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NPS के फंड्स में क्या हुआ बदलाव, नए सिस्टम में मिलेगा पहले से ज्यादा रिटर्न?

NPS के Life Cycle Funds और Auto Choice में अहम बदलाव किए गए हैं, जिनसे निवेशकों को रिटायरमेंट के मकसद से किए जा रहे इनवेस्टमेंट को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मदद मिलेगी.

NPS के Life Cycle Funds और Auto Choice में अहम बदलाव किए गए हैं, जिनसे निवेशकों को रिटायरमेंट के मकसद से किए जा रहे इनवेस्टमेंट को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मदद मिलेगी.

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Viplav Rahi
New Update
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NPS Big Update : एनपीएस में बड़े बदलाव, आसान होगा फंड मैनेज करना. (AI Generated)

NPS Big Update in Life Cycle Funds and Auto Choice Options : नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के जरिये निवेश करने वालों के लिए एक बड़ा अपडेट है. पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने NPS के लाइफ साइकल फंड्स के नामों और कैटेगरी में बदलाव किया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि निवेशकों को यह समझने में आसानी हो कि किस फंड में रिस्क और रिटर्न का लेवल क्या है. नया बदलाव से न सिर्फ फंड्स की पहचान और साफ होगी बल्कि निवेशकों को रिटायरमेंट के मकसद से किए जा रहे इनवेस्टमेंट को बेहतर ढंग से मैनेज करने में भी मदद मिलेगी.

नाम बदलने के पीछे क्या है मकसद?

PFRDA का कहना है कि उसने NPS के मौजूदा ऑटो च्वायस (Auto Choice) और लाइफ साइकल फंड्स (Life Cycle Funds) को रिव्यू किया ताकि हर स्कीम के नाम, इक्विटी एलोकेशन और रिस्क लेवल में बेहतर तालमेल बनाया जा सके. दरअसल, पहले कुछ फंड्स के नाम और उनके इक्विटी एक्सपोजर में तालमेल नहीं था. मिसाल के तौर पर बैलेंस्ड लाइफ साइकल फंड (Balanced Life Cycle Fund) का इक्विटी एलोकेशन 45 और 55 साल की उम्र के बीच लाइफ साइकल 75 (Life Cycle 75) फंड से ज्यादा था, जबकि LC75 को एग्रेसिव (Aggressive) कैटेगरी में रखा गया था.

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इस कमी को दूर करने और निवेशकों को पारदर्शिता देने के लिए PFRDA ने इन फंड्स के नाम और इनवेस्टमेंट स्ट्रक्चर दोनों में सुधार किया है. अब हर फंड का नाम उसके रिस्क - रिटर्न प्रोफाइल को सही तरीके से दिखाएगा.

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क्या-क्या बदला गया है?

नए नियमों के तहत बैलेंस्ड लाइफ साइकल फंड को अब ऑटो च्वायस (Auto Choice) कैटेगरी में शामिल कर दिया गया है. साथ ही, मौजूदा लाइफ साइकल फंड्स के नाम अब उनके रिस्क लेवल और इक्विटी अलोकेशन को ज्यादा साफ तरीके से दर्शाएंगे.

अब एनपीएस में 4 मुख्य फंड्स के नाम और उनके इनवेस्टमेंट स्ट्र्क्चर इस तरह से होंगे:

  1. Life Cycle 25 – Low (5E / 55Y): यह कंजर्वेटिव फंड (Conservative Fund) है, जिसमें 35 साल तक इक्विटी एलोकेशन 25% होगा और 55 साल की उम्र तक घटकर 5% रह जाएगा.

  2. Life Cycle 50 – Moderate (10E / 55Y): इस मॉडरेट फंड (Moderate Fund) में 35 साल की उम्र तक इक्विटी एलोकेशन 50% रहेगा और 55 साल की उम्र में घटकर 10 % रह जाएगा.

  3. Life Cycle 75 – High (15E / 55Y): यह एग्रेसिव फंड (Aggressive Fund) है, जो युवा निवेशकों के लिए ज्यादा इक्विटी एक्सपोजर देता है. इसमें 35 साल की उम्र तक इक्विटी एलोकेशन 75% रहेगा और 55 साल की उम्र में घटकर 15% रह जाएगा.

