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Become a crorepati : बड़े कॉर्पस की बात करें तो 1 करोड़ का फंड इसके लिए मानक हो सकता है, जिसका सपना हर भारतीय को होता है. (AI Image)
Mutual Funds Rule of15×15×15 :म्यूचुअल फंड में अगर लंबी अवधि के लिए निवेश का लक्ष्य है तो इसके पीछे सोच है कि हाई रिटर्न के साथ एक बड़ा कॉर्पस तैयार हो सके. अभी अगर बड़े कॉर्पस की बात करें तो 1 करोड़ का फंड इसके लिए मानक हो सकता है, जिसका सपना हर भारतीय को होता है, यानी करोड़पति बनने का. वैसे सटीक तरीके से किए गए निवेश से करोड़पति बनना कोई मुश्किल काम नहीं है. म्यूचुअल फंड में पैसा लगाकर (Mutual Fund SIP) आपका लक्ष्य इसके जरिए 1 करोड़ रुपयेजुटाने का है, तो उसमें म्यूचुअल फंड का खास फार्मूला ट्रिपल 15 यानी 15-15-15 नियम आपकी मदद कर सकता है.
क्या हैम्यूचुअल फंड 15×15×15 फार्मूला?
म्यूचुअल फंड का ट्रिपल 15 फार्मूले में '15' तीन बार आता है.
पहले 15 का मतलब : आपके निवेश का लक्ष्य 15 साल (Long Term SIP) होना चाहिए.
दूसरे 15 का मतलब : आपको हर महीने अपनी इनकम से 15,000 रुपये बचाकर एसआईपी करनी होगी.
तीसरे 15 का मतलब : जिस स्कीम में SIP (निवेश) किया है, उसमें अनुमानित रिटर्न 15 फीसदी (SIP Return) सालाना हो. यानी आपको वे इक्विटी स्कीम चुननी है, जिनमें 15 फीसदी सालाना रिटर्न मिले.
कैसे काम करता है ये फॉर्मूला
मंथली SIP अमाउंट : 15,000 रुपये
निवेश की अवधि : 15 साल
अनुमानित सालाना रिटर्न : 15 फीसदी
15 साल में कुल निवेश : 27,00,000 रुपये (27 लाख)
15 साल बाद SIP की वैल्यू : 1,01,52,946 रुपये (1 करोड़)
कुल लाभ : 73 लाख रुपये
लंबी अवधि में निवेश के फायदे
लंबी अवधि में निवेश करने से पहला फायदा यह होता है कि छोटी छोटी अवधि के रिस्क कवर हो जाते हैं और रिस्क एडजस्टेड बेहतर रिटर्न हासिल होता है. अगर आप 15 साल का रिटर्न चार्ट उठाकर देखें तो ज्यादातर स्कीम का रिटर्न डबल डिजिट में है. बेहतर प्रदर्शन करने वाली स्कीम 15 फीसदी या इससे भी ज्यादा एनुअलाइज्ड रिटर्न दे रही हैं.
दूसरा फायदा यह है कि लंबी अवधि के निवेश से कंपाउंडिंग (Power of Compounding) का फायदा मिलता है. कंपाउंडिंग के फायदा उठाकर बड़ा कॉर्पस बनाया जा सकता है.
तीसरा फायदा यह कि निवेशकों को अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक स्थिर और बेहतर निवेश रणनीति बनाने में मदद मिलती है. करता है.
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह नियम सामान्य है और व्यक्तिगत वित्तीय परिस्थितियों और जोखिम सहनशक्ति के आधार पर बदल सकता है. इसलिए, निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना हमेशा उचित होता है.