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Mutual Funds Investment: सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में पैसे लगाने वाले जिन निवेशकों को घाटा हो रहा है, उन्हें अब क्या करना चाहिए? (Image : Pixabay)
Mutual Funds Investment Tips: हाल के दिनों में शेयर बाजार में आई भारी उथल-पुथल ने कई म्यूचुअल फंड्स, खासकर सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स के प्रदर्शन पर निगेटिव असर डाला है. ज्यादातर सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स के पिछले 3 महीनों के रिटर्न फिलहाल बेहद कम या निगेटिव चल रहे हैं. इनके पिछले 6 महीनों के रिटर्न आंकड़े भी तकरीबन वैसे ही हैं. हाल में लॉन्च हुए कई सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स तो ऐसे भी हैं, जिनकी नेट एसेट वैल्यू (NAV) उनके लॉन्च प्राइस से भी 10-20% तक नीचे आ चुकी है. इससे सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स के NFO में पैसे लगाने वाले या ऐसे पुराने फंड्स में भी हाल ही में निवेश करने वाले बहुत सारे इनवेस्टर्स को अपने निवेश पर घाटा हो रहा है. सवाल ये है कि ऐसे निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?
सेक्टोरल, थीमैटिक फंड्स पर ज्यादा असर क्यों?
सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स, जैसे डिफेंस, PSU, टूरिज्म और मेटल इंडेक्स को फॉलो करने वाले इक्विटी फंड, शेयर बाजार में पिछले दिनों आई उथल-पुथल के शिकार हुए हैं. ऐसे कई फंड्स हैं, जिनकी NAV न्यू फंड ऑफर (NFO) में जारी 10 रुपये प्रति यूनिट की कीमत से भी नीचे आ गई है. 27 सितंबर के बाद से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली ने इस स्थिति को और बिगाड़ दिया. इस दौरान निफ्टी 50 में 10.44%, निफ्टी मिडकैप 150 में 10.9% और निफ्टी स्मॉलकैप 250 में 9.1% की गिरावट देखी गई. इसके अलावा, डिफेंस इंडेक्स में 10.25%, PSU इंडेक्स में 11.7% और मेटल इंडेक्स में 12.28% की गिरावट दर्ज की गई है.
गलत समय पर निवेश का नुकसान?
कई थीमैटिक और सेक्टोरल फंड्स की लॉन्चिंग उस समय हुई जब संबंधित सेक्टर्स पहले से अपने पीक को छू रहे थे. उदाहरण के लिए, डिफेंस और PSU सेक्टर्स ने लॉन्च से पहले के एक साल में 100% से अधिक रिटर्न दिया था. इस प्रदर्शन के चलते इन योजनाओं ने नए निवेशकों को आकर्षित किया, लेकिन बाजार की तेज गिरावट ने इनकी वैल्यू में भी भारी गिरावट ला दी. इन फंड्स की संरचना कुछ चुनिंदा कंपनियों पर आधारित होती है. अगर इनमें से 1-2 कंपनियों का प्रदर्शन कमजोर हो, तो पूरे फंड पर इसका निगेटिव असर पड़ता है.
निवेशकों के लिए क्या है सही रणनीति?
निवेशकों को इस समय अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करनी चाहिए. जिन निवेशकों ने थीमैटिक फंड्स में बहुत ज्यादा निवेश कर दिया है, वे उनसे एग्जिट करके डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स का रुख कर सकते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि डायवर्सिफाइड फंड्स का प्रदर्शन लंबी अवधि में बेहतर होता है क्योंकि ये विभिन्न सेक्टर्स में निवेश करते हैं, जिससे जोखिम कम करने में मदद मिलती है. थीमैटिक और सेक्टोरल फंड्स केवल ऐसे अनुभवी निवेशकों के लिए ही सही हैं, जिनके पास संबंधित सेक्टर के बारे में अच्छी जानकारी हो और जो लंबी अवधि के निवेश पर ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता रखते हों. नए या कम जानकार निवेशकों को इनसे बचना चाहिए और डायवर्सिफाइड स्कीम्स पर ही फोकस करना चाहिए.
रिटर्न पर मुनाफा बुक करना क्यों जरूरी है?
थीमैटिक और सेक्टोरल फंड्स के साथ सबसे बड़ी चुनौती सही समय पर एग्जिट करने की होती है. अगर सही समय पर फंड से बाहर नहीं निकला जाए, तो लंबे समय तक बिना लाभ के इन्वेस्टमेंट अटका रह सकता है. उदाहरण के लिए, 2008 में पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स में भारी निवेश हुआ था, लेकिन समय पर बाहर न निकलने वाले निवेशकों को लगभग 8-10 साल तक अपने फंड्स के रिकवर होने का इंतजार करना पड़ा.
क्या सीखें निवेशक?
थीमैटिक और सेक्टोरल फंड्स कभी भी आपके पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा नहीं होने चाहिए. ऐसे फंड्स को अपने पोर्टफोलियो में सीमित जगह दें और डायवर्सिफाइड फंड्स में निवेश को प्रायोरिटी दें. सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में ज्यादा से ज्यादा 10% ही निवेश करना जाना चाहिए. वो भी उन निवेशकों को जो ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता रखते हैं और कम से कम 7 साल के लिए इनवेस्ट कर सकते हैं. बाजार के मौजूदा हालात में निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है. ऐसे फंड्स जब भी अच्छा प्रदर्शन करें, तो मुनाफा बुक करके अपने पोर्टफोलियो को री-बैलेंस करना जरूरी है. इक्विटी में लंबी अवधि के लिए निवेश करके वेल्थ क्रिएशन करना है, तो मल्टी कैप और फ्लेक्सी कैप जैसे डायवर्सिफाइड फंड ही बेहतर हैं. हालांकि निवेश से जुड़ा कोई भी फैसला करने से पहले यह बात हमेशा याद रखें कि इक्विटी म्यूचुअल फंड कोई भी हो, उसमें निवेश के साथ कुछ न कुछ मार्केट रिस्क हमेशा ही जुड़ा रहता है. इसलिए अपने रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखकर ही पैसे लगाएं.