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Tata BSE Select Business Groups Index Fund NFO के जरिये जमा रकम का निवेश देश के 7 सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप्स से जुड़ी कंपनियों में किया जाएगा. (Image : Company Handout)
Tata BSE Select Business Groups Index Fund NFO : टाटा BSE सेलेक्ट बिजनेस ग्रुप्स इंडेक्स फंड का न्यू फंड ऑफर (NFO) सब्सक्रिप्शन के लिए खुला हुआ है और इसमें 9 दिसंबर 2024 तक निवेश किया जा सकता है. इस नए फंड ऑफर के जरिये जमा रकम का निवेश देश के 7 सबसे बड़े बिजनेस हाउस से जुड़ी टॉप 30 कंपनियों के स्टॉक्स में किया जाएगा. इस NFO का लक्ष्य अपने निवेशकों को लॉन्ग टर्म में स्टेबल और बेहतर रिटर्न देना है. लेकिन क्या आपको इस फंड में निवेश करना चाहिए?
NFO की निवेश रणनीति
इस फंड का उद्देश्य बीएसई सेलेक्ट बिजनेस ग्रुप्स इंडेक्स (BSE Select Business Groups Index -TRI) के परफॉर्मेंस को ट्रैक करना है. यह इंडेक्स BSE 500 इंडेक्स से चुनी गई 30 कंपनियों पर आधारित है, जो सात बड़े बिजनेस ग्रुप्स का प्रतिनिधित्व करती हैं. ये बिजनेस ग्रुप हैं : टाटा ग्रुप, रिलायंस ग्रुप, लार्सन एंड टूब्रो ग्रुप, अडानी ग्रुप, आदित्य बिरला ग्रुप, महिंद्रा ग्रुप और जिंदल ग्रुप. इनमें से हर ग्रुप का इंडेक्स में वेटेज अधिकतम 23 फीसदी तक हो सकता है. हर ग्रुप से सबसे बड़ी कंपनी का चुनाव 6 महीने के एवरेज फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर किया जाता है. यह इंडेक्स फिलहाल ऑटोमोटिव, कंस्ट्रक्शन, एनर्जी, मेटल्स, और IT जैसे 12 प्रमुख सेक्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है. लेकिन फाइनेंशियल सर्विसेज से जुड़ी कंपनियां इसमें शामिल नहीं हैं. एनएफओ के फंड का 95% से 100% तक एलोकेशन इंडेक्स से जुड़ी कंपनियों के शेयर्स में किया जाएगा, जबकि 0% से 5% तक एलोकेशन डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जा सकता है.
टाटा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के चीफ बिजनेस ऑफिसर आनंद वरदराजन ने कहा कि टाटा बीएसई सेलेक्ट बिज़नेस ग्रुप इंडेक्स फंड निवेशकों को भारत के अग्रणी समूहों के विकास में शामिल होने का अनूठा अवसर दे रहा है. उन्होंने कहा कि निवेशक 7 टॉप बिजनेस ग्रुप्स में निवेश का लाभ उठा सकते हैं.
टाटा BSE सेलेक्ट बिजनेस ग्रुप्स इंडेक्स फंड की खास बातें
फंड का प्रकार: ओपन-एंडेड इंडेक्स फंड.
बेंचमार्क इंडेक्स: BSE Select Business Groups Index.
निवेश अवधि: 25 नवंबर 2024 से 9 दिसंबर 2024.
मिनिमम इनवेस्टमेंट: 5,000 रुपये.
मिनिमम SIP : 150 रुपये
फंड मैनेजर: कपिल मेनन.
एग्जिट लोड: 15 दिनों के भीतर रिडेम्पशन पर 0.25%, 15 दिनों के बाद कुछ नहीं
रिस्क लेवल : बहुत अधिक (Very High)
इन बिजनेस ग्रुप्स में निवेश : टाटा, रिलायंस, अडानी, एलएंडटी, आदित्य बिड़ला, महिंद्रा, और जिंदल.
TATA के नए इंडेक्स फंड में क्या है बेहतर?
लीडिंग कंपनियों में एक्सपोजर: देश के प्रमुख बिजनेस हाउस से जुड़ी टॉप कंपनियों में निवेश.
डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो: 12 सेक्टर्स में निवेश, जिससे जोखिम में कमी होती है.
लो-कॉस्ट इनवेस्टमेंट: पैसिव फंड होने के कारण एक्सपेंस रेशियो कम रहने की उम्मीद है.
ब्लू-चिप स्टेबिलिटी: मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश.
ट्रांसपेरेंसी: फंड की संरचना इंडेक्स की संरचना के समान है.
लंबी अवधि के लिए बेहतर: इस NFO के जरिये जुटाई गई रकम का निवेश जिन स्टॉक्स में किया जाएगा, वे देश के आर्थिक विकास से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं.
NFO से जुड़े रिस्क फैक्टर
कंसन्ट्रेशन रिस्क: केवल सात बिजनेस ग्रुप्स पर फोकस.
सेक्टर एक्सक्लूजन: फाइनेंशियल सर्विसेज से जुड़ी किसी भी कंपनी का मौजूद न होना पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन को कम करता है.
मार्केट रिस्क: बाजार की उथल-पुथल का असर फंड के परफॉर्मेंस पर पड़ सकता है.
ट्रैकिंग एरर: ऑपरेशनल चुनौतियों के कारण इंडेक्स और फंड के परफॉर्मेंस में अंतर हो सकता है.
फ्लेक्सिबिलिटी की कमी: पैसिव फंड होने के कारण फंड मैनेजर बाजार में उतार-चढ़ाव के हिसाब से अपनी रणनीति नहीं बदल सकते. इसलिए इंडेक्स में गिरावट आने पर फंड के रिटर्न में कमी आना तय है.
क्या आपको निवेश करना चाहिए?
अगर आप लंबी अवधि के लिए ब्लू-चिप कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं और स्टेबल रिटर्न की उम्मीद करते हैं, तो यह फंड आपके लिए सही हो सकता है. जिन निवेशकों ने फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में अलग से निवेश किया हुआ है, उनके लिए यह फंड डायवर्सिफिकेशन का अच्छा जरिया हो सकता है. लेकिन जो निवेशक ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते, उन्हें इस फंड से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इसके साथ मार्केट रिस्क जुड़ा हुआ है.
(डिस्क्लेमर: इस लेख का मकसद सिर्फ जानकारी देना है किसी स्कीम में निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश से जुड़े फैसले अपने निवेश सलाहकार की राय लेकर ही करें.)