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Tax benefits : NPS में पैसे लगाकर निवेशक इनकम टैक्स की धारा 80CCD (1) के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन का लाभ उठा सकता है. (Pixabay)
National Pension System Benefits : नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS रिटायरमेंट को ध्यान में रखकर चलाई जा रही केंद्र सरकार की पॉपुलर पेंशन स्कीम (Pension Scheme) है. यह केंद्र सरकार की एक सोशल सिक्योरिटी पहल है. हालांकि यह योजना मार्केट लिंक्ड होती है. केंद्र सरकार द्वारा यह 1 जनवरी 2004 को सरकारी कर्मचारियों के लिए लॉन्च किया गया था. साल 2009 के बाद से इसे प्राइवेट कर्मचारियों के लिए (Who can invest in NPS) भी खोल दिया गया. एनआरआई भी इसके लिए योग्य हैं. NPS में कम से कम 20 साल निवेश करना जरूरी है. अकाउंट खुलने के बाद 60 साल की उम्र तक या मैच्योरिटी तक इसमें योगदान करना होता है.
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रिटायरमेंट पर कोई 60 फीसदी तक राशि निकाल सकता है और बचे फंड से एन्युटी खरीद सकता है. एनपीएस की खासियत यह है कि रिटायरमेंट पर न तोई 100 फीसदी फंड निकाल सकता है और न ही 100 फीसदी फंड से एन्युटी खरीद सकता है. कम से कम 40 फीसदी रकम से एन्युटी खरीदना जरूरी है. इस योजना में मंथली पेंशन के लिए एन्युटी खरीदना जरूरी है. यानी यह स्कीम रिटायरमेंट पर पेंशन और एक मुश्त फंड तो देती ही है, रिटायरमेंट के पहले भी इसके जरिए कुछ बड़े लाभ मिल रहे हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है.
टैक्स बेनेफिट (Tax benefits in NPS)
- NPS में पैसे लगाकर कोई भी निवेशक इनकम टैक्स की धारा 80CCD (1) के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन का लाभ उठा सकता है.
- एनपीएस इंस्ट्रूमेंट में विशेष निवेशकों को इनकम टैक्स की धारा 80CCD (1B) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. ऐसे निवेशक 2 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं. यह धारा 80C के तहत निवेश पर मिलने वाले 1.5 लाख रुपये तक के टैक्स डिडक्शन से अलग है.
- जो कॉर्पोरेट एनपीएस मॉडल के तहत आते हैं वे धारा 80CCD (2) के तहत अपनी बेसिक सैलरी के 10 फीसदी हिस्से पर अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट हासिल कर सकते हैं. यह लाभ 7.5 लाख रुपये (पीएफ, सेवानिवृत्ति निधि और एनपीएस सहित) तक सीमित है.
- सभी टैक्स-रिलेटेड एक्जेंप्शन यानी टैक्स बेनिफिट उन लोगों के लिए है जो ओल्ड इनकम टैक्स रिजीम के तहत लाभ लेते हैं, जबकि कॉर्पोरेट एनपीएस मॉडल उन लोगों पर लागू होता है जो न्यू इनकम टैक्स रिजीम के तहत लाभ लेते हैं.
आपका एंम्प्लॉयर भी देता है लाभ
आपका एंम्प्लॉयर आपको एनपीएस में निवेश पर टैक्स छूट देता है. इसके तहत आप अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी तक एनपीएस में निवेश कर सकते हैं, जिस पर आपको टैक्स छूट मिलेगी. वहीं अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं तो आपके लिए यह आंकड़ा 14 फीसदी तक हो सकता है. ज्यादातर कंपनियां एनपीएस की सुविधा देती हैं. एक और बात कि एनपीएस अकाउंट में अगर एंप्लॉयर की तरफ से भी कंट्रीब्यूशन किया जाता है, तो उसका कोई हिस्सा निकालने की छूट कर्मचारी को नहीं होगी.
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रिटायरमेंट के पहले सिर्फ आंशिक निकासी
नए मास्टर सर्कुलर के मुताबिक NPS के सब्सक्राइबर कुछ विशेष परिस्थिति में पेंशन अकाउंट में खुद की जमा की हुई कुल रकम का अधिकतम 25 फीसदी हिस्सा ही निकाल सकते हैं. आंशिक निकासी की इजाजत उसी सब्सक्राइबर को मिलेगी, जो कम से कम 3 साल से नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस स्कीम का मेंबर हो.स्कीम में सब्सक्रिप्शन की पूरी अवधि के दौरान किसी भी मेंबर को ज्यादा से ज्यादा तीन बार आंशिक निकासी करने की इजाजत मिलेगी. एक तरह से कह सकते हैं कि आपका पैसा रिटायरमेंट के दिनों के लिए बचा रहता है. ना कि कुछ निजी जरूरतों पर आप इसे खर्च कर पाते हैं.
इन परिस्थितियों में निकाल सकते हैं पैसा
- बच्चों के हायर एजुकेशन के लिए
- बच्चों की शादी के लिए
- रिहायशी मकान या फ्लैट खरीदने या बनाने के लिए. यह घर या फ्लैट सब्सक्राइबर के अपने नाम से या कानूनी तौर पर उसके पति/पत्नी के साथ साझा मालिकाना हक में होना चाहिए.
- अगर सब्सक्राइबर के पास पुश्तैनी प्रॉपर्टी के अलावा अपना कोई अलग रिहायशी मकान या फ्लैट है, तो उसे घर खरीदने या बनाने के लिए आंशिक निकासी की इजाजत नहीं मिलेगी.
- गंभीर बीमारियों की चिकित्सा के लिए. इन बीमारियों में कैंसर, किडनी खराब होना, दिल की गंभीर बीमारियां, प्रमुख अंगों का प्रत्यारोपण, कोमा, दृष्टिहीनता, पैरालिसिस, कोविड-19 और गंभीर एक्सिडेंट का इलाज और अस्पताल का खर्च शामिल है.
- सब्सक्राइबर की विकलांगता की वजह से होने वाले जुड़े मेडिकल और अन्य खर्च.
- सब्सक्राइबर द्वारा अपने स्किल डेवलपमेंट/री-स्किलिंग या किसी और सेल्फ-डेलवपमेंट एक्टिविटी पर किया जाने वाला खर्च.
- सब्सक्राइबर द्वारा अपना बिजनेस या स्टार्टअप शुरू करने पर होने वाला खर्च.
चुन सकते हैं निवेश का विकल्प
निवेश योजनाओं की बात करें तो आपको या तो फिक्स्ड रिटर्न मिलता है या ऐसा रिटर्न (NPS Return) जिस पर आपका कंट्रोल नहीं होकता यानी मार्केट लिंक्ड. अगर एनपीएस में निवेश करते हैं, तो आप खुद तय कर सकते हैं कि आप कितना पैसा शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं और कितना फिक्स्ड रिटर्न विकल्पों में. अगर आप कम उम्र में इस स्कीम से जुड़ते हैं तो कुछ रिस्क उठाकर इक्विटी पोर्सन में निवेश बढ़ाकर रिटायरमेंट के पहले हाई रिटर्न के जरिए बड़ा कॉर्पस तैयार कर सकते हैं. वहीं, बढ़ती उम्र के साथ आप इक्विटी का हिस्स कम कर फिक्स्ड इनकम का हिस्सा बढ़ा सकते हैं.