  4. Life Cycle – Aggressive (35E / 55Y): यह नया फंड पहले बैलेंस्ड लाइफ साइकल फंड कहा जाता था, जिसमें 45 साल की उम्र तक इक्विटी एलोकेशन 50% रहेगा और 55 साल तक घटकर 35% रह जाएगा.

इन नए नामों के साथ लो (Low), मॉडरेट (Moderate), हाई (High) और एग्रेसिव (Aggressive) टैग इसलिए जोड़े गए हैं ताकि निवेशकों को अपने रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से सही ऑप्शन चुनने में आसानी हो.

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नए बदलावों से क्या होगा फायदा?

PFRDA का मानना है कि यह कदम निवेशकों के लिए पारदर्शिता और समझ को बढ़ाएगा. पहले कई निवेशकों को यह समझना मुश्किल होता था कि “Balanced” या “Aggressive” जैसे नामों का असली मतलब क्या है और इनमें जोखिम कितना है. अब हर फंड का नाम उसकी इक्विटी हिस्सेदारी और जोखिम स्तर को सीधे दर्शाता है.

यह बदलाव निवेशकों को फंड्स के बीच तुलना करने में भी मदद करेगा. अब वे आसानी से देख सकेंगे कि किस फंड में कितना इक्विटी एक्सपोजर है और उनके रिटायरमेंट गोल्स के लिए कौन-सा बेहतर रहेगा.

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ऑटो च्वॉयस का क्या है मतलब

NPS में ऑटो च्वॉयस (Auto Choice) का ऑप्शन उन लोगों के लिए बनाया गया है जो खुद यह तय नहीं करना चाहते कि उनके पैसे किस एसेट क्लास में लगें. इस विकल्प में निवेशक की उम्र के हिसाब से फंड की इक्विटी और डेट हिस्सेदारी अपने आप बदलती रहती है. यानी, कम उम्र में ज्यादा इक्विटी एक्सपोजर होता है ताकि लंबे समय में रिटर्न बेहतर मिले, और रिटायरमेंट के करीब आते-आते जोखिम घटाने के लिए इक्विटी हिस्सा कम कर दिया जाता है.

ऑटो च्वॉयस के 4 फंड ऑप्शन

ऑटो च्वॉयस ऑप्शन में ये चार फंड्स हैं : 1. लाइफ साइकल 25 - लो (Life Cycle 25 – Low - 5E/55Y) , 2. लाइफ साइकल 50 मॉडरेट (Life Cycle 50 – Moderate - 10E/55Y), 3. लाइफ साइकल 75 - हाई (Life Cycle 75 – High - 15E/55Y) और 4. लाइफ साइकल एग्रेसिव (Life Cycle – Aggressive - 35E/55Y), जो पहले बैलेंस्ड लाइफ साइकल फंड (Balanced Life cycle Fund) कहा जाता था.

निवेशकों को मिलेगी ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी

PFRDA ने मल्टिपल स्कीम फ्रेमवर्क (Multiple Scheme Framework  - MSF) की शुरुआत भी की है, जिससे निवेशक अब एक से ज्यादा स्कीम्स में निवेश कर पाएंगे. यानी, अपने पर्मानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (Permanent Retirement Account Number  - PRAN) के तहत वे अलग-अलग पेंशन फंड्स द्वारा मैनेज की जाने वाली स्कीम्स में पैसे लगा सकेंगे. इससे निवेशक अपने रिस्क और रिटर्न को बेहतर ढंग से बैलेंस कर पाएंगे.

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नए नियमों से क्या बेहतर होगा फंड्स का रिटर्न

एनपीएस के लाइफ स्टाइट फंड्स में किए गए बदलावों से सीधे तौर पर रिटर्न बढ़ने का दावा नहीं किया जा सकता. लेकिन फंड्स के रिस्क-रिटर्न लेवल के बारे में बेहतर जानकारी मिलने और पारदर्शिता बढ़ने से निवेशकों को अपने लक्ष्यों और रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से सही फंड चुनने में आसानी होगी. और जब निवेशक अधिक सूझबूझ के साथ फैसले कर पाएंंगे, तो लंबी अवधि में उन्हें अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना भी बढ़ जाएगी.

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