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SIP Investment : बाजार में गिरावट आने पर आपको लो कास्ट इन्वेस्टमेंट का मौका मिलता है. अगर आप एसआईपी इन्वेस्टर हैं, तो यूनिट सस्ते में मिल जाती है. (Pixabay)
Why Invest During Bad Time : शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है. सेंसेक्स अपने आलटाइम हाई से 12 फीसदी और निफ्टी 12.5 फीसदी तक टूट गया है. इस गिरावट ने स्टॉक ही नहीं इक्विटी म्यूचुअल फंड के शॉर्ट टर्म रिटर्न पर असर डाला है. ऐसे में निवेशकों का बाजार में पैसे लगाने को लेकर कनफ्यूज होना जायज है. एक्सपर्ट मान रहे हें कि मौजूदा भाव से बाजार में 2 से 3 फीसदी गिरावट और बढ़ सकती है. बहुत से निवेश ऐसे भी होंगे जो बाजार में एंट्री करने से घबरा रहे होंगे या जिनका निवेश होगा, वे निकालने की तैयारी कर रहे होंगे. तो क्या बाजार के इस बुरे दौर में आपको अपना निवेश बनाए रखना चाहिए या आपको अपना पैसा निकालना चाहिए.
बाजार के व्यवहार को लेकर कुछ तय नहीं
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि उतार चढ़ाव बाजार का एक ऐसा ट्रेंड है, जो समय समय पर देखने को मिलता है. यह अनुमान लगाना व्यावहारिक रूप से असंभव है कि किसी निश्चित दिन बाजार कैसा व्यवहार करेगा. ऐसे कई दौर रहे हैं, जब बाजार में बड़ी गिरावट आती है और रिकवरी उससे भी तेजी होती है. बाजार में गिरावट स्थिर नहीं होती है, कई मौकों पर गिरावट के बाद तेज रिकवरी देखने को मिली है. इसलिए सिर्फ गिरावट देखकर निवेश भुना लेना समझदारी नहीं है. गिरावट के समय निवेश के कई फायदे हैं.
बुरे समय में निवेश के फायदे
एके निगम का कहना है कि बाजार में गिरावट आने पर आपको लो कास्ट इन्वेस्टमेंट का मौका मिलता है. अगर आप एसआईपी इन्वेस्टर हैं, तो यूनिट सस्ते में मिल जाता है. वहीं जब बाजार में रिकवरी आती है तो इन यूनिट पर आपको बेहतर रिटर्न हासिल होता है. बाजार में गिरावट लंबी अवधि के लिए निवेश का मौका देती है. अगर आपका लक्ष्य लंबी अवधि का है, तो बाजार में गिरावट वास्तव में कम कीमतों पर अधिक खरीदारी का अवसर है. हालांकि अगर आपका फाइनेंशियल लक्ष्य पूरा होने की कगार पर है तो आप इक्विटी से पैसा डेट या किसी सुरक्षित या निवेश के ट्रेडिशनल विकल्पों में ट्रांसफर करना चाहिए.
घबराने की बजाय बेस्ट डे का उठाएं फायदा
FundsIndia Research रिपोर्ट बताती है कि निवेशकों को इस तरह के माहौल में घबराने की बजाय बाजार के सबसे अच्छे दिनों का इंतजार करना चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार 1995 के बाद से अबतक ऐसे कई फेज आए हैं, मसलन वैश्विक मंदी, कोविड 19, ग्लोबल रेट हाइक सेल आफ या चुनावों को लेकर अनिश्चितताएं. लेकिन इस दौरान भी बाजार ने कुछ बेहतरीन दिन देखे हैं, जिनमें बाजार ने हाई रिटर्न दिया है. इन बेहतरीन दिनों के चलते हर बार ऐसे फेज के बाद बाजार का लॉन्ग टर्म रिटर्न अच्छा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार बीते करीब 20 साल की बात करें तो जो निवेशक बाजार के सबसे अच्छे 10 दिनों से चूक गए, उनका रिटर्न आधे से भी कम रह गया.
बिगेस्ट बुल मार्केट के दौर में भी गिरावट
एक रिपोर्ट के अनुसाार इंडियन मार्केट के लिए बिगेस्ट बुल मार्केट 2003 - 2007 के बीच रही, जबकि इस दौरान निफ्टी ने 214% रिटर्न जेनरेट किया. 5 साल में लार्जकैप का CAGR 35% रहा था. जबकि 2003 में इंट्रा ईयर मार्केट फाल 14 फीसदी था. यानी अगर किसी ने 2003 में अपना पूरा निवेश निकाल लिया होगा तो उसे 214 फीसदी रिटर्न से हाथ धोना पड़ा. इसका मतलब है कि उस गिरावट के दौर में बाजार में निवेश बनाए रखना मुनाफे की डील साबित हुआ.
बेस्ट डे चूके तो भारी नुकसान
FundsIndia Research रिपोर्ट ने 1995 से 2024 में अबतक यानी 19 साल से ज्यादा समय के दौरान बेस्ट डे चूकने से रिटर्न पर असर की जानकारी दी है. यहां Nifty 50 TRI में 2005 से 2024 YTD तक 10 लाख रुपये के निवेश पर रिटर्न का कैलकुलेशन किया गया है.
पूरे समय बाजार में बने रहे : 1.46 करोड़ रुपये (14.5% सालाना)
बाजार के बेस्ट 5 दिन चूक गए : 94 लाख रुपये (11.9% सालाना)
बाजार के बेस्ट 10 दिन चूक गए : 69 लाख रुपये (10.2% सालाना)
बाजार के बेस्ट 15 दिन चूक गए : 52 लाख रुपये (8.7% सालाना)
बाजार के बेस्ट 20 दिन चूक गए : 40 लाख रुपये (7.3% सालाना)
बाजार के बेस्ट 25 दिन चूक गए : 32 लाख रुपये (6.0% सालाना)
बाजार के बेस्ट 30 दिन चूक गए : 25 लाख रुपये (4.8% सालाना)
बाजार के बेस्ट 40 दिन चूक गए : 17 लाख रुपये (2.7% सालाना)
बाजार के बेस्ट 50 दिन चूक गए : 12 लाख रुपये (0.8% सालाना)