते हैं. 

  • ये विथड्रॉल मंथली, सालाना, तिमाही या छमाही कुछ भी हो सकता है.

  • निवेश किए गए बाकी पैसे फंड में बने रहते हैं, जिस पर रिटर्न जेनरेट होता है.

  • इसे SIP की उल्टी रणनीति कहा जा सकता है. SIP में जहां आप रेगुलर इनवेस्टमेंट करते हैं, वहीं SWP में आप नियमित रूप से पैसे निकालते हैं.

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90 लाख के निवेश पर 75,000 मंथली इनकम – क्या है कैलकुलेशन

सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान (SWP) की स्ट्रैटजी के जरिये रेगुलर इनकम और फंड वैल्यू में इजाफा, दोनों एक साथ कैसे किया जा सकता है, इसे आप उदाहरण के तौर पर यहां दिए जा रहे कैलकुलेशन से समझ सकते हैं.

  • वन टाइम इनवेस्टमेंट : 90 लाख रुपये

  • निवेश की अवधि : 20 साल

  • अनुमानित सालाना रिटर्न : 12%

  • SWP से हर महीने निकाली गई रकम : 75,000 रुपये

  • 20 साल में कुल निकाली गई रकम = 1.80 करोड़ रुपये

  • 20 साल बाद बचा कॉर्पस = 2.31 करोड़ रुपये

(सोर्स : वैल्यू रिसर्च म्यूचुअल फंड मॉनिटर, 4 सितंबर 2025 तक अपडेटेड आंकड़े)

यानी रिटायरमेंट के बाद आप इनकम भी निकालते रहेंगे और आपका कॉर्पस भी कई गुना बढ़ जाएगा.

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12% रिटर्न के लिए कहां करें निवेश?

ऊपर दिया गया कैलकुलेशन 20 साल तक 12% एनुअल रिटर्न के अनुमान पर आधारित है. इतना ऊंचा रिटर्न सिर्फ इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में ही मिलने की उम्मीद की जा सकती है. इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की 5 प्रमुख कैटेगरीज के पिछले 10 साल के रिटर्न के आंकड़े भी यही संकेत देते हैं:

म्यूचुअल फंड्स की कैटेगरी / 10 साल में औसत सालाना रिटर्न

  • मिड कैप फंड्स : 16.26%

  • लार्ज एंड मिड कैप फंड्स : 14.88%

  • ELSS फंड्स : 14.10%

  • फ्लेक्सी कैप फंड्स : 13.82%

  • लार्ज कैप फंड्स : 13.00%

(सोर्स : वैल्यू रिसर्च म्यूचुअल फंड मॉनिटर, 4 सितंबर 2025 तक अपडेटेड आंकड़े)

ऊपर दी गई फंड कैटेगरीज के अलावा पिछले 10 साल में एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स का औसत सालाना रिटर्न 12.13% रहा है.

जबकि इसी अवधि में सोने (Gold) ने 13.53 % की दर से एनुअल रिटर्न दिया है.

इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न मार्केट पर आधारित होते हैं, इसलिए इनके पिछले रिटर्न के भविष्य में भी जारी रहने की गारंटी नहीं होती. लेकिन आमतौर पर लंबी अवधि में इनके रिटर्न ज्यादा स्टेबल रहते हैं. 

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रिस्क और रिटर्न दोनों पर ध्यान दें

SWP यह हर महीने रेगुलर इनकम के साथ कॉर्पस को लंबे समय तक सुरक्षित रखने या बढ़ाने की क्षमता रखता है. लेकिन अगर आप रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम हासिल करने के लिए SWP का इस्तेमाल करने का मन बना रहे हैं, तो संभावित रिटर्न के साथ ही रिस्क का अनुमान लगाना भी जरूरी है. क्योंकि SWP के रिटर्न मार्केट पर आधारित होते हैं.  

अपने पोर्टफोलियो को ज्यादा स्टेबिलिटी देने के लिए आप रिटायरमेंट कॉर्पस का एक हिस्सा डेट फंड्स, हाइब्रिड फंड्स या गोल्ड ईटीएफ जैसे एसेट्स में भी लगा सकते हैं, जिन पर प्योर इक्विटी फंड्स के मुकाबले थोड़ा कम रिटर्न मिलता है, लेकिन जो ज्यादा स्टेबल माने जाते हैं. इस तरह आप रिस्क और रिटर्न में बैलेंस बनाते हुए अपने लिए सही फंड कैटेगरी और स्कीम सेलेक्ट कर सकते हैं.

(डिस्क्लेमर : इस लेख का मकसद सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश से जुड़े फैसले अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेकर ही करें.)

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